Budget 2024: आम बजट में एंजेल टैक्स खत्म करने से स्टार्टअप को होगा बड़ा फायदा, पढ़िए आखिर क्या होता है Angel Tax?
देश के आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एंजेल टैक्स पर बड़ी राहत देते हुए इसे पूरी तरह से खत्म करने की घोषणा कर दी है। इसको खत्म करने की मांग बीते 12 साल से चली आ रही थी। वहीं आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये एंजेल टैक्स क्या होता है और इसके खत्म होने से कैसे फायदा होगा। तो पढ़िए इस आर्टिकल में...
विकास शर्मा, चंडीगढ़। बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एंजेल टैक्स खत्म करने की घोषणा की। वित्त मंत्री के इस फैसले का टाई चंडीगढ़ ने स्वागत किया है। टाई चंडीगढ़ के सचिव पुनीत वर्मा की तकरीबन 12 साल से चली आ रही मांग को केंद्र सरकार ने आखिरकार स्वीकार कर लिया है।
एंजेल टैक्स खत्म होने से स्टार्टअप के लिए यह काफी फायदेमंद होगा। उन्होंने कहा कि एंजेल टैक्स जैसी बड़ी चुनौती अब खत्म हो गई है और अब उत्साही युवाओं के सामने आगे बढ़ने का समय है। इससे युवाओं के सपनों को पंख लगेंगे।
क्या है एंजेल टैक्स?
जब कोई गैर-लिस्टेड स्टार्टअप किसी निवेशक से पैसा जुटाती है और उस सौदे में शेयरों का तय किया गया प्राइज कंपनी के फेयर मार्केट वैल्यू से अधिक होता है, तो ऐसे में उस स्टार्टअप को एंजेल टैक्स चुकाना पड़ता है। इस टैक्स को इसलिए लाया गया था ताकि काले धन को ऐसे निवेश की मदद से सफेद न बनाया जा सके, लेकिन स्टार्टअप को फंड जुटाने में खासी परेशानी होती थी।
एंजल टैक्स खत्म होने से ये होगा फायदा
एंजेल टैक्स खत्म हो जाने के बाद अब देश में गैर-लिस्टेड कंपनियां खास तौर से स्टार्टअप्स के लिए फंड जुटाना बहुत आसान हो जाएगा। स्टार्टअप्स के लिए सबसे बड़ी चुनौती फंड जुटाने की ही होती है। अब जब एंजेल टैक्स खत्म हो गया है, तो स्टार्टअप के निवेशक का बेहतर ढंग से नकदी की व्यवस्था कर सकता है, इससे स्टार्टअप को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। पहले जहां अपना कारोबार शुरू करने के बाद ही एक बड़ी रकम को एंजेल टैक्स के रुप में भरना पड़ता था, अब इसके खत्म हो जाने के बाद स्टार्टअप्स को वो झटका नहीं लगेगा और उसका पूरा ध्यान अपने धंधे को जमाने पर रहेगा।
स्टार्टअप में देश के शीर्ष 10 शहरों में शामिल है चंडीगढ़
क्षेत्रफल के लिहाज से चंडीगढ़ चाहे काफी छोटा हो, लेकिन जब बात स्टार्टअप की आती है तो चंडीगढ़ भारत के शीर्ष 10 शहरों में शामिल होता है। उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) पर चंडीगढ़ के 439 स्टार्ट अप पंजीकृत हैं।
शहर से निकले शीर्ष स्टार्टअप की सूची
- डॉ. केएस भाटिया ने पंपकार्ट नाम से स्टार्टअप।
- इंद्रवीर सिंह, हरनूर कौर और पुलकित का इवेज ऑटोमोटिव प्राइवेट लिमिटेड नाम से स्टार्टअप।
- सिद्धार्थ ने डोर्को रेजर नाम से किया स्टार्टअप।
- रूचित गर्ग ने एचएफए किसान मोबाइल एप शुरू कर किया स्टार्टअप।
- डॉ. नीना गुप्ता ने जस्ट हर्बल नाम से शुरू किया स्टार्टअप।
- समर सिंगला ने जुगून, जंगलवर्क्स और क्लिकलैब नाम से किए स्टार्टअप।
- सचिन गोयल ने बच्चों के लिए शुरू हेल्दी फूड जिंगावीटा का किया स्टार्टअप।
- रिशु गांधी और हिमांशु गांधी ने मदर्स स्पर्श ने बच्चों के डाइपर बनाने का स्टार्टअप ।
- हरभजन कौर ने 90 साल की उम्र में मेड विद द लव नाम से किया स्टार्टअप।
- दीपांशु गोयल और वितुल गोयल ने प्रीप्लेडर नाम से किया था स्टार्टअप।
- सचिन बंसल और बिन्नी बंसल ने फ्लिपकार्ट नाम से किया था स्टार्टअप।
टाई चंडीगढ़ के प्रेसिडेंट हरित मोहन ने बताया कि केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बेहद संतुलित बजट पेश किया है। यह भविष्य का बजट है, इस बजट में हर वर्ग को ध्यान में रखा गया है। खास एजेंल टैक्स के खत्म होने से निवेशकों और व्यक्तिगत करों में कटौती से आम आदमी की जेब भारी होगी और खर्च की क्षमता और संभावनाएं बढ़ेगी।
टाई चंडीगढ़ व 20 से ज्यादा स्टार्टअप के एंजेल निवेशक के वाइस प्रेसिडेंट एसके अरोड़ा ने कहा कि एंजेल टैक्स के समाप्त होना निवेशकों के लिए नया जीवनदान मिलने जैसा है। इस निर्णय से नवाचार और स्टार्टअप्स को प्रोत्सहन मिलेगा। जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। अब उद्यमियों के सपनों को साकार करने का मार्ग और भी सरल होगा।
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एंजेल टैक्स को खत्म करना एक ऐतिहासिक फैसला
टाई चंडीगढ़ के सचिव पुनीत वर्मा ने कहा कि एंजेल टैक्स को खत्म करना एक ऐतिहासिक फैसला है जिसका उद्देश्य स्टार्टअप्स और निवेशकों के लिए अधिक सहायक माहौल तैयार करना है। इस वित्तीय और प्रशासनिक बोझ को हटाकर सरकार का स्टार्टअप की चाह रखने वालों को बड़ी राहत दी है।
एंजेल निवेशक विशाल केडिया ने बताया कि सरकार के इस फैसले ने स्टार्टअप इकोसिस्टम में निवेश करना आसान बना दिया गया है। किसी भी स्टार्टअप के शुरुआती चरण के निवेश अक्सर वर्तमान मूल्य के बजाय भविष्य की संभावनाओं पर आधारित होते हैं, जिससे मूल्यांकन को उचित ठहराना मुश्किल हो जाता है। यह फैसला वर्तमान स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने में बहुत मददगार साबित होगा।
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