ये हैं यंग चौधरी! 75 साल की उम्र में जिमिंग का शौक, जालंधर के सांसद संतोख सिंह पत्नी के लिए बनाते हैं ब्रेकफास्ट
Jalandhar MP Santokh Singh Chaudhary सांसद संतोख सिंह सोच और स्टाइल के मामले में युवाओं से कम नहीं। रेगुलर जिमिंग रोज ब्रिस्क वाक के साथ-साथ गोल्फ खेलना और किताबें पढ़ना उनका रुटीन है। समय मिलता है तो अपना पसंदीदा खाना बनाना नहीं भूलते।

जालंधर [मनोज त्रिपाठी]। आइए आपकी पहचान एक नए चौधरी संतोख सिंह (Jalandhar MP Santokh Singh Chaudhary) से करवाते हैं। जी हां, जालंधर के सांसद संतोख चौधरी। आम तौर पर खादी के लिबास में आपने अपने जिन सांसद को सार्वजनिक रूप से देखा है वह 75 साल के संतोख सिंह सोच और स्टाइल के मामले में युवाओं से कम नहीं। लोगों की सेवा व राजनीति के साथ-साथ खुद को फिट रखने पर पूरा फोकस। रेगुलर जिमिंग, रोज ब्रिस्क वाक के साथ-साथ गोल्फ खेलना और किताबें पढ़ना...यह इनकी रूटीन है। समय मिलता है तो अपना पसंदीदा खाना बनाना नहीं भूलते।
नई-पुरानी पीढ़ियों को जोड़ते, परिवार में दूसरी पीढ़ी के नेता चौधरी ने अपने सियासी करियर में तीन महीने की जेल भी काटी है और आतंकवाद के काले दौर में जब तमाम कांग्रेसी विदेश में शिफ्ट हो गए थे तो इन्होंने पार्टी का झंडा बुलंद रखा। सियासत में बहुत कूल से दिखने वाले संतोख दो बार विधायक व मंत्री रहने के बाद जालंधर से लगातार दूसरी बार सांसद चुने गए हैं। चौधरी के लिए निजी जिंदगी भी बहुत मायने रखती है। वे आज भी फुर्सत के लम्हों में जगजीत सिंह की गजलें सुनना पसंद करते हैं। कभी-कभी ...सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा, इतना मत चाहो उसे वो बेवफा हो जाएगा, हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है, जिस तरफ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा..जैसी जगजीत की गजल भी गुनगुनाते हैं।
जिम में 30 मिनट बहाते हैं पसीना, जगजीत सिंह की गजलें सुनना पसंद
चौधरी रोजाना सुबह तीस मिनट जिम में पसीना बहाते हैं। फिर दस मिनट ब्रिस्क वाक करते हैं। रोज कितनी कैलरी बर्न करनी है, उसका पूरा ध्यान रखते हैं। वजन भी रोज तोलते हैं। सप्ताह में एक या दो दिन गोल्फ खेलते हैं। इसके बाद घर में समय मिलने पर खुद अपनी पसंद का आमलेट या जो भी मन होता है खुद बनाते हैं। पत्नी पूर्व प्रिंसिपल करमजीत कौर के लिए भी कई बार नाश्ता खुद तैयार करते हैं। शाम को जितना भी समय मिलता है उस दौरान जगजीत सिंह, गुलाम अली व मेंहदी हसन की गजलें सुनना पसंद करते हैं। इससे समय निकला तो हिस्ट्री की किताबें व हिस्ट्री से जुड़ी वेब सिरीज देखते हैं। नान वेजेटेरियन चौधरी दोपहर को ही पूरा खाना लेना पसंद करते हैं।
मोंट ब्लैंक के पेन और ओमेगा की घड़ियों का शौक
लोगों के बीच हमेशा खादी का कुर्ता पायजामा व सदरी (जैकेट) पहनकर निकलने वाले चौधरी मोंट ब्लैंक के पेन और ओमेगा की घड़ियों का भी शौक रखते हैं। अमेरिका, इंग्लैंड व कनाडा सहित तमाम यूरोपियन देश घूम चुके चौधरी का सपना है कि इस जिंदगी में ज्यादा से ज्यादा देशों की सैर करें। सैर-सपाटे के साथ-साथ वहां की वे खूबियां भी जान सकें जिनके लिए यहां भी कुछ किया जा सके...क्योंकि विरासत में इन्हें सियासत ही नहीं, समाजसेवा का जज्बा भी मिला है।
पिता मास्टर गुरबंता सिंह रहे थे पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री
परिवार के इतिहास के पन्ने पलटें तो यह जज्बा दिख जाएगा। चौधरी के पिता मास्टर गुरबंता सिंह अखंड भारत में 1938 में पहली बार विधायक बने थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद वकालत के साथ-साथ यूथ कांग्रेस के रास्ते अपना सियासी सफर शुरू करने वाले चौधरी पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। संसद में सबसे ज्यादा हाजिर रहने वाले सांसदों की लिस्ट में शामिल चौधरी शहर से जुड़ा कोई भी ऐसा मुद्दा संसद में उठाने से नहीं चूकते हैं जो लोगों के हित में हो। चौधरी के पिता मास्टर गुरबंता सिंह कैबिनेट मंत्री थे। दादा गोपाल सिंह किसान थे। इसी वजह से मास्टर गुरबंता सिंह की रुचि भी किसानी में थी, लेकिन वह राजनीति में आ गए थे।
संदेश - वही सफल होता है जो वक्त के साथ चलता है
वह जब प्रताप सिंह कैरों व ज्ञानी जैल सिंह की सरकार में एग्रीकल्चर व जंगलात मंत्री बने तो उन्होंने पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवॢसटी खुलवाकर पंजाब सहित देश में हरित क्रांति लाने में पिता की अहम भूमिका निभाई। चौधरी कहते हैं, वक्त बदलता गया है...और समाज की सोच भी सियासत का रोल भी। वही सफल है जो वक्त के साथ चलता है।
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