Jalandhar Famous Food: 170 साल बाद भी नहीं बदला ज्वाली के पकौड़ों का स्वाद, खुशबू से महक जाता है पूरा बाजार
Jalandhar Famous Food ज्वाली के पकौड़ों के लोग दीवाने हैं। चटनी और मसाला चाय इन पकौड़ों के स्वाद में रंग भर देती है। विदेशों में रहने वाले तमाम एनआरआइ जब भी जालंधर आते हैं तो ज्वाली के पकौड़े साथ ले जाना नहीं भूलते।

मनोज त्रिपाठी, जालंधर। Jalandhar Famous Food: मूंग की दाल से पकौड़े बनाने का काम सतीश गोयल के परदादा ज्वाली प्रसाद ने कैंट में शुरू किया था। छोटी सी दुकान में बनने वाले पकौड़ों का स्वाद कुछ ही समय में लोगों की जुबां पर ऐसा चढ़ा कि आज लोग इसे खाने के लिए खास तौर पर कैंट बाजार जाते हैं। इनकी चटनी का स्वाद भी 170 सालों से वैसा ही है जैसा इनके परदादा ने विकसित किया था।
चटनी और मसाला चाय इनके पकौड़ों के स्वाद में रंग भर देती है। मूंग दाल के पकौड़े बनाने का क्रम एक दिन पहले ही शुरू हो जाता है। दाल को छह घंटे से ज्यादा समय के लिए भिगो कर रखा जाता है। इसके बाद इसे पीस कर मसालों को मिलाकर पकौड़ों के लिए पेस्ट तैयार किया जाता है। कुरकुरे पकौड़ों को तैयार करने के लिए चूल्हे की आंच को एक समान रखा जाता है। तेल में डालने के बाद 10 मिनट में पकौड़े तैयार हो जाते हैं।
उसके बाद उसे कुछ समय के लिए ठंडा किया जाता है। इसकी खासियत है कि यह पकौड़े कई दिनों तक खराब नहीं होते। विदेशों में रहने वाले तमाम एनआरआइ जब भी जालंधर आते हैं, ज्वाली के पकौड़े साथ ले जाना नहीं भूलते। सतीश गोयल बताते हैं कि उनके परिवार ने कभी भी गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं किया। जब भी ज्यादा महंगाई हुई तो पकौड़ों के दाम बढ़ाने के बजाय प्लेट में संख्या कम की गई। इसी कारण दादा, पिता व बच्चों सहित तमाम ग्राहकों की अगली पीढ़ी भी उनके पकौड़ों के स्वाद की दीवानी है।
परोसने का ढंग सालों पुराना
क्रिस्पी व कुरकुरे पकौड़ों के स्वाद को बनाए रखने में चटनी का खास योगदान है। इन्होंने कभी इसकी रेसिपी को अपने परिवार से बाहर नहीं जाने दिया। इसे परोसने का ढंग वही सालों पुराना है। पहले पत्ताें के दोने में इन्हें परोसा जाता था। उसके बाद कागज की प्लेटों पर परोसा जाने लगा।
अपने विशेष प्रकार के पकौड़ों के स्वाद के लिए प्रसिद्ध ज्वाली के पकौड़ों का स्वाद अब शहर में भी लिया जा सकता है। नकोदर रोड पर ज्वाली दी हट्टी नाम से कैंट के अलावा शहर में अपना दूसरा स्वाद का अड्डा सतीश गोयल ने शुरू किया है। 170 सालों से कैंट के बाजार से निकल कर ज्वाली के पकौड़ों का स्वाद दुनिया के तमाम देशों में पहुंच चुका है।
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