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    280 किसानों के 28 ग्रुप बने, नहीं जलाएंगे पराली

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 13 Oct 2018 10:19 PM (IST)

    फिरोजपुर : सरकारी स्तर पर पराली जलाने की बजाय निस्तारण के विकल्प उपलब्ध करवाने से जिले के किसान भी पराली जलाने को न कहने लगे हैं। इस बार 280 किसान परा ...और पढ़ें

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    280 किसानों के 28 ग्रुप बने, नहीं जलाएंगे पराली

    संदीप ¨सह धामू, फिरोजपुर : सरकारी स्तर पर पराली जलाने की बजाय निस्तारण के विकल्प उपलब्ध करवाने से जिले के किसान भी पराली जलाने को न कहने लगे हैं। इस बार 280 किसान पराली नहीं जलाएंगे। उन्होंने पराली के खेत में ही निस्तारण के लिए मशीनरी लेने की खातिर 28 ग्रुप बनाए हैं। इन्हें कृषि विभाग की ओर से तीन करोड़ रुपये सब्सिडी देकर पराली के प्रदूषण रहित निस्तारण में मददगार बनने वाले कृषि उपकरण उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। किसानों के ग्रुप सब्सिडी पर लिए अपने उपकरण किराए पर देकर कमाई भी सकेंगे। इसे दूसरे किसानों को भी फायदा होगा। जिले में इन सीटू स्टबल मैनेजमेंट प्रोजेक्ट के तहत गठित इन ग्रुपों से 280 किसान जुड़ चुके हैं। इससे अन्य किसानों को भी फायदा होगा। दूसरी तरफ अगर कोई किसान पराली से कंपोस्ट खाद बनाने के लिए जमीन में गड्ढा खोदना चाहेगा तो उसे मनरेगा के तहत मजदूर भी उपलब्ध करवाए जाएंगे। इसमें अढ़ाई एकड़ जमीन के मालिक किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी।

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    कृषि विभाग ने किसानों के 25 ग्रुप ऐसे गठित किए हैं, जिन्हें 10-10 लाख रुपये तक की मशीनरी खरीदने के लिए 80 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी। इसके अलावा गांव बहक फत्तू और झोक मोड़ में दो ग्रुपों को 25-25 लाख रुपये और गांव डेरा रामलाल के किसानों एक ग्रुप को 75 लाख रुपये तक की मशीनरी खरीदने के लिए 80 प्रतिशत सब्सिडी की सुविधा दी जाएगी। जिले के मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. रिछपाल ¨सह खोसा के अनुसार ग्रुप बनाकर सब्सिडी लेने के लिए हर ग्रुप में 10 किसान होने जरूरी हैं। इन्हें चार साल में 25-25 प्रतिशत की किश्तों में सब्सिडी प्रदान की जाएगी, ताकि मशीनरी का उपयोग लगातार होता रहे।

    सब्सिडी की मशीनरी से 10 हजार एकड़ पराली न जलाने की संभावना

    मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. खोसा के अनुसार सब्सिडी पर हैप्पी सीडर, चोपर कम सरेडर, मल्चर, रीबर्सिबल प्लो, बेलर सहित अन्य उपकरण किसानों को उपलब्ध करवाए जा रहे है। इससे ग्रुप बनाने वाले किसानों व अन्य किसानों की 10 हजार हैक्टेयर धान की पराली को आग बचाए जाने की संभावना है। जिन गांवों में ग्रुप बनाए हैं, वहां के ग्रुप में न शामिल होने वाले किसानों को भी मशीनरी किराए पर मिलने की सुविधा मिलेगी। इससे वे किसान भी पराली को खेत में ही मिला सकेंगे।

    आठ साल से चल रहा जिले का पहला ग्रुप

    जिले में पराली निस्तारण के लिए अपने स्तर पर मशीनरी खरीदने वाला पहले ग्रुप फार्मर हेल्प सोसायटी धीरापातरा पिछले आठ साल से काम कर रहा है। सोसायटी के प्रधान बूटा ¨सह के अनुसार उनसे 40 किसान जुड़े हुए हैं, जो करीब 500 एकड़ धान की फसल की पराली को आग नहीं लगाते। प्रधान बूटा ¨सह के अनुसार अगर सरकार सब्सिडी की सुविधा देकर किसानों के ग्रुप बनाकर मशीनरी उपलब्ध करवाए तो धान की पराली के बड़े हिस्से को आग से बचाया जा सकता है।