पराली का धुआं घोंटता है चंडीगढ़ में दम, पंजाब और हरियाणा में आग लगाने वालों पर पीयू-पीजीआई की सैटेलाइट से नजर
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं पर पीयू और पीजीआइ की टीम सैटेलाइट से निगरानी रख रही है। पिछले दस दिनों में 150 मामले सामने आए हैं जिनमें पंजाब में 80% और हरियाणा में 20% मामले हैं। पराली का धुआं चंडीगढ़ वासियों के लिए हानिकारक है जिससे सांस लेने में तकलीफ और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए कार्य योजना बनाई है।

मोहित पांडेय, चंडीगढ़। धान के सीजन में पंजाब और हरियाणा में पराली जलने से चंडीगढ़-दिल्ली में भी वायु प्रदूषण बढ़ता है। पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) और पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआई) की संयुक्त टीम सैटेलाइट डाटा से हर दिन पंजाब-हरियाणा में होने वाली आगजनी की घटनाओं पर निगरानी रख रही है। टीम के अनुसार बीते 23 से 29 सितंबर तक पराली जलाने के करीब 150 मामले सामने आ चुके थे। हरियाणा से ज्यादा पंजाब के किसान पराली जला रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि धान की कटाई शुरू होने के साथ ही पराली जलाने की घटनाएं बढ़ रही हैं और अक्टूबर–नवंबर में इनकी संख्या और तेजी से बढ़ सकती है। पीजीआई से इस टीम का नेतृत्व सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डाॅ. रविंद्र खैवाल, जबकि पीयू का नेतृत्व पर्यावरण विभाग की डाॅ. सुमन मोर कर रही है। डाॅ. रविंद्र खैवाल ने बताया कि वर्ष 2021 की तुलना में इस वर्ष अब तक करीब 80 प्रतिशत मामलों में गिरावट दर्ज की गई है।
पराली जलाने के पंजाब से 80 प्रतिशत और हरियाणा से 20 प्रतिशत मामले
डाॅ. खैवाल व डाॅ. सुमन ने बताया कि हमारी टीम बीते दस वर्षों से लगातार पराली जलाने के मामलों पर निगरानी रखने के लिए सैटेलाइट की मदद ले रही। बीते वर्षों के अध्ययन के मुताबिक पंजाब में पराली जलने का प्रतिशत हर वर्ष 80 से 85 प्रतिशत रहता है, जबकि हरियाणा में यह प्रतिशत 15 से 20 प्रतिशत रहता है। पंजाब में अमृतसर, गुरदास, पठानकोट समेत अन्य जिलों में सबसे अधिक पराली को जलाने के मामले सामने आते है। वहीं, हरियाणा के करनाल, सिरसा और हिसार जैसे जिले इसमें शामिल है।
पराली के धुएं से कमजोर होगी चंडीगढ़ वासियों की सांसों की डोर
हर वर्ष की तरह पंजाब-हरियाणा की पराली का धुआं चंडीगढ़ वासियों की परेशानी बढ़ाने वाला है। पराली के धुएं का शहर में नुकसानदायक असर दिखता है। विशेषज्ञों के अनुसार पराली और दीवाली के धुंए के कारण शहर में माह के अंक तक एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 पार पहुंच सकता है।
पराली के धुएं में जहर होता है। इस धुएं से आंख, नाक, गले व सांस की तकलीफ बढ़ने लगती हैं। चिकित्सकों के अनुसार बच्चों, बुजुर्ग, महिलाओं व छोटे बच्चों को पराली का धुआं बहुत नुकसान पहुंचाता है। इससे सांस लेने में तकलीफ, त्वचा की समस्या, आंखों में जलन और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
हर गांव में नोडल अधिकारी तैनात, पंचायतों पर भी होगी कार्रवाई
पंजाब के कृषि और किसान कल्याण विभाग ने खरीफ सीजन में पराली के प्रबंधन के लिए एक्शन प्लान तैयार किया है, जिसे राज्य सरकार ने जारी कर दिया है। इसके तहत 500 करोड़ रुपये की कार्य योजना तैयार की गई है। हर गांव में नोडल अधिकारी तैनात किया जाएगा। पराली के प्रबंधन के लिए गांवों में कार्रवाई की जिम्मेदारी ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग को दी गई है। पराली जलाने का कोई भी केस सामने आता है तो विभाग की तरफ से संबंधित गांव के पंचायत सदस्यों के खिलाफ मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी।
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