'हमारे गांवों को मिले लैंड पूलिंग पॉलिसी', पंजाब में विरोध के बीच चंडीगढ़ में उठी मांग; लोकसभा तक पहुंचा मुद्दा
पंजाब में विरोध के बीच चंडीगढ़ में भी लोगों ने लैंड पूलिंग पाॅलिसी की मांग उठाई है। यह मुद्दा लोकसभा तक पहुंच गया है लेकिन केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि ऐसी कोई नीति नहीं बनाई जा रही। इससे 22 गांवों की खाली जमीन का अधिग्रहण नहीं हो पाएगा। यह एक तरह से लोगों की उम्मीदों को झटका है।

राजेश ढल्ल, चंडीगढ़। शहर के 22 गांवों की खाली पड़ी जमीन का प्रशासन की ओर से अधिग्रहण किया जाना है। गांव के प्रतिनिधि लैंड पूलिंग पालिसी की मांग कर रहे हैं, लेकिन मंगलवार को सांसद मनीष तिवारी की ओर से लोकसभा में पूछे सवाल पर केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि चंडीगढ़ प्रशासन ने 22 गांवों के लिए कोई लैंड पूलिंग पालिसी न तो बनाई है और न विचार किया जा रहा है।
मनीष तिवारी ने पंजाब और हरियाणा के माडल की तर्ज पर ऐसी नीति बनाने, किसानों को नकद मुआवजे के बजाय विकसित जमीन देने और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए समयबद्ध तरीके से नीति लागू करने संबंधी सवाल उठाए थे। इसके जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव मौजूद नहीं है।
तिवारी ने कहा कि चंडीगढ़ के 22 गांवों के लोग लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि कृषि कार्य के लिए अनुपयोगी हो चुकी भूमि का उपयोग शहर के विकास में किया जाए। अलग-अलग सरकारें वादे करती रही हैं कि लैंड पूलिंग पालिसी लाई जाएगी, लेकिन यह वादे अब तक सिर्फ़ मृगतृष्णा साबित हुए हैं ।
जवाब आने के बाद सांसद तिवारी ने आरोप लगाया है कि इन गांवों के निवासियों की वैध उम्मीदों को बार-बार ठगा गया है और चंडीगढ़ के विकास से जुड़ी अन्य पहल की तरह यह मामला भी अधूरा है। तिवारी ने कहा कि चंडीगढ़ के प्रशासनिक और शासन माडल में बदलाव की आवश्यकता है।
नीति न हाेने के कारण बढ़ रहा है अतिक्रमण
शहर में कोई नीति न होने के कारण इन जमीनों पर अतिक्रमण बढ़ गया है ।वहीं प्रशासन की लैंड पूलिंग नीति नहीं होने के कारण शहर का विकास रूक गया है। भूमि अधिग्रहण नहीं होने के कारण कोई नया प्रोजेक्ट सिरे नहीं चढ़ पा रहा है। इसलिए ही जो शहीद भगत सिंह इंटरनेशनल हवाई अड्डे के लिए शार्टकट (वैकल्पिक) रूट बनाने का फैसला लिया गया था वह भी ठंडा पड़ गया है।
पेंडू संघर्ष कमेटी ने पंजाब की तर्ज पर लैंड पूलिंग पालिसी बनाने के लिए प्रशासक गुलाब चंद कटारिया और गृह मंत्रालय को पत्र लिखा । मेयर भी जनप्रतिनिधियों के साथ पिछले माह इस मुद्दें पर प्रशासक को मिल चुकी है। प्रशासक ने इस पर विचार करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अब केंद्र सरकार ने कहा है कि नीति कोई विचाराधीन नहीं है। ऐसे में यह जवाब आने के बाद गांव वालों को झटका लगा है ।
न्यू चंडीगढ़ का विकास हो रहा है तेजी से
चंडीगढ़ में तीन हजार एकड़ जमीन कृषि योग्य है जिसका अधिग्रहण होना बाकी है। इस जमीन के एक हजार मालिक हैं। जबकि पंचकूला और मोहाली में नीति होने का फायदा यहां के भूमि मालिकों को मिल रहा है। यह भी एक बड़ा कारण यह है कि इस समय चंडीगढ़ के मुकाबले पंचकूला और मोहाली का विकास ज्यादा तेजी से रहा है। यहां पर हाउसिंग प्रोजेक्ट के अलावा कई प्रोजेक्ट बन रहे हैं। चंडीगढ़ के साथ लगते न्यू चंडीगढ़ का एरिया का विकास हो रहा है।
साल 2016 के बाद नहीं हुआ अधिग्रहण
प्रशासन ने आखिर भूमि अधिग्रहण साल 2016 में किया था। उस समय न्यू चंडीगढ़ को जाने के लिए 12 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था यह जमीन धनास और डड्डूमाजरा के जमींदाराें की थी।यह जमीन केंद्र सरकार के भूमि अधिग्रहण एक्ट के तहत अधिग्रहित की गई थी।
इस समय जो सेक्टर-53 की फर्नीचर मार्केट की जमीन को खाली करवाया गया है वह जमीन भी प्रशासन ने साल 2002 में अधिग्रहित की हुई है । नगर निगम का सदन भी लैंड पूलिंग नीति को पास करके प्रशासन को मंजूरी के लिए भेज चुका है।
अधिग्रहण न होने के कारण कटते हैं प्लाट
शहर में दो कनाल से कम की रजिस्ट्री नहीं हो सकती है, लेकिन अधिग्रहण न होने के कारण दो से चार मरले के प्लाट पावर आफ अटानरी पर बिक रहे हैं। इस समय लाल डोरे के बाहर भी निर्माण बने हुए हैं। धनास की कच्ची कालोनी में भी झुग्गी बनी हुई हैं। अब प्रशासन ने इसे खाली करवाने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है ।
स्टेट कोआपरेटिव बैंक के चेयरमैन सतिंदर सिद्धू का कहना है कि शहर के गांव वालों के साथ धोखा हो रहा है। उनका कहना है कि प्रशासन को इस पर नीति लेकर आना चाहिए यह लोगों की लंबे समय से मांग है। सभी राज्यों ने अपनी लैंड पूलिंग नीति को लागू किया हुआ है। यूटी प्रशासन को भी पंजाब व हरियाणा की तर्ज पर लैंड पूलिंग पालिसी को लाना चाहिए
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।