मानव जीवन और पर्यावरण दोनों के लिए प्लास्टिक हानिकारक
प्लास्टिक का उपयोग अधिक से अधिक सर्वव्यापी होता जा रहा है।

संवाद सूत्र, कोटकपूरा
प्लास्टिक का उपयोग अधिक से अधिक सर्वव्यापी होता जा रहा है। इसके हानिकारक प्रभावों ने हमारे जीवन और पर्यावरण को नर्क में बदल दिया है। यह विचार बाबा फरीद मेडिकल यूनिवर्सिटी फरीदकोट के कार्यकारी इंजीनियर व स्टेट अवार्डी राज अग्रवाल ने लायंस क्लब के विश्व पर्यावरण दिवस को समर्पित समारोह में लोगों को जागरूक करते हुए व्यक्त किए।
राज अग्रवाल ने कहा कि हम जानते हैं कि यह सूक्ष्म जीवों से प्रभावित नहीं होता है और न ही गलता है। ऐसा अनुमान है कि जहां एल्युमीनियम को खत्म होने में पांच लाख वर्ष लगते हैं, वहीं प्लास्टिक को दस लाख वर्ष लगते हैं। इसलिए इसके इस्तेमाल को कम करने की जरूरत है। प्लास्टिक के लिफाफों और बोतलों का उपयोग करने के बाद जब हम कचरा फेंकते हैं तो उसे पशु-पक्षी खा जाते हैं। इससे पालीथिन उनके शरीर में घुसकर उनकी मौत का कारण बनती है। उन्होंने कहा कि बाजार से सामान लाने के बाद हम प्लास्टिक के लिफाफों को बाहर फेंक देते हैं, जो उड़कर खेतों में गिर जाते हैं और पौधों को समय पर धूप मिलने से रोकते हैं, जिससे उनकी वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। नालों में जाने वाले अधिक पालीथिन लिफाफे न केवल सीवरेज की निकासी को रोकते और गंदे पानी के ठहराव का कारण बनते हैं जिस पर मक्खियां, मच्छर आदि विभिन्न बीमारियां फैलाते हैं। प्लास्टिक को जलाने से उत्पन्न सल्फर डाइआक्साइड, नाइट्रोजन और कई अन्य गैसें वातावरण में अम्लीय वर्षा और मनुष्यों में कई बीमारियों का कारण बनती हैं। दुनिया भर में इस्तेमाल होने वाली लगभग 50 प्रतिशत प्लास्टिक का उपयोग पैकेजिग या प्लेट, चम्मच के लिए किया जाता है। यदि पैकिग आदि के लिए पालीथिन का उपयोग कम किया जाए तो इससे उत्पन्न होनेवाला कचरा काफी कम हो जाएगा। जब भी कोई वस्तु बाजार से लानी हो तो कपड़े या जूट की थैलियों घर से लेकर जाना चाहिए। काले प्लास्टिक के लिफाफे
बहुत हानिकारक पदार्थों से बने होते हैं का उपयोग न करे।
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्लास्टिक की डिस्पोजेबल वस्तुओं जैसे प्लास्टिक स्टिक ईयर बड्स और गुब्बारे, प्लास्टिक के झंडे, कैंडीस्टिक, आइसक्रीम स्टिक, थर्मोकोल,प्लास्टिक प्लेट, कप, गिलास, चम्मच, स्ट्रॉ, ट्रेरैपिग और पैकिग फिल्म,मिठाई के डिब्बे, निमंत्रण कार्ड और सिगरेट के पैकेट, प्लास्टिक और पीवीसी बैनर आदि को 1 जुलाई, 2022 से पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जा रहा है। इसलिए डिस्पोजेबल एक बार उपयोग वाले ग्लास, कप और प्लेट आदि का उपयोग कम करने की बहुत आवश्यकता है।
इंजीनियर राज अग्रवाल ने
कहा कि प्लास्टिक पर्यावरण के लिए हानिकारक है। घर में खाद्य पदार्थों को स्टोर करने के लिए घटिया प्लास्टिक के कंटेनरों का उपयोग किया जाता है,जिसके गंभीर स्वास्थ्य परिणाम हो सकते हैं। पॉलीथिन के लिफाफों से कितना नुकसान हो सकता है।
इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि रेडीमेड कपड़ों को पैक करने वाले लिफाफे में बच्चों को न देने का साफ निर्देश होता है. इससे खेलते समय बच्चे का दम घुट सकता है।इसलिए इनके इस्तेमाल को रोकने की जरूरत है। हालांकि सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा पॉलीथिन के उपयोग को रोकने के लिए अभियान चलाए जा रहैं है,लेकिन यह अभी तक पूरा नहीं हुआ है। करने के लिए बहुत कुछ बाकी है।
इस मौके पर सभी को संकल्प दिलाया गया कि हम सभी पॉलीथिन का उपयोग नहीं करेंगे। हम इससे ठीक से निपटेंगे ताकि पर्यावरण और प्रदूषित न हो।
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