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    Farmers Protest: संसदीय समिति की सिफारिश MSP को मिले कानूनी गारंटी, PM किसान निधि को किया जाए दोगुना

    Updated: Thu, 19 Dec 2024 07:00 AM (IST)

    Farmers Protest News Update संसदीय समिति ने सभी 23 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की सिफारिश की है। साथ ही प्रधानमंत्री किसान निधि के तहत दी जाने वाली राशि को दोगुना करके 12 हजार रुपये करने का भी सुझाव दिया है। समिति ने किसानों के कर्ज माफी के लिए भी योजना बनाने की बात कही है।

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    PM किसान निधि को किया जाए दोगुना (रेलवे ट्रैक जाम करते किसान)

    इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। Farmers Protest: सभी 23 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर खन्नौरी में संयुक्त किसान मोर्चा के (गैर-राजनीतिक) के चल रहे अनशन और किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के शंभू पर लगे धरने के बीच कृषि पर संसदीय मामलों की कमेटी ने भी एमएसपी की कानूनी गारंटी की सिफारिश की है।

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    कमेटी के चेयरमैन चरणजीत सिंह चन्नी ने बीते कल एक रिपोर्ट संसद के पटल पर रखते हुए किसानों की कई समस्याओं के हल सुझाने के लिए सिफारिशें की हैं जिनमें केंद्र सरकार की ओर से प्रधानमंत्री किसान निधि के तौर पर दी जाने वाली 6000 रुपए की राशि को दोगुना करके 12 हजार रुपए करने की भी सिफारिश शामिल है।

    किसानों का कर्ज माफ करने के लिए बनाई योजना

    दिलचस्प बात यह है कि किसानों की ओर से चलाए जा रहे आंदोलन में एक मांग किसानों के कर्ज की माफी भी है। इस पर भी कमेटी ने सिफारिश की है कि किसानों का कर्ज माफ करने के लिए कोई योजना लाई जाए।

    यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब आंदोलनकारी किसान इस बात से नाराज हैं कि पिछले नौ महीनों से केंद्र ने उनकी मांगों और विरोध पर आंखें मूंद ली हैं। कृषि ,पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण पर संसदीय कमेटी ने कृषि के बजट को बढ़ाने ,पराली निपटान के लिए मुआवजे आदि की सिफारिश भी है।

    'एमएसपी मामला बहस का विषय'

    काबिले गौर है कि इस समय सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का मामला बहस का विषय बना हुआ है। एक वर्ग इसको किसानों की आय में वृद्धि का एकमात्र उपाय बता रहा है तो दूसरा वर्ग यह कह रहा है कि इससे कृषि की ग्रोथ रुक जाएगी।

    एमएसपी की बजाए किसानों की आय को सुनिश्चित करने की योजना बनाई जाए। संसदीय समिति ने कहा है कि एमएसपी को कानूनी गारंटी मिलती है तो इससे निवेश भी बढ़ेगा। किसानों को भी उनकी फसल की सुनिश्चित कीमत मिल सकेगी।

    'चिंताओं का कारण देश का बड़ा मुद्दा'

    समिति ने पराली के प्रबंधन के लिए किसानों को मुआवजा देने की भी वकालत की है ताकि उन्हें इसे जलाने से रोका जा सके। धान के अवशेषों का प्रबंधन पर्यावरण संबंधी चिंताओं के कारण देश के लिए एक बड़ा मुद्दा है।

    सुप्रीम कोर्ट, नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल आदि हर साल संबंधित राज्यों को इसके लिए ताकीद करते हैं कि वे पराली को जलाने से रोकें लेकिन किसानों की मांग है कि उन्हें सौ रुपए प्रति क्विंटल अवशेष संभालने के लिए दिए जाएं।

    समिति ने पीएम-किसान के तहत सहायता को 6,000 रुपये प्रति वर्ष से बढ़ाकर 12,000 रुपये प्रति वर्ष करने की सिफारिश की है। यह योजना पिछली सरकार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाए थे। समिति ने इस बात पर भी चिंता जताई कि ग्रामीण लोगों की आय में दिन ब दिन गिरावट आ रही है।

    किसानों की आमदनी में गिरावट: ससंदीय समिति

    समिति का कहना है कि किसानों की आमदनी में आ रही गिरावट के कारण ही उन पर कर्ज बढ़ रहा है और वे आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं। इसका समाधान सुझाते हुए समिति ने सिफारिश की है कि किसानों और खेत मजदूरों के कर्ज माफ करने की योजना शुरू की जाए।

    कहा गया कि 2016-17 और 2021-22 के बीच ऋण लेने वाले ग्रामीण परिवारों का प्रतिशत 47.4% से बढ़कर 52% हो गया है। इससे पता चलता है कि अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए किसान परिवारों के बीच उधार लेने पर निर्भरता बढ़ रही है।

    बकाया ऋण वाले परिवारों का अनुपात भी बढ़ा है, जो इन कृषि परिवारों पर बढ़े हुए वित्तीय दबाव की ओर इशारा करता है। अधिक परिवार खर्चों का प्रबंधन करने के लिए ऋण पर निर्भर हैं, जो ग्रामीण वित्तीय स्वास्थ्य में एक चिंताजनक प्रवृत्ति को दर्शाता है।

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