Jalandhar Street Food: प्रकाश की दाल वाली जलेबी का स्वाद निराला, 52 साल से भैरो बाजार की गली में चल रही दुकान
Jalandhar Street Food शहर में इमरती व जलेबी की खुशबू लोगों को प्रकाश जलेबी कार्नर की तरफ खींच ला जाती है। तंग गली में खचाखच लोगों से भरे बाजार में प् ...और पढ़ें

मनोज त्रिपाठी, जालंधर। Jalandhar Street Food: जालंधर के भैरो बाजार की गली में एक किलोमीटर दूर से ही इमरती व जलेबी की खुशबू लोगों को प्रकाश जलेबी कार्नर की तरफ खींच ला जाती है। तंग गली में खचाखच लोगों से भरे बाजार में प्रकाश की दुकान तक पहुंचना आसान नहीं है। दोपहिया वाहनों के बीच से बचकर निकलते हुए ग्राहकों की भीड़ के धक्के खाकर प्रकाश की दुकान पर पहुंचने के बाद लोगों को अहसास हो जाता है कि स्वाद तो यहीं है।
दुकान पर 70 साल के प्रकाश ग्राहक से आर्डर लेकर उतनी ही इमरती या जलेबी बनाते हैं, जितना वो खाना चाहते हैं। गर्म इमर्ती व जलेबी का शानदार स्वाद ही इनकी खासियत है। दाल वाली जलेबी के नाम पर जालंधर के लोगों की जुबां पर एक ही नाम आता है सोढ़ी जलेबी कार्नर। तमाम नए लोगों को प्रकाश के बारे में नहीं पता है, लेकिन जो इनकी दुकान पर एक बार पहुंच जाता है वह इनकी जलेबियों के स्वाद का मुरीद हो जाता है।
52 सालों से जलेबी बना रहे प्रकाश चंद बताते हैं कि हिमाचल के हमीरपुर से वह जालंधर आए थे तो उनकी उम्र कम थी। काम की तलाश में जालंधर आने के बाद उन्हें लगा कि बाजार में जलेबी की दुकान नहीं है, इसलिए जलेबी बनाई जाए। उन्होंने 18 साल की उम्र में काम सीखा और बाजार में ही जलेबियां बनाकर बेचने लगे। वह बताते हैं कि पहले बाजार इतना तंग नहीं होता था।
गिनती के लोगों के पास दोपहिया वाहन होते थे। इसलिए गलियों में इतनी भीड़ भी नहीं होती थी। रिक्शा तथा अन्य वाहन तो बाजार में कभी-कभी ही प्रवेश करते थे। कुछ साल फुटपाथ पर जलेबी बनाकर बेचने के बाद प्रकाश ने भैरों बाजार में ही दुकान खरीदी और अपने नाम से ही प्रकाश जलेबी कार्नर खोला। अब उनके साथ-साथ दूसरी पीढ़ी भी दुकान संभालने लगी है, लेकिन जलेबी बनाने की महारथ रखने वाले प्रकाश ग्राहकों के लिए खुद ही जलेबी बनाते हैं। उनके साथ उनका बेटा यशपाल सोनू भी दुकान संभालता है।
यहां की विशेषता
दाल वाली जलेबी, बिना मैदे वाली इमरती, चावल व सूजी से बनने वाले अदरसे व फेनिया बनाने में इनकी महारथ है। जालंधर में यह एकमात्र दुकान है जहां पर पूरे साल फेनियां मिलती है। फेनिया बनाने के लिए विशेष मौकों पर विशेष तौर से कानपुर से कारीगरों को बुलाते हैं। बिना मैदे वाली इमर्ती भी जालंधर में प्रकाश ही बनाते हैं। उनका दावा है कि इस प्रकार की इमर्ती दूसरे हलवाई नहीं बनाते हैं।

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