शिव अनादि, अनंत व विश्वविधाता
संवाद सहयोगी, दातारपुर : शिव अनादि है, अनन्त हैं, विश्वविधाता हैं। सारे संसार में एकमात्र शिव
संवाद सहयोगी, दातारपुर : शिव अनादि है, अनन्त हैं, विश्वविधाता हैं। सारे संसार में एकमात्र शिव ही हैं जो जन्म, मृत्यु एवं काल के बंधनों से अलिप्त स्वयं महाकाल हैं। ब्रह्मलीन महंत कृष्ण गिरि जी की 20वीं बरसी समारोह के अवसर पर आज मां कामाक्षी दरबार कमाही देवी में महंत राज गिरि जी की अध्यक्षता में हो रही शिव महापुराण कथा के अंतिम दिन कथा प्रवक्ता स्वामी गोपाल गिरि जी ने प्रवचन करते हुए उक्त चर्चा की। उन्होंने कहा शिव सृष्टि के मूल कारण हैं, फिर भी स्वयं अकर्ता हैं, तटस्थ हैं। सृष्टि से पहले कुछ नहीं था- न धरती, न अम्बर, न अग्नी न वायू, न सूर्य न ही प्रकाश, न जीव न ही देव। था तो केवल सर्वव्यापी अंधकार और महादेव शिव। तब शिव ने सृष्टि की परिकल्पना की। स्वामी गोपाल गिरि ने आगे कहा सृष्टि की दो आवश्यकताएं थीं-संचालन के लिए शक्ति एवं व्यवस्थापक। शिव ने स्वयं से अपनी शक्ति को पृथक किया तथा शिव एवं शक्ति ने व्यवस्था के लिए एक कर्ता पुरूष का सृजन किया जो विष्णु कहलाए। भगवान विष्णु के नाभि से ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई।
विष्णु भगवान ने ब्रह्मदेव को निर्माण कार्य सौंप कर स्वयं सुपालन का कार्य वहन किया। फिर स्वयं शिव जी के अंशावतार रूद्र ने सृष्टि के विलय के कार्य का वहन किया। इस प्रकार सृजन, सुपालन तथा विलय के चक्र के संपादन के लिए त्रिदेवों की उत्पत्ति हुई। इसके उपरांत शिव जी ने संसार की आयु निर्धारित की जिसे एक कल्प कहा गया। कल्प समय का सबसे बड़ा माप है। एक कल्प के उपरांत महादेव शिव संपूर्ण सृष्टि का विलय कर देते हैं तथा पुन: नवनिर्माण आरंभ करते हैं जिसकी शुरुआत त्रिदेवों के गठन से होती है। इस प्रकार शिव को छोड़ शेष सभी काल के बंधन में बंधे होते हैं।
उन्होंने कहा इन परमात्मा शिव का अपना कोई स्वरूप नहीं है तथा हर स्वरूप इन्हीं का स्वरूप है। शिव¨लग इन्ही निराकार परमात्मा का परिचायक है तथा परम शब्द ओम इन्हीं की वाणी। इस अवसर पर बनबारी लाल, सुदर्शन ऐरी, डा. र¨वद्र ¨सह, बलकार ¨सह, चंद्र मोहन, रा¨जद्र मेहता, विक्रांत मेहता, रमन गोल्डी, सरिता, कौशल्या, अनीता कुमारी, शाम मुरारी, छज्जू राम, सुदेश कुमारी, अंजू बाला, सरोज शर्मा, अजय शास्त्री, अजीत ¨सह, शाम लाल आदि भी उपस्थित थे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।