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    जिले की 111 मिलों में मात्र 17 को धान की अलॉटमेंट

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 05 Oct 2018 05:23 PM (IST)

    फिरोजपुर : जिले में इस बार धान की नई सरकारी खरीद में पांच हजार एमटी से ज्यादा क्षमता की राइस मिलों के लिए बैंक गारंटी का प्रावधान करने से राइस मिलों क ...और पढ़ें

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    जिले की 111 मिलों में मात्र 17 को धान की अलॉटमेंट

    जासं, फिरोजपुर : जिले में इस बार धान की नई सरकारी खरीद में पांच हजार एमटी से ज्यादा क्षमता की राइस मिलों के लिए बैंक गारंटी का प्रावधान करने से राइस मिलों को धान की अलॉटमेंट करने में अड़चन आ रही है। जिले में धान की खरीद शुरू हो चुकी है। अभी तक सभी राइस मिलों को धान की अलॉटमेंट नहीं हो पाई है। जिले की 111 में से 17 राइस मिलों को ही धान की अलॉटमेंट हुई है। अगर जल्द ही अलॉटमेंट नहीं हुई तो खरीद व्यवस्था प्रभावित होने की आशंका है। डीएफएससी मंगल दास के अनुसार सभी मिलों को बैंक गारंटी के आधार पर धान की अलॉटमेंट करने का प्रयास किया जा रहा है।

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    राइस मिलर्स के अनुसार नई मि¨लग पॉलिसी में प्रावधान किया है कि जिन राइस मिलों की क्षमता पांच हजार एमटी से कम है, उनसे बैंक गारंटी नहीं की जाएगी। जिनकी क्षमता इससे ज्यादा है, उनसे पांच हजार एमटी कोटे से ज्यादा अलॉटमेंट पर धान की कीमत का 5 प्रतिशत तक बैंक गारंटी ली जाएगी। मिलर्स के अनुसार इससे बड़ी मिलों को 50 लाख से 1 करोड़ रुपये तक की बैंक गारंटी देनी पड़ेगी। वर्तमान में मंदी की मार से मिलों का काम प्रभावित है। इससे हर राइस मिलर बैंक गारंटी नहीं दे सकेगा। जिले की 111 राइस मिलों से करीब 100 मिलों की क्षमता पांच हजार एमटी से ज्यादा है।

    जिला खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति नियंत्रक मंगल दास ने कहा कि इस बार जिले में धान की 13 लाख 6 हजार एमटी खरीद करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस धान को प्रोसे¨सग कर चावल बनाने के लिए 111 राइस मिलर्स को अलॉट किया जाएगा। मंडियों में धान की आमद होने के बाद खरीद एजेंसियां खरीद के बाद कट्टों में पै¨कग कर प्रोसे¨सग के लिए राइस मिलर्स को भेजती हैं। इससे आमद ज्यादा होने की स्थिति में मंडियों में उठाव सुचारु रहता है। अगर जल्द ही राइस मिलों को धान का अलॉटमेंट नहीं हुआ तो उठाव प्रभावित होने से खरीद के दौरान अव्यवस्था होने की आशंका जताई जा रही है। हालांकि अभी तक मंडियों में धान का उठाव शुरू नहीं हुआ है। आमद भी कम हो रही है।