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    देश के खिलाफ जहर घोलता है सिख फॉर जस्टिस, आतंकी पन्नू के संगठन की करतूतों का पर्दाफाश; 5 साल तक लगा रहेगा बैन

    Updated: Sun, 05 Jan 2025 03:40 PM (IST)

    Sikh for Justice सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) पर प्रतिबंध पांच साल तक जारी रहेगा। केंद्र सरकार के फैसले पर यूएपीए ट्रिब्यूनल ने मुहर लगा दी है। एसएफजे को पांच साल के लिए गैर-कानूनी संगठन घोषित किया गया है। बता दें कि संगठन पर युवाओं को बरगलाना हथियारों की तस्करी राजनीतिक हस्तियों को धमकाना जैसी गतिविधियों के लिए एसएफजे पर कार्रवाई की गई है।

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    गुरपतवंत सिंह पन्नू के संगठन सिख फॉर जस्टिस पर लगा रहेगा बैन (जागरण फोटो)

    एएनआई, चंडीगढ़।  खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू के संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) पर प्रतिबंध जारी रहेगा। एसएफजे पर पांच साल के लिए प्रतिबंध बढ़ाने के संबंध में केंद्र सरकार के फैसले पर यूएपीए ट्रिब्यूनल ने भी मुहर लगा दी है।

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    केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर एसएफजे को पांच साल के लिए गैर-कानूनी संगठन घोषित किया। पिछले साल आठ जुलाई को जारी इस अधिसूचना को यूएपीए ट्रिब्यूनल ने उचित ठहराया। दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरता की अगुवाई वाले गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) ट्रिब्यूनल ने शुक्रवार को माना एसएफजे के खिलाफ केंद्र के पास ठोस साक्ष्य हैं, जिसके आधार पर प्रतिबंध लगाना उचित है।

    युवाओं को बरगलाना, हथियारों की तस्करी इत्यादि करता था संगठन

    इन साक्ष्यों में एसएफजे द्वारा इंटरनेट मीडिया के माध्यम से युवाओं को बरगला कर भर्ती करने, हथियारों और विस्फोटकों की खरीद के लिए तस्करी नेटवर्क के माध्यम से आतंकवाद को फंडिंग, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सहित राजनीतिक हस्तियों की हत्या करने की धमकी देने, सिख सैनिकों के बीच विद्रोह भड़काने की कोशिश जैसी गतिविधियों के बारे में बताया गया है।

    केंद्र ने बब्बर खालसा इंटरनेशनल सहित अंतरराष्ट्रीय खालिस्तानी आतंकी समूहों के साथ एसएफजे के संबंधों के बारे में भी ठोस साक्ष्य दिए हैं। जस्टिस मेंदीरता ने इन साक्ष्यों को विश्वसनीय माना है। ट्रिब्यूनल ने एसएफजे के पाकिस्तान की आइएसआइ के साथ संबंधों और पंजाब को आतंकवाद की आग में फिर झोंकने के पन्नू की कोशिशों पर भी गौर किया।

    यह जांचने के लिए कि एसएफजे को यूएपीए के तहत गैर-कानूनी संगठन घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं या नहीं, यह जांचने के लिए केंद्र सरकार ने हाल ही में यूएपीए ट्रिब्यूनल का गठन किया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आठ जुलाई को एसएफजे को गैर-कानूनी संगठन घोषित करने की अवधि 10 जुलाई, 2024 से अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ा दी।

    साल 2019 में भी लगा था प्रतिबंध

    गृह मंत्रालय ने इससे पहले 2019 में एसएफजे पर इसी तरह का प्रतिबंध लगाया था। मंत्रालय ने राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में एसएफजे की भागीदारी का हवाला देते हुए यूएपीए के तहत प्रतिबंध बढ़ाया है।अधिसूचना के अनुसार एसएफजे भारत की आंतरिक सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाली गतिविधियों में शामिल रहा है, जिसमें भारत से अलग खालिस्तान बनाने के लिए पंजाब और अन्य जगहों पर हिंसक गतिविधियों को उकसाना शामिल है।

    कई आतंकी संगठनों के साथ एसएफजे के घनिष्ठ संबंध हैं। एसएफजे सक्रिय रूप से अलगाववादी गतिविधियों में मदद करता है, जिसमें भारत की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने के प्रयास भी शामिल हैं।