स्मार्ट सिटी में स्कूलों के भवन जर्जर, शौचालय साफ न पीने का पानी, आडिट से बदलेगी तस्वीर
चंडीगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी स्कूलों की बदहाली का मुद्दा उठा तो शिक्षा विभाग के अफसरों की नींद खुली। अब सभी स्कूलों में सुरक्षा के चाकचौबंद करने के लिए सुरक्षा आडिट कराया जा रहा है। इससे स्कूलों की बदहाल स्थिति में सुधार की उम्मीद जगी है। जिम्मेदारी से कार्य किया जाए तो बच्चों का भविष्य सुरक्षित होगा।

मोहित पांडेय, चंडीगढ़। स्मार्ट सिटी के चमचमाते स्मार्ट स्कूलों की रोशनी के बीच दूर- दराज व ग्रामीण इलाकों में स्कूलों की तस्वीरें हैरान करने वाली है। भवन जर्जर हो चुके हैं। मूलभूत सुविधाओं का टोटा है। दीवारें टूटी हुई हैं तो पिलर जर्जर हालत में हैं। शौचालयों साफ नहीं और पीने के पानी का भी सही इंतजाम नहीं। अब आडिट से इन स्कूलों की हालत में सुधार हो सकता है।
दैनिक जागरण की टीम ने अभियान के तहत दस दिनों तक स्कूलों की बदहाली और अव्यवस्थाओं की खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित किया। इसके बाद प्रशासन, शिक्षा विभाग और संबंधित विभाग के अधिकारियों की नींद टूटी है। व्यवस्था के अभाव से जूझ रहे स्कूलों को लेकर शिक्षा विभाग अब एक्शन मोड में आ गया है।
स्कूलों में चल रहा आडिट, 30 अगस्त तक जमा करानी है रिपोर्ट
विभाग की ओर से सभी स्कूलों में सुरक्षा के चाकचौबंद करने के लिए सुरक्षा आडिट किए जाने का काम किया जा रहा है। सभी स्कूलों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की स्कूल सुरक्षा नीति 2016 और परफार्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स (पीजीआइ ) 2.0 के मानकों के अनुरूप आडिट का काम तेजी से चल रहा। 30 अगस्त तक अनिवार्य आडिट रिपोर्ट जमा करवानी होगी
इन बिंदुओं की हो रही जांच
- भवन की स्थिरता, अग्नि सुरक्षा, बिजली व्यवस्था, प्रवेश नियंत्रण, और आपदा से निपटने की तैयारी का मूल्यांकन।
-मनोवैज्ञानिक सुरक्षा: स्कूलों में परामर्श सेवाएं, घटनाओं की रिपोर्टिंग की व्यवस्था, सहपाठी सहायता नेटवर्क और समावेशी मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों की जांच।
-शून्य सहनशीलता नीति: किसी भी प्रकार की लापरवाही या शोषण के प्रति सख्त रुख
-स्कूल मान्यता प्राप्त आडिट एजेंसियों या सरकारी इंजीनियरिंग टीमों से आडिट करवा रहे है।
सुरक्षा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की नींव
मुख्य सचिव राजीव वर्मा ने कहा कि शहर न केवल अकादमिक प्रदर्शन में बल्कि बच्चों की देखभाल और सुरक्षा में भी राष्ट्रीय मानक बन रहा है। ये दिशा-निर्देश हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं कि हर स्कूल एक सुरक्षित, गरिमापूर्ण और सजग वातावरण दें। वहीं, शिक्षा विभाग की सचिव प्रेरणा पुरी का कहना है कि सुरक्षा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की नींव है। इन दिशानिर्देशों से यह सुनिश्चित हो रहा है कि हर स्कूल केवल ज्ञान का केंद्र नहीं, बल्कि एक सुरक्षित और सम्मानजनक स्थान भी है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।