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तकनीक व मशीनरी का करें इस्तेमाल, तभी बनेंगे खुशहाल

कृषि विज्ञान केंद्र बाहोवाल की ओर से गांव टोडरपुर में पराली प्रबंधन संबंधी जागरूकता कैंप लगाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत सहयोगी प्रोफेसर (फसल विज्ञान) डा. गुरप्रताप सिंह ने किसानों का स्वागत करते हुए की।

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Oct 2021 03:41 PM (IST)Updated: Fri, 01 Oct 2021 03:41 PM (IST)
तकनीक व मशीनरी का करें इस्तेमाल, तभी बनेंगे खुशहाल

जागरण टीम, होशियारपुर : कृषि विज्ञान केंद्र बाहोवाल की ओर से गांव टोडरपुर में पराली प्रबंधन संबंधी जागरूकता कैंप लगाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत सहयोगी प्रोफेसर (फसल विज्ञान) डा. गुरप्रताप सिंह ने किसानों का स्वागत करते हुए की। उन्होंने किसानों को धान की पराली को आग नहीं लगाने संबंधी अपील की व उन्हें आग लगाने से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक किया।

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उन्होंने कृषि मशीनरी के माध्यम से धान की पराली प्रबंधन के बारे में विस्तार से तकनीकी जानकारी व गेहूं की काश्त संबंधी महत्वपूर्ण बिदु भी सांझे किए। डिप्टी डायरेक्टर(ट्रेनिग) डा. मनिदर सिंह ने इस दौरान किसानों को धान की पराली को न जलाने व उपलब्ध मशीनरी व तकनीक के माध्यम से इसका योग्य प्रबंधन कर वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने पराली प्रबंधन संबंधी पिछले वर्षों के दौरान कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से इस क्षेत्र के अपनाए गांवों टोडरपुर, पंजौड़ा व पंडोरी गंगा सिंह के किसानों की प्रशंसा की। इन गांवों में प्रगतिशील किसानों ने कृषि व किसान कल्याण विभाग होशियारपुर की मदद से पराली प्रबंधन के लिए 12 के करीब फार्म मशीनरी ग्रुपों का गठन किया। इसमें मशीनरी बेलर, सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, जीरो ड्रिल, उल्टावें हल्ल व मल्चर आदि की मदद से वे सुचारु ढंग से पराली की संभाल कर रहे हैं। गांव टोडरपुर व पंजौड़ा में सुखविदर सिंह व सतनाम सिंह के पास पांच बेलर मौजूद हैं, जिनके माध्यम से वे इलाके के तकरीबन 2500 एकड़ रकबे पर पराली की गांठे बनाते हैं।

इस मौके पर गांव टोडरपुर के प्रगतिशील किसान संदीप सिंह, सुखविदर सिंह व गांव पंजौड़ा के जगतार सिंह, परमजीत सिंह, जसकरन सिंह, अमृत सिंह, सुखविदर सिंह सोना, सुरिदर सिंह, सतनाम सिंह, पवनदीप सिंह, सोहन सिंह, बहादुर सिंह ने पराली प्रबंधन संबंधी अपने सफल अनुभव भी सांझें किए व माहिरों से विचार चर्चा भी की। किसानों की सुविधा के लिए रबी की फसलों के बीज, सर्दी की सब्जियों की किटें, दालों व तेलबीज की किटें, पशुओं के लिए धातु का चूरा, पशु चाट ईंट, मटरों व आलुओं के लिए जीवाणु खाद का टीका व कृषि साहित्य भी उपलब्ध करवाए गए। राज्य व जिला स्तरीय पुरस्कार मिल चुका है

किसानों की प्रशंसा करते हुए बताया कि इनके प्रयासों के चलते ही गांव टोडरपुर व पराली प्रबंधन करने वाले प्रगतिशील किसानों को पिछले वर्षों में राज्य स्तरीय व जिला स्तरीय पुरुस्कार प्राप्त हुए हैं। पिछले दिनों भारत सरकार व कृषि व किसान कल्याण विभाग की ओर से तीन सितंबर 2021 को साहिबजादा अजीत सिंह नगर में फसलों के अवशेषों को आग न लगाने के बारे में अंतरराज्यीय कांफ्रेंस आयोजित की गई थी। जिसमें गांव टोडरपुर के प्रगतिशील किसान संदीप सिंह ने पराली प्रबंधन के बारे में अपने अनुभव सांझे किए थे। सहायक प्रोफेसर (पशु विज्ञान) डा. कवंरपाल सिंह ने पराली का पशु चारे के तौर पर प्रयोग, पशुओं की मौसमी संभाल, खुराक प्रबंधन व बीमारियों की रोकथाम के बारे में विचार सांझे किए।


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