खडूर साहिब में 80 गांवों की संगत करती है माता खीवी जी के लंगर में सेवा, तीन मंजिला इमारत में श्रद्धालु छकते हैं प्रसाद
श्री गुरु अंगद देव जी जब सिखी के प्रचार के लिए खडूर साहिब में पहुंचे तो उस समय उनकी पत्नी माता खीवी जी ने खीर तैयार करके संगत को खिलाई थी। तब से उस जगह पर माता खीवी जी के नाम पर लंगर की सेवा शुरू कर दी गई।

तरनतारन [धर्मबीर सिंह मल्हार]। लोग जानते ही हैं कि लंगर सेवा की शुरुआत सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी ने शुरू की थी। उन्होंने ही 'किरत करो, वंड के छको' का संदेश मानवता को दिया था। तब से लेकर यह सेवा गुरुद्वारा साहिब में चली आ रही है। वहीं खडूर साहिब की बात करें तो इस पवित्र धरती पर आठ गुरु साहिबों के चरण पड़े थे। सिखों के दूसरे गुरु श्री गुरु अंगद देव जी जब सिखी के प्रचार के लिए खडूर साहिब में पहुंचे तो उस समय उनकी पत्नी (महिल) माता खीवी जी ने खीर तैयार करके संगत को खिलाई थी। बस फिर तब से उस जगह पर माता खीवी जी के नाम पर लंगर की सेवा शुरू कर दी गई।
इस जगह पर तीन मंजिला इमारत बनाई गई है जिसका नाम माता खीवी जी लंगर हाल रखा गया है। कार सेवा संप्रदाय के मुखी संत बाबा सेवा सिंह यहां का प्रबंधन देखते हैं। खास बात यह है कि लंगर की इस सेवा से 80 गांवों के श्रद्धालु जुड़े हुए हैं। पहली तारीख से लेकर महीने के आखिरी दिन (31 तारीख) तक इन गांवों की संगत अपनी बारी के मुताबिक गांव से लंगर तैयार करने के लिए रसद लेकर आती है। फिर लंगर हाल में प्रत्येक दिन लंगर तैयार होता है। आसपास और दूरदराज से आने वाली भारी संख्या में संगत माता खीवी जी के लंगर हाल में लंगर छकती हैं। गुरु अंगद देव जी पत्नी माता खीवी जी को प्रथम सिख महिला का खिताब प्राप्त है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में दर्ज बाणी में भी माता खीवी और लंगर के संबंध में श्लोक बिराजमान है।
इन गांवों की संगत करती है लंगर तैयार
खडूर साहिब, बहादुरपुर, भलाईपुर, दुलचीपुर, वड़िंग सूबा सिंह, मुगलाणी, शिंगारपुर, नागोके, अलिया, संघरकोट, लिद्दड़, घग्गे, टोंग, देलांवाल, खोजकीपुर, चक्क करे खां, ढोटा, कोटली, अल्लोवाल, मल्ला, एकलगड्ढा, कुड़ीवलाह, नत्थोके, धारड़, तारागढ़, वेईपुई, लालपुरा, कोट महिता, मीयांविंड, दारापुर, कीड़ी शाही, भलोजला, बोदलकीड़ी, गगड़ेवाल, मालचक्क, दीनेवाल, मथरेवाल, काजीचक्क, कंग, अहमदपुर, वरिया खुर्द, वरिया कलां, नौशहरा पन्नुआ, सोहावा, मुच्छल, उप्पल, चक्क महिर, जवंदपुर, फाजिलपुर, बहक मुंडापिंड, जब्बोवाल, बालिया, मंझपुर, मलिया, तुड़, टांडा, वराणा, रैषियाना, कल्ला, ढोटियां, बाणिया, मंडाला, घसीटपुर, जामाराय, सहिंसरा, जाति उमरा, तख्तूचक्क, सरली कलां, सरली खुर्द, खक्क, जलालाबाद, रामपुर, बिहारीपुर, आलमपुर, बोदेवाल, भिंडर, संघर कलां और चार अन्य गांवों की संगत इसमें लंगर की सेवा करती है।
ये बनता है लंगर में
प्रसादा (रोटी), चावल, मौसमी सब्जी, दाल, चने, सलाद, लस्सी के अलावा रोजाना खीर भी मिलती है।
खीर के लिए चीनी की सेवा इंग्लैंड के बूटा सिंह कर रहे
कार सेवा संप्रदाय के मुखी संत बाबा सेवा सिंह ने बताया कि माता खीवी जी के लंगर में खीर तैयार करने के लिए प्रयोग होने वाली चीनी की पक्की सेवा गुरु घर के सेवादार बूटा सिंह (इंग्लैंड वाले) करते हैं। करीब 13 गांवों की संगत की ओर से खीर के लिए दूध और अन्य रसद मुहैया करवाई जाती है। लंगर तैयार करने से लेकर संगत को छकाने और बर्तनों की सेवा के दौरान साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है।
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