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Punjab Politics: इस्तीफे के बाद यदि नवजोत सिंह सिद्धू अड़े तो बिगड़ सकता है परगट का सियासी गणित

पंजाब कांग्रेस प्रधान पद से नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के बाद परगट अब फंस चुके हैं। हाईकमान ने परगट की ड्यूटी सिद्धू को मनाने के लिए लगा दी गई है। इस परीक्षा में अगर परगट पास नहीं होते हैं तो हाईकमान के आगे उनकी किरकिरी भी होगी।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Thu, 30 Sep 2021 12:59 PM (IST)Updated: Thu, 30 Sep 2021 05:35 PM (IST)
Punjab Politics: इस्तीफे के बाद यदि नवजोत सिंह सिद्धू अड़े तो बिगड़ सकता है परगट का सियासी गणित
पंजाब के खेल और शिक्षा मंत्री परगट नवजोत सिंह सिंह को सिद्धू का करीबी माना जाता है। फाइल फोटो

मनोज त्रिपाठी, जालंधर। जालंधर कैंट हलके के विधायक व खेल तथा शिक्षा मंत्री परगट सिंह को मंत्री बनते ही मुश्किल में फंसते दिख रहे हैं। उनके मंत्री बनते ही पंजाब कांग्रेस प्रधान पद से नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के बाद परगट अब मुश्किल में हैं। पार्टी हाईकमान ने परगट की ड्यूटी सिद्धू को मनाने के लिए लगा दी है। यदि सिद्धू इस्तीफे पर अड़े रहे और वह इस परीक्षा में अगर परगट पास नहीं हुए तो हाईकमान के आगे उनकी किरकिरी होगी। कांग्रेस में उनका जो कद हाल ही में सिद्धू की वजह से बढ़ा था, वह भी कम हो सकता है।

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नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि परगट सिंह भी रजिया सुल्ताना की तरह सिद्धू के फैसले के पक्ष में मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। कांग्रेस में परगट की एंट्री नवजोत सिंह सिद्धू की वजह से ही हुई थी। 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले जब सिद्धू किसी पार्टी के रूप में नए घर की तलाश में लगे थे तो परगट भी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे थे। यही वजह थी कि आम आदमी पार्टी में दोनों नेताओं की पहले जाने की बात तय हो गई, लेकिन आप के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की शर्तें समझ में नहीं आईं, जिसकी वजह से दोनों नेताओं ने आप को ज्वाइन नहीं किया। इसके बाद सिद्धू ने कांग्रेस का रुख किया और सीधे राहुल गांधी व प्रियंका गांधी से संपर्क साधकर एंट्री कर ली।

विधानसभा चुनाव हुए और कैप्टन के विरोध के बाद भी राहुल गांधी के दबाव के चलते सिद्धू को निकाय मंत्री बना दिया गया, लेकिन परगट को मंत्रिमंडल से बाहर रखा गया। सिद्धू और कैप्टन के बीच कुछ समय में ही शीतयुद्ध शुरू हो गई, जिसमें परगट ने आग में घी डालने का काम किया और कैप्टन विरोधी बयानबाजी करके सिद्धू के और करीब होते गए। परगट की नजर हकीकत में मंत्रिमंडल में जगह बनाने पर लगी रही और सिद्धू यह सोचते रहे कि परगट खुलकर उनकी नीतियों पर उनका समर्थन कर रहे हैं। यह कितना सही है, इस बारे में अब सिद्धू भी जान चुके हैं। यही वजह है कि पार्टी के प्रधान पद से इस्तीफा देने के दो दिन बाद भी परगट के बार-बार मनाने पर भी सिद्धू नहीं मान रहे हैं।

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हाईकमान ने बढ़ाई परगट की मुश्किलें

पार्टी हाईकमान ने सिद्धू को मनाने के लिए परगट की ड्यूटी लगाकर उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। अब अगर परीक्षा में परगट पास नहीं होते हैं तो उन्हें कांग्रेस में आगे की सियासत अपने दम पर करनी होगी। सिद्धू की वजह से ही परगट को महासचिव का पद मिला था। महासचिव और मंत्री की दो बड़ी जिम्मेवारियों को अभी परगट ठीक से समझ भी नहीं पाए थे कि सिद्धू के इस्तीफे ने उनके सारे गणित बिगाड़ दिए। नतीजतन अब परगट एक-एक कदम फूंक-फूंककर चल रहे हैं। वह अपने सियासी आकाओं से इस बारे में विचार-विमर्श भी कर रहे हैं कि वह आगे क्या रणनीति अपनाएं।

मंत्री बनने के बाद अपने हलके से दूर हुए परगट

पंजाब सरकार में शिक्षा, खेल मंत्री बनने के बाद परगट सिंह अपने विधानसभा हलके से दूर हो गए हैं। जिस दिन उन्होंने मंत्री पद की शपथ ले ली थी, उस दिन उनका पूरा परिवार चंडीगढ़ में था। उसके बाद उम्मीद यह की जा रही थी कि परगट अपने हलके में आकर लोगों का धन्यवाद भी करेंगे और अपना विजन भी उनके साथ सांझा करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सिद्धू प्रकरण में उलझने के बाद परगट का अपने हलके में न आना अब स्थानीय कांग्रेसियों को खटकने लगा है। उन्हें नया पावर सेंटर के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन वह अब सफल होता नजर नहीं आ रहा है।


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