कोरोना से मिला ऐसा भी सबक: जीवनभर की कमाई गंवाई, मुश्किलें भी सहीं...और अब ब्लैकलिस्ट
कोरोना संकट ने विदेश में अवैध तरीके से रह रहे भारतीयों काे तगड़ा सबक दिया है। इनमें पंजाब व हरियाणा के लोगों काफी हैं। ये जांच में पकड़े जाने के बाद डिपोर्ट किए जा रहे हैं।
फतेहगढ़ साहिब, [धरमिंदर सिंह]। अवैध तरीके से विदेश जाने वाले भारतीय युवाओं और लाेगों के लिए कोरोना एक सबक लेकर आया। कोरोना के कारण सालों से गैर-कानूनी तरीके से वहां रह रहे लोगों की अब पहचान होने लगी हैं और उन्हें डिपोर्ट किया जाना भी शुरू हो चुका है। इसकी शुरुआत अमेरिका ने की और वहां से बीते दिनों 167 लोगों को भारत वापस भेज दिया। इनमें से अधिकतर ऐसे हैं जिनकी पहचान कोरोना काल के दौरान हुई। अमेरिकन एजेंसियां स्वास्थ्य जांच के लिए इनके पास पहुंची तो वहां के निवासी होने का कोई रिकॉर्ड ही नहीं था।
कोरोना काल में अवैध तरीके से विदेशों में बसे भारतीय होने लगे डिपोर्ट
13 से 15 लाख रुपये देकर अमेरिका गए इन लोगों का पैसा तो गया ही, साथ ही वे ब्लैक लिस्ट भी हो गए। सात से दस साल तक तो वहां का रुख भी नहीं कर पाएंगे। भारत लौटने वाले 167 लोगोंं में तीन फतेहगढ़ साहिब के भी हैं। ये लोग बहुत परेशान हैं और अब उन्हें कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है।
कठिनाइयों को पार कर चार महीने बाद तो पहुंचे थे अमेरिका, डिटेंशन सेंटर में भी गुजारने पड़े थे दिन
यहां माता गुजरी सराय में 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन किए गए इन युवकों का दर्द इनकी आपबीती में साफ झलक रहा था। कहा कि अकेले अमेरिका में ही लाखों की गिनती में भारतीय अवैध तरीके से रह रहे हैं। वहां सख्ती होने पर धीरे-धीरे सब सामने आने लगे क्योंकि कोरोना से मरने की बजाय वे अपने वतन लौटना चाहते हैं।
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केस एक : ऐत्थे दिहाड़ी कर लवांगे, दोबारा नी जांदे
बस्सी पठाना के गांव गोपालों के मनजीत सिंह ने बताया कि परिवार की गरीबी दूर करने के लिए विदेश जाने का मन बनाया था। हरियाणा के एजेंट से 13 लाख में सौदा हुआ। 20 मई 2019 को दिल्ली से एक्वाडोर तक जहाज में पहुंचा। वहां से 15 से 20 लोगों के ग्रुप में टरबो का समुद्र पार करवाया गया। बेहद कठिनाई और भूखे रहकर पनामा के जंगलों को आठ दिन में पैदल चलकर पार किया।
उसने बताया कि वह न्यू मैक्सिको से होते हुए आखिरकार सितंबर 2019 में अमेरिका के कनराडो पहुंचा था। चोरी छिपे एक स्टोर पर काम करता रहा। अप्रैल में वहां रेड हुई तो पकड़ा गया। दोबारा जाने के सवाल पर बोला, 'ऐत्थे दिहाड़ी कर लवांगे, दोबारा नी जांदे' (यहां दिहाड़ी कर लेंगे लेकिन दोबारा वहां नहीं जाएंगे)। मनजीत के पिता हरजीत सिंह तो फोन पर बात करते ही रो पड़े। कहा, लोन लेकर बेटे को भेजा था। अभी तो ब्याज भी नहीं चुकाया जा सका।
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केस दो : अब तो जमीन भी नहीं जो खेती कर सकूं
गांव हिंदूपुर के जगतार सिंह के पिता की मौत हो गई थी। विदेश जाने का सपना पूरा करने के लिए जमीन बेच दी और 15 लाख एजेंट को दिए। 9 मई 2019 को दिल्ली से एक्वाडोर गया। उसे भी समुद्र व जंगल के रास्ते अमेरिका के टेक्सस पहुंचाया गया। ग्रुप के कई लोग जंगल में ही मर गए। वहां तो किस्मत साथ दे गई लेकिन गैर-कानूनी तरीके से काम करते हुए पकड़ा गया।
केस तीन : एक पैसा भी नहीं कमा पाया
कमायागांव गोपालों के वरिंदर सिंह को तो नौ महीने डिटेंशन सेंटर में रहना पड़ा। 15 लाख देकर अमेरिका के कैलिफोर्निया तो पहुंच गया लेकिन जाते ही पकड़ा गया। एक भी पैसा नहीं कमा सका।
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