गुरदासपुर में गद्दी नाले ने किसानों को किया बेहाल, धान-गन्ने तबाह होने से हरी फसल काटने को मजबूर लोग
रावी नदी के साथ-साथ गद्दी नाले ने भी मंड क्षेत्र के किसानों को भारी नुकसान पहुँचाया है। जलभराव के कारण धान और गन्ने की फसलें बर्बाद हो गई हैं जिससे किसान हरी फसल काटने को मजबूर हैं। किसान जतिंदर सिंह जैसे कई लोगों ने सरकार से विशेष सर्वेक्षण और उचित मुआवजे की मांग की है ताकि वे आर्थिक संकट से बच सकें।

निशान सिंह चाहल, काहनूवान। रावी नदी ने जहां दीनानगर, डेरा बाबा नानक, रमदास और कालानौर में भारी तबाही मचाई है, वहीं ब्यास नदी के मंड क्षेत्र में गद्दी नाले ने भैणी मीलमा और इसके साथ लगते गांवों के किसानों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है।
हालात यह हैं कि गद्दी नाले के पानी में कई दिनों तक डूबे रहने से धान और गन्ने की फसलें बर्बाद हो गई हैं। पानी में डूबे रहने के कारण भैणी मीलमा के किसान अपनी हरी धान की फसल समय से पहले काटने को मजबूर हो गए हैं।
किसान जतिंदर सिंह झौर ने बताया कि उन्होंने 50 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से जमीन पट्टे पर लेकर उसमें 10 एकड़ धान की फसल बोई थी, लेकिन गद्दी नाले ने उन्हें बर्बादी के कगार पर ला खड़ा किया है। इसलिए उन्होंने हरी धान की फसल को काटने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि उन्होंने हरी धान की फसल काटने के लिए प्रवासी मजदूरों से संपर्क किया था, लेकिन प्रवासी मजदूर 5 से 6 हजार रुपये प्रति एकड़ मजदूरी मांग रहे थे।
उन्होंने सोचा कि यह उनके लिए और भी घाटे का सौदा साबित होगा, क्योंकि उनकी फसल बर्बाद होने से उन्हें भारी नुकसान हुआ है। इसलिए उन्होंने अपने गांव के गुरुद्वारे के लाउडस्पीकर से घोषणा करवाई कि जो भी व्यक्ति अपने पशुओं के लिए हरा चारा चाहता है, वह उनके खेतों से हरी धान की फसल को बेरोकटोक काट सकता है।
किसान जतिंदर सिंह समेत क्षेत्र के बड़ी संख्या में किसानों ने पंजाब सरकार से मांग की है कि ब्यास नदी के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पानी के कारण बर्बाद हुई फसलों की विशेष गिरदावरी करवाई जाए और प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए ताकि आर्थिक रूप से कमजोर हुए किसान आत्महत्या का रास्ता न अपनाएं।
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