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    'मजीठिया का हिस्सा साबित करें...', सुखबीर बादल ने सीएम भगवंत मान को क्यों दी चुनौती?

    Updated: Sat, 28 Jun 2025 10:48 PM (IST)

    शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को चुनौती दी कि वे साबित करें कि बिक्रम सिंह मजीठिया की सराया इंडस्ट्रीज को कोई विदेशी फंडिग मिली है। बादल ने मजीठिया पर लगे आय से अधिक संपत्ति के आरोपों को खारिज किया और कहा कि सराया इंडस्ट्रीज के सभी लेन-देन की आयकर विभाग ने जांच की है।

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    सुखबीर बादल और CM मान की फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को यह साबित करने की चुनौती दी कि सराया इंडस्ट्रीज लिमिटेड, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को विरासत में 11 फीसदी का हिस्सा मिला है, को 2007 से लेकर अब तक एक रूपये की भी विदेशी फंडिग प्राप्त की हो। बादल ने मजीठिया के खिलाफ दर्ज आय से अधिक संपत्ति मामले में लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया।

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    सुखबीर सिंह बादल ने कहा सराया इंडस्ट्रीज को दिसंबर 2005 में एकमात्र विदेशी फंडिग मिली थी, जब कंपनी में 25 फीसदी शेयरों के बदले अमेरिका स्थित क्लियरवाटर कारपोरेशन से 35 करोड़ रूपये प्राप्त हुए थे। मजीठिया ने 2007 में राजनीति में प्रवेश किया था। बादल ने यह भी दावा किया कि क्लियरवाटर कारपोरेशन, जिसके कई देशों के कार्यालय हैं ने वैश्विक स्तर पर 50 हजार करोड़ रूपये का निवेश किया है।

    उन्होने कहा कि इस कंपनी द्वारा एनबीएफसी के माध्यम से सराया इंडस्ट्रीज में निवेश किया गया सारा पैसा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से उचित मंजूरी और विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजरी के बाद किया गया था। सुखबीर बादल ने यह भी स्पष्ट किया कि सराया इंडस्ट्रीज के सभी लेन-देन की आयकर विभाग की ओर से जांच की गई और उसे स्वीकार किया गया।

    उन्होंने कहा इससे साफ साबित होता है कि सराया इंडस्ट्रीज में विदेशी फंडिग के माध्यम से 540 करोड़ रूपये के निवेश के दावे बेतुके और दुर्भावना पूर्ण हैं और यह सिर्फ मजीठिया को बदनाम करने के मकसद से किया जा रहा है। गन्ना खरीद और डिस्टिलरी कारोबार के दौरान किए गए सभी नकद लेनदेन की भी आयकर विभाग द्वारा जांच की गई थी।

    उन्होने यह भी कहा कि सराया इंडस्ट्रीज लिमिटेड एक निजी लिमिटेड कंपनी है , जिसे पब्लिक लिमिटेड कंपनी माना जाता है और यह यूनिट मजीठिया से अलग कपंनी थी और उनसे जुड़ी नही हो सकती। बादल ने कहा की मजीठिया का कंपनी के रोजमर्रा के कामकाज पर कोई नियंत्रण नही है।

    अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राज्य के डीजीपी पर मजीठिया के खिलाफ मामला दर्ज करने पर दबाव डाला था, क्योंकि मजीठिया लगातार उनके और उनके भ्रष्ट और अनैतिक कैबिनेट सहयोगियों का पर्दाफाश कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने 24 जून की रात को डीजीपी को फोन कर धमकी दी कि अगर उन्होने सुबह तक मजीठिया के खिलाफ मामला दर्ज नही किया तो उन्हे हटा दिया जाएगा।

    इसी कारण, डीजीपी ने उसी रात 10.40 पर अकाली नेता के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए सतर्कता विभाग को लिखा। इसके बाद 25 जून की सुबह 4.40 बजे सरदार मजीठिया के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया।