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    साध्वियों का यौन शोषण: राम रहीम के अपील पर सुनवाई स्थगित, अब इस दिन हाईकोर्ट करेगा फैसला

    Updated: Tue, 24 Dec 2024 06:47 PM (IST)

    डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के खिलाफ यौन शोषण मामले में सजा के खिलाफ अपील पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सुनवाई 15 जनवरी तक स्थगित कर दी है। डेरा मुखी को 2017 में दोषी ठहराया गया था और उसे 10-10 साल की सजा सुनाई गई थी। पीड़ित साध्वियों ने भी हाईकोर्ट में अपील दाखिल कर डेरा मुखी को उम्रकैद की सजा देने की मांग की थी।

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    साध्वियों के यौन शोषण मामले में राम रहीम के अपील पर सुनवाई स्थगित। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। साध्वियों के यौन शोषण मामले में सजा काट रहे डेरा मुखी गुरमीत सिंह की सजा के खिलाफ अपील पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सुनवाई 15 जनवरी तक स्थगित कर दी है।

    डेरे की दो साध्वियों के यौन शोषण मामले में पंचकूला की सीबीआई कोर्ट ने अगस्त 2017 में डेरा मुखी को दोषी करार देते हुए उसे 10-10 साल की सजा सुनाई थी और साथ ही डेरा मुखी पर 30 लाख 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगा दिया था।

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    सजा को डेरा मुखी ने हाईकोर्ट में दी थी चुनौती 

    पहले मामले में दस वर्ष की सजा पूरी होने के बाद दूसरे मामले में दस वर्ष की सजा शुरू होनी है। सजा को डेरा मुखी ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए अपील दायर की थी। वहीं, दोनों पीड़ित साध्वियों ने भी तब हाईकोर्ट में अपील दाखिल कर डेरा मुखी को उम्रकैद की सजा सुनाई जाने की मांग की थी। तब हाईकोर्ट ने इन अपील को एडमिट कर लिया था।

    अक्टूबर 2017 में हाईकोर्ट ने डेरा मुखी पर लगाए गए 30 लाख 20 हजार रुपये के जुर्माने पर रोक लगाते हुए डेरा मुखी को दो महीनों के भीतर जुर्माने की यह राशि सीबीआई कोर्ट में जमा करवाए जाने के आदेश दिए थे और साथ ही जमा करवाई जाने वाली जुर्माने की इस राशि को किसी नेशनलाइज बैंक में इसकी एफडी करवाए जाने के भी आदेश दिए गए थे। तब हाईकोर्ट ने इन अपील को एडमिट कर लिया था।

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    6 वर्षों बाद सीबीआई ने रिकॉर्ड किए थे पीड़िता के बयान 

    डेरा मुखी गुरमीत सिंह ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर कहा है कि इस मामले में सीबीआई अदालत ने उसे बिना उचित साक्ष्यों और गवाहों के उसे दोषी ठहरा सजा सुना दी है। यह तय प्रक्रिया के अनुसार गलत है।

    डेरा मुखी ने कहा कि पहले इस मामले में एफआईआर ही दो-तीन वर्षों की देरी से दायर हुई। यह एक गुमनाम शिकायत पर दर्ज की गई, जिसमे शिकायतकर्ता का नाम तक नहीं था। पीड़िता के बयान ही इस केस में सीबीआई ने छह वर्षों के बाद रिकॉर्ड किए थे।

    अपनी अपील में डेरा मुखी ने उठाया सवाल

    सीबीआई का कहना था कि, वर्ष 1999 में यौन शोषण हुआ था लेकिन बयान वर्ष 2005 में दर्ज किए गए। जब सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की तब कोई शिकायतकर्ता ही नहीं था। अपनी अपील में डेरा मुखी ने सवाल उठाया है कि यह कहना कि पीड़िताओं पर कोई दबाव नहीं था, गलत है। दोनों पीड़िता सीबीआई के संरक्षण में थी।

    ऐसे में प्रॉसिक्यूशन का उन पर दबाव था। 30 जुलाई 2007 तक बिना किसी शिकायत के जांच की जाती रही और पूरी की गई। उसके पक्ष के साक्ष्य और गवाहों पर सीबीआई अदालत ने गौर ही नहीं किया। यहां तक कि सीबीआई ने डेरा मुखी के मेडिकल एग्जामिनेशन तक की जरुरत नहीं समझी कि जो आरोप लगाए गए है, वह सही भी हो सकते है या नहीं।

    लिहाजा इन सभी आधारों को लेकर डेरा मुखी ने अपने खिलाफ सुनाई गई सजा को रद्द कर उसके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को खारिज किए जाने की हाईकोर्ट से मांग की है। इस केस का पूरा रिकॉर्ड ट्रायल कोर्ट से हाईकोर्ट पहुंच चुका है।

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