उम्मीदें 2024: पंजाब का अनोखा गांव, जहां एक भी व्यक्ति बेरोजगार नहीं; इस रोजगार मॉडल ने बदली ग्रामीणों की तकदीर
लांबड़ा कांगड़ी होशियारपुर का एक गांव है जहां की कोआपरेटिव सोसायटी ने बेरोजगारी की चुनौती को दूर करने में एक अनूठा मॉडल अपनाया है। इस गांव में कोई भी बेरोज़गार नहीं है क्योंकि सोसायटी ने युवाओं को उनकी रुचि और जरूरत के हिसाब से रोजगार मुहैया कराया है। पेट्रोल पंप टैक्सी एंबुलेंस सोलर प्लांट ट्रैक्टर और बैंक जैसी सुविधाएं गांव के लोगों को उपलब्ध हैं।

हजारी लाल, होशियारपुर। ‘गांव में किसी को भी बेरोजगार नहीं रहने देने’ का संकल्प सिद्ध करने वाली होशियारपुर के गांव लांबड़ा कांगड़ी की कोआपरेटिव सोसायटी की सफलता जनसंख्या नियोजन से जुड़ी चुनौतियों में एक आशा की किरण दिखाती है।
पांच हजार की जनसंख्या वाले इस गांव में कोई भी बेरोजगार नहीं है। यहां वास्तविक सहकार ने गांववालों की सभी आवश्यकताओं को अपनी मुट्ठी में कर लिया है।
लांबड़ा कांगड़ी कोआपरेटिव सोसायटी ने एक अनूठा रोजगार मॉडल अपनाया है, जिसमें गांव के युवाओं को गांव में ही उनकी रुचि व आवश्यकताओं के अनुरूप रोजगार उपलब्ध करवाया गया है।

गांव में मौजूद पेट्रोल पंप (जागरण फोटो)
कोआपरेटिव सोसाइटी ने गांव के युवाओं के लिए अपना पेट्रोल पंप, टैक्सी, वातानुकूलित एंबुलेंस, सोलर प्लांट, ट्रैक्टर, बैंक उपलब्ध करवाकर आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है।
वर्ष 1920 में हुआ था सोसायटी का गठन
लांबड़ा कांगड़ी गांव के लोगों ने वर्ष 1920 में ‘दि लांबड़ा कांगड़ी मल्टीपर्पज कोआपरेटिव सोसायटी’ का गठन किया था। यह सोसाइटी भी अन्य सोसाइटियों की तरह नाम के लिए चल रही थी,लेकिन मात्र कुछ रुपयों से शुरू हुई सोसायटी का वार्षिक टर्नओवर आज लगभग 87 करोड़ तक पहुंच चुका है।

गांव का कृषक ट्रैक्टर चलाते हुए (जागरण फोटो)
यह बदलाव कैसे हुआ? लगभग तीन हजार शेयर होल्डरों वाली सोसायटी के सचिव जसविंदर सिंह बताते हैं कि सोसायटी ने ठीक से काम करना तब शुरू किया जब वर्ष 1999 में पूर्व आइएएस अधिकारी काहन सिंह पन्नू ने सोसाइटी को गोद लिया और उसके पश्चात गांव का स्वरूप व बेरोजगार युवकों का भविष्य बदलना आरंभ हो गया।
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गांव में ही उपलब्ध हुए रोजगार के विकल्प
लांबड़ा कांगड़ी के युवा ही पेट्रोल पंप, टैक्सी, एंबुलेंस, सोलर प्लांट, ट्रैक्टर चलाते हैं और बैंक में काम करते हैं।इससे वे अपने तथा आसपास के गांवों को सर्विस देने के साथ अपना रोजगार भी कमा रहे हैं। गांव वासियों के लिए एक टैक्सी सेवा भी है। गांव के गरीब लोगों को बहुत ही कम खर्च पर युवा उन्हें गंतव्य तक पहुंचा देते हैं।
अस्पताल जाने के लिए सोसायटी की वातानुकूलित एंबुलेंस व छोटे किसानों के लिए ट्रैक्टर व दो दर्जन जनरेटर सेट उपलब्ध हैं। इन्हें चलाने का काम भी गांव के युवा ही करते हैं।

गांव के युवक जिम करते हुए (जागरण फोटो)
लोगों को गांव से शहर ले जाने के लिए गांव के दो ऑटो भी हैं जो युवाओं की कमाई का साधन हैं। गांव में लड़के व लड़कियों के लिए एक जिम व ट्रेनर भी है।
इसके साथ ही, गांव में बीस-बीस महिलाओं के तीन सेल्फ हेल्प ग्रुप चल रहे हैं। इनसे महिलाएं भी आत्मनिर्भर बन रही हैं। सोसायटी के बैंक से गांव के युवा व महिलाएं आसानी से कम ब्याज पर ऋण लेकर स्वरोजगार शुरू कर चुके हैं। युवाओं के लिए एक ट्रेनिंग सेंटर है, जिसमें लड़के लड़कियों को कंप्यूटर सिलाई, कढ़ाई की निश्शुल्क ट्रेनिंग दी जाती है।

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