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    पूर्व DGP सुमेध सैनी की गिरफ्तारी पर HC की रोक, 21 जनवरी तक मिली अंतरिम राहत; अपहरण और हत्या से जुड़ा है मामला

    Updated: Thu, 12 Dec 2024 05:52 PM (IST)

    पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी को बलवंत सिंह मुल्तानी अपहरण और हत्या मामले में आरोप तय करने पर 21 जनवरी तक रोक जारी रखी है। सैनी ने अपनी याचिका में कहा है कि पंजाब सरकार उन्हें हर हाल में गिरफ्तार करना चाहती है। कोर्ट ने इस पर जवाब दायर करने का समय देते हुए मामले की सुनवाई 21 जनवरी तक स्थगित कर दी।

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    बलवंत सिंह मुल्तानी अपहरण और हत्या मामले में पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी को 21 जनवरी तक अंतरिम राहत।फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी (Sumedh Singh Saini) को राहत देते हुए बलवंत सिंह मुल्तानी अपहरण और हत्या मामले में आरोप तय करने पर 21 जनवरी तक रोक जारी रखी है।

    वीरवार को पंजाब सरकार की तरफ से इस मामले में जवाब दायर कर सरकार का पक्ष रखा गया। कोर्ट ने सैनी को इस पर अपना जवाब दायर करने का समय देते हुए मामले की सुनवाई 21 जनवरी तक स्थगित कर दी।

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    1982 बैच के IPS अधिकारी हैं सुमेध सिंह सैनी 

    कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि अगली सुनवाई पर कोई भी पक्ष सुनवाई स्थगित करने का आग्रह नहीं करेगा। अगर ऐसा होता है तो कोर्ट अंतरिम आदेश वापस ले सकता है। इस मामले में सुमेध सिंह सैनी ने अपनी याचिका में कहा है कि पंजाब सरकार उन्हें हर हाल में गिरफ्तार करना चाहती है।

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    सुमेध सैनी (Sumedh Singh Saini) ने अपनी याचिका में हाईकोर्ट को बताया कि वह 1982 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और उन्होंने पंजाब पुलिस में 36 वर्ष सेवा दी है। 30 जून 2018 को वह रिटायर हो गए थे। राजनीतिक कारणों से उन्हें बार-बार निशाना बनाया जा रहा था और उनकी गिरफ्तारी के लिए पूरी पंजाब पुलिस जुट गई थी।

    सुमेध सिंह सैनी ने याचिका में लगाए गंभीर आरोप

    इसके बाद 11 अक्टूबर 2018 को हाईकोर्ट ने उनके डीजीपी, आईजीपी या विभाग प्रमुख रहते किसी भी मामले में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। याची ने कहा कि इस आदेश को फेल करने के लिए पंजाब पुलिस ने याची के एसएसपी रहने के दौरान 1991 के एक मामले में 2020 में एफआईआर दर्ज की है।

    इसके साथ ही उन्होंने समान परिस्थितियों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पंजाब सरकार बनाम दविंदर पाल सिंह भुल्लर मामले में एफआईआर रद्द करने के आदेश का हवाला दिया। साथ ही यह भी कहा कि घटना चंडीगढ़ की थी जबकि एफआईआर मोहाली में दर्ज की गई है।

    याची ने कहा कि पहले एफआईआर में हत्या की धारा नहीं जोड़ी गई थी लेकिन याची को गिरफ्तार करने के उद्देश्य से बाद में इसे जोड़ा गया। उसने छह मई 2020 को हत्या व अन्य धाराओं में दर्ज एफआईआर रद्द करने के लिए हाईकोर्ट से गुहार लगाई। याची ने 30 वर्ष की देरी को एफआईआर रद्द करने का आधार बनाया है।

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