गुड़िया रेप केस: रोटी मांगने पर तब तक पीटा जब तक चीखें बंद नहीं हुई, चश्मदीद ने बताई थी पुलिस की हैवानियत
Gudiya Rape-Murder Case शिमला के कोटखाई में गुड़िया (काल्पनिक नाम) दुष्कर्म और हत्या के मामले में पुलिस हिरासत में हुई सूरज सिंह की मौत के मामले में सीबीआई कोर्ट ने 8 पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इस मामले का ट्रायल चंडीगढ़ सीबीआई कोर्ट में चला। सूरज सिंह की पुलिस हिरासत में मौत हुई थी।

रवि अटवाल, चंडीगढ़। किसी बेगुनाह को जुर्म स्वीकार करवाने के लिए पुलिस किसी भी हद तक जा सकती है। शिमला के चर्चित पुलिस हिरासत में हत्या मामले में ऐसा ही कुछ हुआ था। 18 जुलाई 2017 की रात शिमला से करीब 57 किलोमीटर दूर कोटखाई पुलिस स्टेशन में कुछ युवकों को नाबालिग से दुष्कर्म व हत्या के मामले में जुर्म स्वीकार करने के लिए अमानवीय तरीके से प्रताड़ित किया गया।
पुलिस की मार सह नहीं पाया था सूरज
नेपाली मूल का सूरज सिंह पुलिस की मार सह नहीं सका और उसने लॉकअप में ही दम तोड़ दिया। पुलिस की हैवानियत यही नहीं रुकी, उसकी हत्या का आरोप उसके साथी राजिंदर उर्फ राजू पर डाल दिया गया, लेकिन सीबीआई को दिए बयान और कोर्ट में राजू की गवाही ने पुलिस की पोल खोल दी।
राजू ने चंडीगढ़ सीबीआई कोर्ट को बताया था कि उस रात सूरज को एक रोटी मांगने पर इतनी बुरी तरह पीटा गया कि चीखें निकल गई। पुलिसकर्मी तब तक उसे पीटते रहे जब तक चीखें बंद नहीं हुई।
इस मामले में अहम थी राजू की गवाही
राजू की गवाही इस केस में बेहद अहम थी। वह कोटखाई तहसील के गांव हलाइला का रहने वाला था और आम के बाग में अकाउंटेंट का काम करता था। शिमला के चर्चित दुष्कर्म-हत्या मामले में पुलिस ने राजू समेत छह युवकों को हिरासत में लिया था।
14 जुलाई 2017 को पांचों को पुलिसकर्मियों ने ठियोग कोर्ट में पेश कर सात दिन का रिमांड लिया। उन्हें कोटखाई थाने ले जाया गया। वहां एसएचओ राजिंदर सिंह, हेड कांस्टेबल मोहन लाल, सूरत सिंह, रफी मोहम्मद और रंजीत स्टेटा उन्हें रोज बुरी तरह पीटते थे।
एक रोटी मांगने पर बुरी तरह पीटा
रंजीत ने उनके मुंह पर घूंसे मारे। उन्हें एक टांग पर खड़ा रखा और उन्हें बैठने नहीं दिया जाता था। उन्हें डंडों और बिच्छू बूटी से पीटा गया। 18 जुलाई 2017 की शाम को जब उन्हें खाना दिया तो सूरज को काफी भूख लगी थी और उसने एक अतिरिक्त रोटी मांगी।
उसे रोटी तो नहीं दी गई, पुलिसकर्मी उसे थाने की पहली मंजिल पर ले गए। वहां उसे करीब 40-45 मिनट बुरी तरह पीटा गया। उसकी चीखें नीचे तक सुनाई दे रही थी। वह बार-बार यही कह रहा था कि उसने कुछ नहीं किया।
ये था मामला
जुलाई 2017 को शिमला के पास कोटखाई गांव में एक नाबालिग की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने छह युवकों आशीष चौहान, राजू, सुभाष, सूरज, लोकजन उर्फ छोटू और दीपक को हिरासत में लेकर पीटा।
इस दौरान पुलिस लॉकअप में सूरज की मौत हो गई थी। इस मामले में हिमाचल हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया और सीबीआई को जांच सौंप दी।
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आठ पुलिसकर्मियों को उम्रकैद
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इस मामले का ट्रायल चंडीगढ़ सीबीआई कोर्ट में चला जहां सोमवार को हिमाचल प्रदेश के आईजी जहूर हैदर जैदी, ठियोग के तत्कालीन डीएसपी मनोज जोशी, कोटखाई पुलिस थाने के पूर्व एसएचओ राजिंदर सिंह, एएसआई दीप चंद, हेड कांस्टेबल मोहन लाल, सूरत सिंह, रफी मोहम्मद व कांस्टेबल रंजीत स्टेटा को उम्रकैद की सजा सुना दी गई।
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