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    अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेकर खोला था जालंधर का खालसा स्कूल, पूर्व विदेश व रक्षा मंत्री स्वर्ण सिंह समेत दिए कई ओलिंपियन

    By DeepikaEdited By:
    Updated: Sat, 18 Jun 2022 09:56 AM (IST)

    स्कूल मैनेजमेंट के प्रबुद्ध लोगों प्रिंसिपल और शिक्षकों ने अंग्रेजी हुकूमत का डटकर विरोध किया जिस वजह से तब स्कूल जिला अथारिटी के अधीन आ गया और कुछ ही समय बाद मैनेजमेंट ने फिर से स्कूल को अपने अधीन कर लिया।

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    दोआबा खालसा सीनियर सेकेंडरी स्कूल लाडोवाली रोड (जागरण)

    अंकित शर्मा, जालंधर। अंग्रेजी हुकूमत के समय गिने चुने ही स्कूल हुआ करते थे और उनमें भी अंग्रेजों या उच्च अधिकारियों के बच्चे ही पढ़ते थे। 1914 के दौर में चली सिंह सभा मूवमेंट के प्रभाव अधीन दोआबा क्षेत्र की अलग-अलग तहसीलों से प्रबुद्ध लोग इकट्ठा हुए। सभी ने मिलकर दोआबा क्षेत्र में पहला खालसा स्कूल शुरू करने का फैसला लिया। 1914 में ही रेलवे स्टेशन के पास एक कोठी में स्कूल शुरू किया गया। बाद में चंदा इकट्ठा कर लाडोवाली रोड में जगह खरीदी (जहां मौजूदा समय में स्कूल है) गई। विद्यार्थियों को धर्म से जोड़े रखने के लिए स्कूल कैंपस में ही गुरुद्वारा साहिब का निर्माण करवाया गया।

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    लोगों, प्रिंसिपल और शिक्षकों ने अंग्रेजी हुकूमत का डटकर किया विरोध

    शुरुआत में यही पहला रेजिडेंशियल एडिड स्कूल बना और 300 से अधिक बच्चे शिक्षा प्राप्त करने के लिए यहीं रहते थे। 1923 के आस-पास अंग्रेजों ने इसे बंद करने और अपने अधीन करने का प्रयास करते हुए स्कूल मैनेजमेंट को भंग करवा दिया। स्कूल मैनेजमेंट के प्रबुद्ध लोगों, प्रिंसिपल और शिक्षकों ने अंग्रेजी हुकूमत का डटकर विरोध किया, जिस वजह से तब स्कूल जिला अथारिटी के अधीन आ गया और कुछ ही समय बाद मैनेजमेंट ने फिर से स्कूल को अपने अधीन कर लिया।

    1960 तक हाई और 1986 में बना सीनियर सेकेंडरी स्कूल

    1960 तक दोआबा खालसा हाई स्कूल और 1986 में प्रमोट करते हुए दोआबा खालसा सीनियर सेकेंडरी स्कूल लाडोवाली रोड बना दिया गया। मौजूदा समय में स्कूल में आर्ट्स और कामर्स स्ट्रीम चल रही है। इस स्कूल ने पूर्व विदेश व रक्षा मंत्री स्वर्ण सिंह, वायु सेना के पूर्व एयर चीफ मार्शल दिलबाग सिंह सहित कई ओलिंपियन दिए हैं।

    स्कूल की ख्याति बढ़ी तो मैनेजमेंट ने दो और स्कूल खोले

    अभिभावकों की मांग थी कि स्कूल में बच्चों की सीटें बढ़ाई जाए। मैनेजमेंट ने सीटें बढ़ाने के बजाय कैंपस में दूसरा स्कूल दोआबा खालसा माडल सीनियर सेकेंडरी के नाम से 1966 में शुरू किया, जहां भी विद्यार्थियों की संख्या 500 के आसपास है। इसके बाद मैनेजमेंट की तरफ से 1993-94 में गांव धीना में दोआबा खालसा माडल स्कूल की शुरुआत की गई।

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    स्कूल के एलुमिनाई विद्यार्थी

    पूर्व ब्रिगेडियर त्रिशन सिंह सहोता, पूर्व स्क्वार्डन लीडर इंदरजीत सिंह रेखी, पूर्व फ्लाइंग अफसर मोहिंदूर सिंह, पूर्व हाकी ओलिंपियन गुरमीत सिंह, सुरिंदर सिंह सोढी व मोहिंदूर सिंह मुंशी, अंतरराष्ट्रीय हाकी अंपायर त्रिलोचन सिंह भुल्लर व गुरेंद्र सिंह संघा, पूर्व जनरल सेक्रेटरी सीपीआइ हरकृष्ण सिंह सुरजीत व पूर्व विधायक कंवलजीत लाली।