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    पंजाब के 'एक जिस्‍म दो जान' सोहणा-मोहणा ने किया जेई पद के लिए अप्‍लाई, दिव्‍यांगता प्रमाणपत्र पर फंसा पेंच

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Sun, 01 Aug 2021 07:53 PM (IST)

    Punjab Conjoined Wwins अमृतसर के एक जिस्‍म दो जान सोहणा-मोहणा ने की राह में सरकारी प्रविधान बाधा बन गया है। शरीर से जुड़े दोनों भाइयों ने पावरकाम में जेई पद के लिए आवेदन किया है लेकिन दिव्‍यांगता प्रमाणपत्र नहीं मिल पा रहा है।

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    पंजाब के 'एक जिस्‍म दो जान' भाई सोहणा-मोहणा। (जागरण)

    अमृतसर, [नितिन धीमान]।  पंजाब की शान बन गए 'एक जिस्‍म दो जान' भाई सोहणा-मोहणा ने जीवन के अगले पड़ाव की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। लेकिन, इसमें सरकारी प्रावधान बैरियर बन गया है। यह करिश्माई युवा अपने अनोखे हौसले व जज्‍बे से सभी अपनी ओर आकर्षित करते हैं। अमृतसर के पिंगलवाड़ा में पले-बढ़े सोहणा मोहणा 18 साल के हो चुके हैं। उन्‍होंने इलेक्ट्रिकल डिप्‍लोमा करने के बाद पंजाब पावरकाम में जेई पद के लिए आवेदन किया है, लेकिन उनको दिव्‍यांगता प्रमाणपत्र नहीं मिल रहा है। दरअसल, एक जिस्‍म दो जान जैसे मामले में दिव्‍यांगता प्रमाणपत्र जारी करने का प्रविधान नहीं है।   

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    पावरकाम भी आवेदन पर दुविधा में, किसको दें नौकरी

    सोहणा-मोहणा ने पंजाब पावरकाम में जूनियर इंजीनियर की एक पोस्ट के लिए अलग-अलग आवेदन किया है। अब पावरकाम तय नहीं कर पा रहा कि इस आवेदन को कैसे लिया जाए। यदि एक को नौकरी मिलती है तो दूसरा भी साथ जाएगा। ऐसे में क्या दोनों एक ही नौकरी पर साथ काम करेंगे या दोनों के लिए अलग-अलग पोस्ट बनानी पड़ेगी। वेतन का क्या होगा। अलग-अलग होगा या दोनों को आधा-आधा दिया जाएगा।

    हालांकि, अभी उन्होंने आवेदन ही किया है, लेकिन यह सारे सवाल अनसुलझे हैं। पावरकाम के चेयरमैन कम डायरेक्टर ए. वेणुप्रसाद का कहना है कि अभी सोहणा-मोहणा के आवेदन करने की सूचना है। साक्षात्कार के बाद ही कुछ तय कर सकेंगे कि ऐसे मामलों में एक को ही नौकरी मिलेगी या दोनों को।

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    जेई की नौकरी के लिए दिव्‍यांगता प्रमाणपत्र न मिलने से मुश्किल खड़ी हुई

    शारीरिक विकृति की वजह से विषम परिस्थितियों का सामना करने वाले सोहणा-मोहणा सरकारी नौकरी पा सकते हैं। दोनों पावरकाम में जेई के पद के लिए आवेदन देने के बाद दिव्यांगता सर्टिफिकेट व मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट भी बनवाना चाहते हैं, लेकिन तमाम को‍शिशों के बावजूद उनको यह नहीं मिल पा रहा है।

    बिजली के उपकरण को ठीक करते सोहणा-मोहणा।

    मेडिकल कालेज में मेडिकल बोर्ड ने सोहणा-मोहणा की कर चुका है मेडिकल जांच

    दरअसल, दोनों का मेडिकल फिटनेस टेस्ट अमृतसर के सरकारी मेडिकल कालेज में किया गया है। ब्लड ग्रुप ओ पाजिटिव है। रक्त व यूरिन के सैंपल की रिपोर्ट ठीक है। इसी प्रकार दिव्‍यांगता की जांच करने के लिए डाक्टरों का बोर्ड बनाया गया। इसमें दो आर्थो डाक्टर, एक मेडिसिन व एक न्यूरो डाक्टर को शामिल किया गया।

    एक जिस्म दो जान जैसे मामलों में दिव्यांगता प्रमाणपत्र जारी करने का नहीं प्रावधान

    डाक्टरों ने उनका शारीरिक परीक्षण किया, मसलन उन्हें सीढ़ियों पर चढ़ने को कहा गया। हड्डयिों की जांच की गई। वे हर मापदंड पर सफल हुए। ऐसे में डाक्टरों के सम्मुख यह चुनौती है कि वे इनका दिव्यांगता प्रमाण पत्र कैसे जारी करें। हालांकि सोहणा-मोहणा को देखकर डाक्टर स्पष्ट कह चुके हैं कि ये दिव्‍यांगता की कैटेगरी में आते हैं, लेकिन सरकारी नियमावली में कोई प्रविधान न होने की वजह से सर्टिफिकेट जारी करने में  सक्षम नहीं हैं।

    'एक जिस्‍म दो जान' सोहणा-मोहणा।

    इलेक्ट्रिकल डिप्लोमा करने के बाद पंजाब पावरकाम में नौकरी के लिए किया है आवेदन

    एक साथ जुड़े इन दोनों बच्चों ने पावरकाम में नौकरी के लिए आवेदन किया है। नौकरी चाहे सोहणा को मिले या मोहणा को, जाएंगे तो दोनों साथ-साथ। दिव्यांगता प्रमाणपत्र जारी करने पर मेडिकल कालेज के डाक्टर पशोपेश में हैं। कालेज प्रशासन देश के विभिन्न राज्यों के चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों से बातचीत कर इस पर मंथन कर रहा है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के कुछ निर्णयों को खंगाल रहा है। शायद किसी राज्य में इस प्रकार के बच्चों को मेडिकल सर्टिफिकेट जारी किया गया हो। बहरहाल, मेडिकल बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर प्रिंसिपल कार्यालय में सबमिट कर दी है। सोमवार को सोहणा-मोहणा को पुन: बुलाया जाएगा।

    सिविल सर्जन ने कहा- दिव्‍यांगता प्रमाणपत्र देने के तरीके पर हो रहा है विचार

    सिविल सर्जन डा. चरणजीत सिंह ने कहा कि सोहणा-मोहणा को प्रमाण पत्र कैसे जारी किया जाए, इस पर मंथन किया जा रहा है। मेडिकल कालेज के डाक्टर इसकी असेसमेंट कर रहे हैं। कानून के जानकारों की भी राय ली जा रही है। मेडिकल कालेज के वाइस प्रिंसिपल डा. जगदेव सिंह कुलार के अनुसार देश के अन्य राज्यों में ऐसे किसी बच्चे को दिव्‍यांगता सर्टिफिकेट जारी किया गया हो, ऐसी संभावना के चलते हम दूसरे राज्यों में संपर्क कर रहे हैं।

    जन्म के बाद माता-पिता ने घर ले जाने से किया था इन्कार

    14 जून, 2003 को दिल्ली के सुचेता कृपलानी अस्पताल में जन्मे सोहणा और मोहणा को माता-पिता ने छोड़ दिया था। पिंगलवाड़ा की मुख्य सेवादार बीबी इंद्रजीत कौर दोनों को पिंगलवाड़ा ले आई थीं। तब दोनों दो माह के थे। इनकी देखरेख के लिए नर्सिंग सिस्टर तैनात की गई। डाक्टरों ने कहा था कि दोनों ज्यादा समय जिंदा नहीं रहेंगे, ले‍किन विकट परिस्थितियों का अद्भूत हौसले के साथ सामना कर दोनों बालिग हो गए।

    सोहणा-मोहणा ने पढ़ाई के साथ-साथ मानांवाला में कार्यरत इलेक्ट्रिशियन लखबीर सिंह से विद्युत उपकरणों को ठीक करना सीखा। इसके बाद इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का तीन वर्ष का डिप्लोमा किया। परीक्षा में इन्हें अलग-अलग रोल नंबर जारी किए गए थे। वह छाती के नीचे से एक-दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं। दोनों के सिर, छाती, दिल, फेफड़े और रीढ़ अलग-अलग हैं लेकिन बाकी शरीर में किडनी, लीवर, और ब्लेडर सहित शरीर के अन्य सभी अंग एक ही व्यक्ति की तरह हैं।

    एक-दूसरे से जुड़े सोहणा-मोहणा सरकारी दस्तावेजों में अलग-अलग व्यक्ति हैं। 14 जून 2021 को सोहणा-    मोहणा 18 वर्ष के हुए। आधार कार्ड भी अलग-अलग हैं। मतदाता पहचान पत्र बनवाने के लिए दोनों ने अलग-अलग आवेदन किया है।

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