Punjab Results 2022: पंजाब में युवाओं और महिलाओं के भरोसे मिली आप को प्रचंड जीत
Punjab Results 2022 पंजाब में आम आदमी पार्टी की प्रचंड जीत ने राज्य में सारे सियासी समीकरण ध्वस्त कर दिए। आप की जीत के कई कारण हैं लेकिन इनमें सबसे ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Punjab Results 2022: 2014 के लोकसभा चुनाव में पंजाब से चार सीटें जीतकर खाता खोलने वाली आम आदमी पार्टी 2022 के चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ पंजाब की सत्ता में आ गई है। आप 92 सीटें लेकर अब तक के पंजाब विधानसभा चुनाव के इतिहास में रिकार्ड सीटें लेने वाली एकमात्र पार्टी बन गई है। पंजाब में आप की प्रचंड जीत से सारे सियासी समीकरण ध्वस्त हो गए। आप की जीत के कई कारण रहे, लेकिन इसमें खास महिलाओं और युवाओं का समर्थक सबसे खास रहा।
सत्ता मिलने के बाद अब लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरना होगी सबसे बड़ी चुनौती
आम आदमी पार्टी को इतनी बड़ी जीत के पीछे महिलाओं और युवाओं का हाथ रहा है। युवाओं और महिलाओं ने स्थापित पार्टियों को छोड़कर पहली बार सत्ता ऐसे हाथों में सौंपी है जिनके ज्यादातर विधायक पहली बार विधानसभा पहुंचेंगे। नतीजों से साफ है कि पंजाब के लोगों ने आप के नारे 'एक मौका केजरीवाल को, एक मौका भगवंत मान को', पर पूरा भरोसा किया है। जिस तरह आप के नए उम्मीदवारों ने दिग्गजों को पटखनी दी है उसे स्पष्ट है कि लोगों के सामने उम्मीदवार नहीं बल्कि झाड़ू का चुनाव चिन्ह ही था।
आम आदमी पार्टी के लिए यह राह इतनी आसान नहीं थी, 2014 में जब आप को पंजाब ने चार लोकसभा सीटें दीं तो पार्टी यह लय कायम नहीं रख सकी। तीन साल बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के पक्ष में बदलाव की लगभग वही लहर थी जिस लहर पर वह अब थी। आप ने उस वक्त कई गलतियां करके हाथ में आ रही सत्ता को गंवा दिया।
पार्टी ने पहले बिना कारण अपने प्रदेश अध्यक्ष सुच्चा सिंह छोटेपुर को बदल दिया। उन पर पैसे लेकर टिकटें देने के आरोप लगे, पार्टी ने तब इसकी परवाह नहीं की। पूरी दिल्ली की टीम को चंडीगढ़ में बिठा दिया गया जिसका पंजाबी बुरा मान गए। पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को ऐसे घरों में ले जाया गया जो गर्मख्याली थे। इस कारण पंजाब का ¨हदू वर्ग उनसे खासा नाराज होकर कांग्रेस की ओर मुड़ गया। इसलिए पार्टी उस समय भी 100 सीटें जीतने का दावा कर रही थी लेकिन 20 सीटों पर सिमट कर रह गई।
पांच साल तक पार्टी अपने 20 विधायकों को अपने साथ कायम नहीं रख सकी। पहले एचएस फूलका और फिर सुखपाल खैहरा को विपक्ष का नेता बनाया लेकिन दोनों को बाद में बाहर का रास्ता दिखा दिया। आप के संयोजक अर¨वद केजरीवाल की ओर से बिक्रम मजीठिया से माफी मांगे जाने से पार्टी में बगावत खड़ी हो गई। पार्टी के करीब एक दर्जन से ज्यादा विधायक आप को छोड़ गए।
यह भी पढ़ें: कभी शिअद की रैलियों में करते थे कामेडी, आज उसके दिग्गजों को हराकर बनेंगे सीएम, जानें भगवंत मान की कहानी
2017 के विपरीत 2022 में आप ने ऐसी कोई गलती नहीं की। भगवंत मान पर पूरा भरोसा जताते हुए मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया जब चुनाव में कुछ ही समय बाकी था। बंदी सिखों की रिहाई, नदी जल विवाद जैसे विवादित मुद्दों पर भी बयान देने से पार्टी बचती रही और अपना एकमात्र एजेंडा बिजली, पानी, अस्पताल और स्कूलों की सुविधाएं देने पर रखा। जिस पर लोगों ने भरोसा कर आप को सत्ता सौंप दी।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।