अजब संयोग! 33 साल पहले जिस ढाबे में हुई थी बेटे की मौत, वहीं जाते समय फौजा सिंह ने गंवाई जान
जालंधर में 114 वर्षीय फौजा सिंह की सड़क हादसे में मौत हो गई। 33 साल पहले उनके बेटे कुलदीप की भी एक हादसे में मौत हो गई थी जिसके बाद फौजा सिंह ने उसकी याद में एक ढाबा बनवाया था। सोमवार को जब फौजा सिंह ढाबे की तरफ जा रहे थे तभी एक तेज रफ्तार कार ने उन्हें टक्कर मार दी जिससे उनकी मौत हो गई।

हर्ष कुमार, जालंधर। 33 साल पहले वर्ष 1992 में फौजा सिंह गांव ब्यास में घर के पास ही नेशनल हाईवे के किनारे अपने बड़े बेटे कुलदीप के लिए ढाबे का निर्माण करवा रहे थे। निर्माण के दौरान दीवारों पर पानी का छिड़काव करने के दौरान शटरिंग गिर गई थी और उस हादसे में उनके बेटे कुलदीप की जान चली गई थी।
फौजा सिंह उस सदमे से धीरे-धीरे तो उबर गए, लेकिन उन्होंने बेटे की याद में उस ढाबे का निर्माण पूरा करवाया और फिर उसे किराये पर दे दिया। ढाबे का नाम आज भी कुलदीप वैष्णो ढाबा है। 114 साल की उम्र में भी फौजा सिंह रोज सैर के दौरान ढाबे का भी एक चक्कर लगाते थे।
किस्मत का खेले देखें कि पठानकोट-जालंधर नेशनल हाईवे पर सोमवार दोपहर करीब सवा तीन बजे एक सफेद रंग की कार ने फौजा सिंह को टक्कर मारी, तब वह सड़क पार कर अपने बेटे कुलदीप की याद में बनाए उसी ढाबे पर जा रहे थे।
हादसे के तुरंत बाद फरार हो गया था आरोपी ड्राइवर
अक्सर जब भी फौजा सिंह को सड़क पार करनी होती थी तो ढाबे पर काम करने वाले युवक उन्हें खुद आकर सड़क पार करवाते थे। सोमवार को ढाबे पर काम था तो युवक ध्यान नहीं दे पाए और फौजा सिंह खुद सड़क पार करने के प्रयास के हादसे का शिकार हो गए।
गांव ब्यास सरपंच के बेटे बलराज सिंह ने बताया कि वह किशनगढ़ से बाल कटवा कर वापस घर लौट रहे थे वह गांव के गेट के पास मुड़ने के पहले देखा कि भोगपुर की तरफ से सफेद रंग की तेज रफ्तार कार आ रही थी और उसने सड़क पार कर रहे फौजा सिंह को टक्कर मार दी।
कार की रफ्तार ज्यादा होने के कारण वहां से मौके से निकल गई। उसी दौरान गांव के गुरप्रीत सिंह बाइक पर और बलवीर व गोपी कार में सवार होकर आ रहे थे। वे उन्हें कार में उन्हें अस्तपाल ले गए।
हादसे के बाद दर्द से कराहते रहे फौजा सिंह
गांव के रहने वाले गुरप्रीत सिंह ने बताया कि वह स्कूल बस चलाने का काम करता है। वह दोपहर को स्कूल से गांव की ओर आ रहा था कि गांव के गेट के पास सड़क बुजुर्ग गिरा हुआ दिखाई थे। उन्होंने देखा तो पता चला कि गांव के फौजा सिंह को कोई टक्कर मार गया है। उसी दौरान गांव से कार में सवार होकर बलराज सिंह और गोपी निकले, जिनकी मदद से उन्होंने घायल हालत में फौजा सिंह को कार में बैठाया।
गुरप्रीत सिंह ने बताया कि कार में बैठने के बाद फौजा सिंह ने कोई बात नहीं की। उन्होंने बात करने की कोशिश की, लेकिन शरीर पर चोटें लगने के कारण वह दर्द से कहरा रहे थे। अस्पताल में पहुंचने के बाद उन्होंने फौजा सिंह के बेटे को हादसे के बारे सूचित कर दिया था।
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