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    Punjab News: देश के खिलाफ साजिश रचने वाले व्यक्ति को दी थी शरण, अब महिला आरोपी को HC ने दी जमानत; आखिर क्यों?

    Updated: Thu, 02 May 2024 04:05 PM (IST)

    पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय (Punjab Haryana High Court) ने एक 58 साल की महिला को जमानत दी है। महिला के ऊपर देश के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने वाले व् ...और पढ़ें

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    Punjab News: देश के खिलाफ साजिश रचने वाले व्यक्ति को दी थी शरण

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Punjab News: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक 58 वर्षीय महिला को जमानत दी। महिला पर देश के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने वाले व्यक्ति को शरण देने का आरोप था।

    साल 2019 में महिला के खिलाफ कठोर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम 1967 के तहत जून 2019 में अमृतसर में मामला दर्ज किया गया था।

    जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल और जस्टिस कीर्ति सिंह की खंडपीठ ने कहा महिला ने सह-आरोपी कुलविंदर जीत सिंह उर्फ खानपुरिया को देश से भगाने में मदद की थी और कंबोडिया में उसके ठहरने में मदद की थी।

    हाई कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता को आज तक आतंकवादी घोषित नहीं किया गया और वह 58 वर्षीय महिला है। अगस्त 2019 में गिरफ्तारी के बाद से चार साल और आठ महीने की अवधि से हिरासत में है। अभी तक उसके पास से कोई भी आपत्तिजनक सामग्री बरामद नहीं हुई।

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    हाई कोर्ट ने जांच पर जताई नाराजगी

    हाई कोर्ट एनआइए कोर्ट द्वारा पारित आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और अन्य दर्ज मामलों में मंजीत कौर की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।

    हाई कोर्ट ने जांच पर नाराजगी जताते हुए कहा कि कौर को इस आधार पर आरोपित किया गया कि उसने सह-आरोपी कुलविंदर जीत सिंह उर्फ खानपुरिया को शरण दी थी, जिसने अन्य सह-आरोपी के साथ मिलकर एक अलग राज्य की स्थापना के लिए आपराधिक साजिश रची थी।

    कंबोडिया में की थी ठहरने की सुविधा

    कोर्ट ने कहा कि जब कौर ने कथित तौर पर यात्रा की व्यवस्था की और कंबोडिया में उसके ठहरने की सुविधा प्रदान की तब खानपुरिया को अपराधी घोषित नहीं किया गया था।

    सुप्रीम कोर्ट के कई मामलों का हवाला देते हुए हाई कोर्ट ने फैसला किया कि अपीलकर्ता 58 वर्षीय महिला है। लंबे समय से हिरासत में है।

    इस स्तर पर जमानत पर रिहा होने की हकदार होगी, जब 55 अभियोजन पक्ष के गवाहों में से केवल 12 की जांच की गई है और मुकदमे के निष्कर्ष में कुछ समय लगेगा।

    हाई कोर्ट ने अपील स्वीकार करते हुए स्पेशल जज, एनआईए पंजाब, एसएएस नगर (मोहाली) द्वारा पारित आदेश रद्द कर दिया।

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