Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    तरनतारन के सभरा गांव में 12 श्मशान घाट, बिना मतलब घिरी पंचायत की 8 एकड़ जमीन, सरकारी अनुदान मिलने में हो रही परेशानी

    By DeepikaEdited By:
    Updated: Fri, 08 Jul 2022 08:34 AM (IST)

    राज्य के पंचायत मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने घोषणा की थी कि जो गांव जात-पात त्याग कर केवल एक श्मशान घाट रखेगा उसे राज्य सरकार 5 लाख रुपये की विशेष सहायता देगी। मंत्री के उस बयान के बाद ही सभरा गांव की चर्चा फिर से शुरू हो गई है।

    Hero Image
    सभरा गांव में बने श्मशान घाट की खस्ता हालत। (जागरण)

    गुरप्रीत सिंह धुन्ना, सभरा (तरनतारन): पट्टी उपमंडल के सभरा गांव में 12 श्मशान घाट और इतने ही धार्मिक स्थल हैं। गांव की लगभग पूरी आबादी गुरु नानक नाम लेवा है, लेकिन इसके बावजूद जाति विभाजन के कारण गांव की पंचायत की 8 एकड़ जमीन बिना मतलब घिरी हुई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    श्मशान घाटों की संख्या अधिक होने के कारण जहां सरकारी अनुदान प्राप्त करने में कठिनाई होती है, साथ ही उचित रख-रखाव का मुद्दा भी खड़ा रहता है। इस गांव की पंचायत चाहती है कि श्मशान घाट केवल एक ही हो और बाकी जमीन का इस्तेमाल विकास के लिए किया जाए। इस गांव की मुख्य आबादी बढ़ई, अनुसूचित जाति और जाट समुदाय से संबंधित है।

    हाल ही में राज्य के पंचायत मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने घोषणा की थी कि जो गांव जात-पात त्याग कर केवल एक श्मशान घाट रखेगा, उसे राज्य सरकार 5 लाख रुपये की विशेष सहायता देगी। मंत्री के उस बयान के बाद ही सभरा गांव की चर्चा फिर से शुरू हो गई है। गांव में 12 पत्तियां हैं। वहीं प्रत्येक पत्ती का एक गुरुद्वारा साहिब और अलग श्मशान घाट है। यहां तक कि दो ऐसे श्मशान घाट भी हैं, जिनकी दीवार साझी है।

    अधिकांश श्मशान घाटों की स्थिति दयनीय

    श्मशान घाटों की संख्या अधिक होने के कारण प्रशासन के लिए इनका जीर्णोद्धार करना मुश्किल है। अधिकांश श्मशान घाटों की स्थिति दयनीय बनी हुई है। झाड़ियों की प्रचुरता के कारण दाह संस्कार एक बड़ी बाधा है। दाह संस्कार के समय शोक संतप्त परिवार को पहले श्मशान घाट की सफाई करनी पड़ती है।

    लाख कोशिशों के बाद भी सहयोग नहीं: सरपंच

    गांव के वर्तमान सरपंच सरदुल सिंह सभरा ने बताया कि श्मशान घाटों की संख्या कम करने के लिए उन्होंने स्वयं कई बार कोशिश की, लेकिन जाति भेद और ग्रामीणों के समर्थन की कमी के कारण यह संभव नहीं हो पाया। श्मशान घाटों की संख्या अधिक होने के कारण इनका विकास नहीं हो सका।

    यह भी पढ़ेंः- Jalandhar Weather Update : जालंधर में सुबह से छाए हल्के बादल, दोपहर के समय धूप खिलने से बढ़ेगी परेशानी