नई पीढ़ी को पुरानी सभ्यता से मिलवा रहा जालंधर के लायलपुर खालसा कालेज में बना विरासती घर, सभी धर्मों का होता है सत्कार
प्रिंसिपल डा. नवजोत कहते हैं कि इस विरासती घर की देखरेख प्रो. राजवंत कौर कर रही हैं। कालेज में दाखिले के समय में नई आने वाली छात्राओं को इस विरासती घर ...और पढ़ें

अंकित शर्मा, जालंधर। लायलपुर खालसा कालेज फार वूमेन आधुनिक के साथ पंजाबी संस्कृति व सभ्यता की भी शिक्षा दे रहा है। कालेज ने अपने परिसर में ही पंजाबी सभ्याचार को लेकर म्यूजियम बनाया हुआ है, जिसका नाम है 'विरासती घर'। यहां पहले कैंटीन हुआ करती थी, लेकिन वह खस्ताहाल हो चुकी थी। मैनेजमेंट ने इसे गिराने के आदेश दिए थे, मगर प्रिंसिपल के प्रयासों की बदौलत कैंटीन को विरासती घर का रूप दे दिया गया।
लुप्त होती पंजाब की सभ्यता को जिंदा रखना है लक्ष्य
प्रिंसिपल डा. नवजोत का कहना है कि पंजाब की विरासत से आज के युवा दूर होते जा रहे हैं। उन्हें तो पहले के रहन-सहन के बारे में कुछ भी नहीं पता। अपनी विरासत और सभ्यता से जोड़े रखने के उद्देश्य से ही इस विरासती घर का निर्माण करवाया गया है। उन्होंने 4 अगस्त 2016 को कालेज में बतौर प्रिंसिपल चार्ज संभाला था। तब यहां पुरानी कैंटीन हुआ करती थी। इसे तुड़वाने के बजाय विरासती घर बनाने के बारे में सोचा।
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विरासती घर के हाल में रखी पुरानी कुर्सियां, टेबल, रेडियो इत्यादि।
चुनौती यह थी कि कालेज व मैनेजमेंट पर आर्थिक बोझ डाले इसे तैयार करना था। इसके लिए एनआरआइज सहित दानी सज्जनों का दिल खोल कर सहयोग मिला। दूसरी चुनौती यह थी कि इस घर में विरासती सामान भी हो। इसी के चलते अमृतसर के डीसीपी परमिंदर सिंह भंडाल ने अपने बुजुर्गों के सामान को यहां दान किया।
उनका भी यही कहना था कि घर पर तो केवल वही अपने बुजुर्गों की निशानियां देखते हैं, लेकिन यहां हजारों छात्राएं विरासती सामान को देखेंगी। इसी तरह से प्रो. राजवंत कौर, सुपरिंटेंडेंट अमरजीत सिंह, सिमरजीत सिंह व चरणप्रीत सिंह ने पुरानी पंखियां, झोले, संदूक व मंजा, अमेरिका के रणजीत राम ने संदूक आदि दान की। यहां पर बाबा सुंदर सिंह की किरपाण भी सुशोभित है, जो भाई रविंदर सिंह के द्वारा उनके दोस्त ओंकार हुंदल ने दी है।
यहां धूमधाम से मनाया जाता है तीज, लोहड़ी और बैसाखी का पर्व
प्रिंसिपल डा. नवजोत कहते हैं कि इस विरासती घर की देखरेख प्रो. राजवंत कौर कर रही हैं। कालेज में दाखिले के समय में नई आने वाली छात्राओं को इस विरासती घर का दौरा करवाया जाता है। यहां पुराना चूल्हा, पुराना पंखियां, पुराना रेडियो, चरखा, संदूख, मंजा आदि रखा हुआ है। यही नहीं इसी विरासती घर में तीज का मेला लगाया जाता है। लोहड़ी और बैसाखी का पर्व भी धूमधाम से मनाया जाता है।
विरासती घर में सभी धर्मों का होता है सत्कार
इस विरासती घर में पूरी तरह से सभी धर्मों का सत्कार किया जाता है। एक ही कमरे में सभी धर्मों के देवी-देवताओं और गुरुओं की तस्वीरों को सुशोभित किया गया है, ताकि इस विरासती घर में आने वाली छात्राएं खुद को धर्मों के आधार पर बंटा हुआ न समझ कर मानवता का संदेश देते हुए आपसी प्रेम व भाईचारे से रहें।

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