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    फरीदकोट में 2026 में शुरू होगी रोबोटिक सर्जरी, पूरी तरह AI से होगा लैस; नहीं होने देगा कोई गलती

    Updated: Wed, 31 Dec 2025 05:50 PM (IST)

    फरीदकोट के गुरु गोबिंद सिंह मेडिकल कॉलेज में 2025 में उत्तर भारत की पहली रोबोटिक सर्जरी ट्रेनिंग शुरू हुई। 4.5 करोड़ के AI-युक्त सिमुलेटर से डॉक्टर प् ...और पढ़ें

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    फरीदकोट के गुरु गोबिंद सिंह मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में रोबोटिक सिमुलेटर से प्रशिक्षण प्राप्त करते हुए डॉक्टर।

    जतिंदर कुमार, फरीदकोट। स्वास्थ्य सेवाओं में वर्ष 2026 फरीदकोट के लिए एक नई पहचान लेकर आ रहा है। इस वर्ष जहां नार्थ इंडिया में पहली बार किसी सरकारी अस्पताल में रोबोटिक सर्जरी की ट्रेनिंग शुरू हुई, वहीं अगले वर्ष इसी पहल के विस्तार के तौर पर मरीजों के लिए सीधे रोबोटिक सर्जरी शुरू होने की उम्मीद है। यह कदम न सिर्फ पंजाब, बल्कि देश भर के डॉक्टरों और मरीजों के लिए राहत और उन्नत इलाज का रास्ता खोलेगा।

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    फरीदकोट स्थित गुरु गोबिंद सिंह मेडिकल कॉलेज व अस्पताल ने 2025 में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए नार्थ इंडिया में पहली बार किसी सरकारी अस्पताल में रोबोटिक सर्जरी की ट्रेनिंग शुरू की है।

    साढ़े चार करोड़ रुपये की लागत से यहां एआई से लैस अत्याधुनिक रोबोटिक सिमुलेटर लगाया गया है, जिसके जरिए पंजाब ही नहीं, बल्कि देश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे।

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    डॉ. सौरव सिन्हा।

    अब तक रोबोटिक सर्जरी का प्रशिक्षण लेने के लिए डॉक्टरों को मुंबई, हैदराबाद या बेंगलुरु जैसे शहरों का रुख करना पड़ता था। यह मेडिकल कॉलेज बाबा फरीद यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ साइंसेज के अधीन संचालित है।

    रोबोटिक सिमुलेटर के जरिए गायनी, प्रोस्टेट, पित्ताशय समेत विभिन्न प्रकार की सर्जरी का अभ्यास कराया जा रहा है। खास बात है कि प्रशिक्षण के दौरान कोई गलती होती है तो एआई से लैस यह मशीन तुरंत अलर्ट करती है और सुधार के उपाय भी सुझाती है।

    पूर्ण ट्रेनर की तरह काम करती है मशीन

    कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सौरव सिन्हा के अनुसार यह मशीन पूर्ण ट्रेनर की तरह काम करती है। प्रोफेसर एवं यूनिट हेड डॉ. संदेश गंजू का कहना है कि रोबोटिक सर्जरी खासकर कैंसर के मामलों में बेहद लाभकारी है।

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    डॉ. संदेश गंजू।

    प्रोस्टेट, किडनी, ब्लैडर, बच्चेदानी और अंडेदानी के कैंसर में यह तकनीक कम समय, कम रक्तस्राव और अधिक सुरक्षा के साथ आपरेशन संभव बनाती है। थ्री-डी विजन के कारण नसों को नुकसान की आशंका भी कम हो जाती है और मरीज को अस्पताल में कम समय रहना पड़ता है।