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    अब ये किसान MSP पर नहीं बेच सकेंगे फसल, एक्शन में हरियाणा सरकार; इस वजह से गिरी गाज

    Updated: Thu, 02 Oct 2025 06:34 PM (IST)

    हरियाणा सरकार ने पराली जलाने वाले किसानों पर सख्ती बढ़ा दी है। 22 किसानों के रिकॉर्ड में रेड एंट्री की गई है जिससे वे एमएसपी पर फसल नहीं बेच पाएंगे। उन पर जुर्माना और एफआईआर भी दर्ज कराई जाएगी। पराली जलाने के मामलों को रोकने के लिए पराली प्रोटेक्शन फोर्स बनाई गई है और सेटेलाइट से निगरानी की जा रही है।

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    पराली जलाने वाले 22 किसानों के रिकार्ड में रेड एंट्री, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं बेच सकेंगे फसल।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में पराली (धान के फसल अवशेष) जलाने वाले किसानों पर सरकार ने सख्ती बढ़ा दी है। अभी तक 22 किसानों के रिकार्ड में रेड एंट्री की जा चुकी है। यह किसान अगले दो सीजन तक अनाज मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अपनी फसल नहीं बेच सकेंगे।

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    इन किसानों पर जुर्माने और एफआईआर दर्ज कराने के साथ ही उन अधिकारियों से भी जवाब तलबी की जाएगी, जो पराली जलाने के मामलों को रोक नहीं सके। राहत की बात यह कि पिछले साल की तुलना में अभी तक कम पराली जली है।

    हालांकि, त्योहारों के दौरान मामले तेजी से बढ़ने की आशंका है। अभी तक प्रदेश में पराली जलाने के 17 मामले सामने आए हैं। चरखी दादरी में 15, जींद में चार, करनाल में दो और फतेहाबाद में एक किसान के खिलाफ कार्रवाई की गई है। पराली जलाने के मामलों को न्यूनतम स्तर पर लाने के लिए धान बाहुल्य जिलों में पराली प्रोटेक्शन फोर्स बनाई गई हैं।

    टास्क फोर्स में पुलिस कर्मचारियों के साथ कृषि अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी शामिल किए गए हैं, जो खेतों की निगरानी करते हुए किसानों को पराली जलाने से रोकेंगे। इतना ही नहीं, सेटेलाइट के माध्यम से भी खेतों की निगरानी की जा रही है। रात के अंधेरे में आग लगाने वाले किसान भी कार्रवाई से बच नहीं सकेंगे क्योंकि सेटेलाइट के माध्यम से अब खेत में पड़ी राख से भी ऐसे मामलों का आसानी से पता चल जाएगा।

    फसल अवशेष प्रबंधन योजना के अंतर्गत तैनात ग्राम स्तरीय नोडल अधिकारी, खंड स्तरीय निगरानी टीम तथा उपमंडल स्तरीय निगरानी टीम को निर्देश दिए हैं कि वे हरसेक प्रणाली द्वारा प्रदत्त डेटा एवं लोकेशन के आधार पर अपने-अपने क्षेत्रों में सतत निगरानी रखें। पराली जलाने की सूचना प्राप्त होने पर तुरंत मौके पर पहुंचकर उचित कार्रवाई सुनिश्चित करें।

    किसानों को समझाया जाएगा कि वे पराली की गांठ बनाकर गोशालाओं को सौंपकर या पंचायती भूमि पर भंडारण कर 1200 रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि प्राप्त कर सकते हैं। इससे वे आसानी से पराली निस्तारण के साथ ही अतिरिक्त कमाई कर सकेंगे।