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    Punjab Politics: शिरोमणि अकाली दल को 11 को मिलेगा नया अध्यक्ष, सुखबीर बादल के लिए खड़ी होगी नई मुसीबत?

    Updated: Sun, 03 Aug 2025 12:11 PM (IST)

    शिरोमणि अकाली दल (शिअद) में 11 अगस्त को नए अध्यक्ष का चुनाव होगा। श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा गठित भर्ती समिति यह चुनाव करवाएगी जो सुखबीर बादल के लिए चुनौती बन सकता है। एसजीपीसी से तेजा सिंह समुंद्री हाल की मांग की गई है लेकिन दबाव के कारण भाई गुरदास हाल भी विकल्प है। ज्ञानी हरप्रीत सिंह समेत कई नेता अध्यक्ष पद के इच्छुक हैं।

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    शिरोमणि अकाली दल को 11 अगस्त को नया अध्यक्ष मिल जाएगा। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर बादल के लिए एक और चुनौती खड़ी होने वाली है। श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा पिछले साल दो दिसंबर को गठित पांच सदस्यीय भर्ती समिति द्वारा बनाए गए डेलीगेट 11 अगस्त को शिअद के नए अध्यक्ष का चुनाव करेंगे। नए अध्यक्ष का बनना शिरोमणि अकाली, खासकर सुखबीर बादल के लिए बड़ी समस्या खड़ी कर सकता है।

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    भर्ती समिति ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) से तेजा सिंह समुंद्री हाल की मांग की है। अब देखना यह है कि शिरोमणि कमेटी डेलीगेट इजलास के लिए भर्ती कमेटी को तेजा सिंह समुंद्री हाल उपलब्ध कराती है या नहीं। बताया जा रहा है कि भर्ती कमेटी ने एसजीपीसी को लिखित पत्र और बकाया फीस पहले ही दे दी थी। चर्चा है कि एसजीपीसी पर तेजा सिंह समुंद्री हाल न देने का दबाव है। ऐसे में भर्ती कमेटी को अधिवेशन के लिए भाई गुरदास हाल दिया जा सकता है।

    भर्ती कमेटी 15 लाख सदस्यों का दावा कर रही है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह, बीबी सतवंत कौर और पूर्व मंत्री सुरजीत सिंह रखड़ा अध्यक्ष बनने के इच्छुक हैं। अध्यक्ष पद के लिए विधायक मनप्रीत सिंह अयाली और प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा के नाम भी चर्चा में थे, लेकिन मौजूदा राजनीतिक समीकरण को देखते हुए इन दोनों नेताओं ने नाम वापस ले लिया है।

    अगर सहमति नहीं बनी तो किसी अन्य नेता के नाम पर सहमति बन सकती है। अध्यक्ष के लिए सबसे बड़ी चुनौती सभी नेताओं को एकजुट रखना और वित्तीय संसाधन जुटाना होगा। जानकारी के अनुसार, पांच सदस्यीय कमेटी झूंदा कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने में रुचि रखती है। इसके तहत अकाली दल के संगठनात्मक ढांचे में बदलाव करते हुए नियमों में बदलाव किया जा सकता है। किसी नेता को राजनीति और धार्मिक सेवा के बीच एक रास्ता चुनना होगा।

    यानी राजनीतिक मैदान में कूदने वाले नेताओं को शिरोमणि कमेटी से दूर रखा जाएगा। इसी तरह, शिरोमणि कमेटी का चुनाव लड़ने वाला व्यक्ति राजनीतिक चुनाव नहीं लड़ सकेगा। यह भी कहा जा रहा है कि डेलीगेट इजलास में यह भी फैसला लिया जा सकता है कि पार्टी अध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारी कोई भी चुनाव नहीं लड़ने का फैसला कर सकते हैं। अगर ऐसा फैसला लिया जाता है, तो इससे न केवल अकाली दल के नेतृत्व में सुधार होगा बल्कि अकाली दल की पुरानी परंपरा भी बहाल होगी।

    काबिले गौर है कि दो दिसंबर 2024 को पार्टी की नई सदस्यता भर्ती के लिए श्री अकाल तख्त साहिब की फसील से शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष जत्थेदार हरजिंदर सिंह धामी के नेतृत्व में सात सदस्यीय भर्ती समिति का गठन किया गया था। धामी और पूर्व अध्यक्ष कृपाल सिंह बडूंगर ने इस्तीफा दे दिया था।

    श्री अकाल तख्त साहिब ने बागियों और भ्रष्टों को एकजुट होने का आदेश दिया था, लेकिन सुखबीर बादल गुट ने पहल करते हुए एक प्रतिनिधि सभा बुलाकर सुखबीर को अध्यक्ष चुन लिया था। अब 11 अगस्त के बाद अकाली राजनीति फिर से भड़केगी।