हमें आलोचना स्वीकार, लेकिन दबाव स्वीकार नहीं : हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि हर दोषी करार दिए गए व्यक्ति को अपील में निष्पक्ष सुनवाई का हक है और जो उसका कानूनी अधिकार बनता है उसे कोई उससे नहीं छीन ...और पढ़ें

जेएनएन, चंडीगढ़। कुछ लोग न्यायपालिका की आलोचना केवल अपने स्वार्थ के लिए कर रहे हैं, उसका हम पर कोई फर्क नहीं पड़ता। हमें आलोचना स्वीकार है, लेकिन वो लोग किसी भी तरह का दवाब नहीं बना सकते और न ही हम उनके दवाब में आने वाले हैं। हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस एसएस सारों व जस्टिस अवनीश झिंगन पर आधारित खंडपीठ ने यह टिप्पणी हरियाणा के शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा व भाजपा सांसद साक्षी महाराज के खिलाफ कार्रवाई की मांग की दो अलग-अलग याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई के दौरान की।
हाईकोर्ट के वकील जगबीर मलिक व अन्य ने अलग-अलग जनहित याचिका दाखिल करते हुए हरियाणा के शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा के बयान का मुद्दा उठाया। याची की ओर से कहा गया कि रामविलास शर्मा ने कहा था कि डेरा समर्थकों पर धारा 144 नहीं लागू होती है और वो हमारे अतिथि हैं। उन्हें भोजन और पानी उपलब्ध करवाने के लिए वे बाध्य हैं।
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इसके साथ ही राम रहीम के जन्मदिन पर उन्हें 51 लाख रुपये अपने निजी कोष से रामविलास शर्मा ने दिए, जो जनता का पैसा था। कुल मिलाकर सरकार का उनको पूरा सहयोग था। याचिका में कहा गया कि रामविलास शर्मा एक तरह से डेरा के प्रवक्ता का काम कर रहे थे। इसके साथ ही साक्षी महाराज सहित अन्य लोगों की हाईकोर्ट के खिलाफ दिए गए बयानों को अवमानना करार देते हुए इनके खिलाफ न्यायालय की अवमानना के तहत कार्रवाई करने की अपील की गई।
साथ ही डीजीपी और पंचकूला के पुलिस कमिश्नर को तलब कर उनसे इस स्थिति पर जवाब मांगने की अपील की गई। बेंच ने कहा कि जो लोग आलोचना कर रहे हैं उन्हें करने दो हमें उनकी परवाह नहीं। न्यायपालिका आलोचना सुनने को तैयार है, लेकिन यदि कोई आलोचना के माध्यम से न्यायपालिका पर दबाव बनाने का प्रयास करेगा तो उसे बिलकुल भी सहन नहीं किया जाएगा।
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हर दोषी को अपील का हक
हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि हर दोषी करार दिए गए व्यक्ति को अपील में निष्पक्ष सुनवाई का हक है और जो उसका कानूनी अधिकार बनता है उसे कोई उससे नहीं छीन सकता। राम रहीम भी यदि अपील करेंगे, तो जो उनका कानूनी हक है, वो उन्हें मिलेगा ही। कोर्ट में न्याय मिलता है यहां आंखें मूंद कर रबड़ की स्टैंप नहीं लगती है। याचिकाकर्ता ने कहा कि इस मामले में जांच को वर्तमान में कार्यरत हाईकोर्ट के जज से करवाया जाए और राजनीतिक नेतृत्व की इसमें भूमिका की जांच का जिम्मा सीबीआइ को सौंपा जाए।
बेंच ने कहा कि इन चीजों पर सुनवाई कर वो मुख्य मुद्दे से भटकना नहीं चाहते। हिंसा, नुकसान और वसूली के साथ ही इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई पर अभी काम करना है ऐसे में अन्य विषयों पर सुनवाई करना मुख्य विषय से भटकना है। बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट पूरे मामले पर नजर रखे हुए हैं। इन सभी याचिका पर कल जनहित याचिका के साथ सुनवाई होगी।

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