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    पंजाब नगर निगम चुनाव: बागी प्रत्याशियों का आंकड़ा नहीं जुटा पा रही कांग्रेस, अब जिला इकाई को सता रहा ये डर

    Updated: Thu, 19 Dec 2024 12:26 PM (IST)

    Punjab Municipal Corporation Elections पंजाब में कांग्रेस के लिए नगर निगम और नगर काउंसिलों के चुनाव में बागी उम्मीदवारों की संख्या का पता लगाना मुश्किल हो गया है। एआईसीसी के सचिव आलोक शर्मा ने जिला कांग्रेस से ऐसे प्रत्याशियों के नाम मांगे हैं लेकिन जिला कांग्रेस सहयोग नहीं कर रहा है। एआईसीसी ऐसे बागियों के खिलाफ कार्रवाई करना चाहती है।

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    बागी प्रत्याशियों का आंकड़ा नहीं जुटा पा रही कांग्रेस।

    कैलाश नाथ, चंडीगढ़। Punjab Nagar Nigam Chunav: राज्य में चल रहे पांच नगर निगम और 41 नगर काउंसिलों के चुनाव के दौरान टिकट नहीं मिलने के कारण कांग्रेस से बागी होकर खड़े हुए प्रत्याशियों का आंकड़ा जुटाना पंजाब कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर बन गया है। ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सचिव आलोक शर्मा पंजाब कांग्रेस से ऐसे प्रत्याशियों के नाम मांग रहे हैं।

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    जबकि जिला कांग्रेस प्रदेश कांग्रेस को यह जानकारी ही नहीं दे रहा है। यह कवायद पिछले तीन दिनों से जारी है। एआइसीसी ऐसे बागियों के खिलाफ कार्रवाई करना चाहती है, लेकिन सही जानकारी नहीं होने के कारण वह कुछ भी नहीं कर पा रही है।

    एआईसीसी के सचिव आलोक शर्मा और रविंदर डालवी निकाय चुनाव पर निगरानी रखने के लिए इन दिनों पंजाब में ही है। जानकारी के अनुसार, वह निकाय चुनाव के दौरान पार्टी से बागी होकर खड़े हुए प्रत्याशियों की जानकारी जुटा रहे हैं। हालांकि, उन्हें सटीक जानकारी मिल नहीं पा रही है, क्योंकि जिला इकाइयां इसमें सहयोग नहीं कर रही हैं। जानकारी के अनुसार जिला इकाइयों को यह डर है कि कहीं एआइसीसी ऐसे बागी उम्मीदवारों के खिलाफ कार्रवाई न कर दे।

    पार्टी नहीं चाहती किसी कार्रवाई को अंजाम दिया जाए

    क्योंकि राजनीति में अक्सर ही यह देखने को मिलता है कि बागी होकर खड़ा हुआ प्रत्याशी जीत की माला पहनता है और पार्टी ने जिसे टिकट दिया हो वह हार जाता है। सूत्र बताते हैं कि प्रदेश के बड़े नेता भी यह नहीं चाहते कि निगम चुनाव में एआइसीसी दखल दें, क्योंकि हरेक नगर निगम की स्थिति अलग हैं।

    एक वरिष्ठ नेता बताते हैं, कई बार ऐसी स्थिति में दोनों हाथों में लड्डू होते हैं। अगर पार्टी का प्रत्याशी जीत गया तो अच्छा और अगर बागी होकर चुनाव लड़ा प्रत्याशी जीत गया तो वह वापस पार्टी में आ जाता है। ऐसे में अगर पार्टी ने कोई कार्रवाई कर दी तो उस स्थिति में परिस्थितियां बदल जाती हैं। इसलिए चुनाव के दौरान पार्टी नहीं चाहती कि इस तरह की कोई कार्रवाई को अंजाम दिया जाए।

    आंकड़ा देने को तैयार नहीं जिला इकाई

    वहीं, जिला प्रधानों की सोच यह भी हैं कि पार्षद के चुनाव में वह किसी की नाराजगी मोल न लें। क्योंकि आगे चल कर जब विधान सभा के चुनाव आते हैं तो इस परिस्थिति में नुकसान का सामना करना पड़ता है। यही कारण है कि कोई भी जिला प्रदेश प्रधान को यह आंकड़ा देने के लिए तैयार ही नहीं है कि उनके यहां कितने बागी चुनाव मैदान में उतरे हैं।

    पार्टी के सूत्र बताते हैं कि सबसे ज्यादा बागी लुधियाना नगर निगम में खड़े हुए हैं। जिसकी संख्या 20 के करीब बताई जा रही है। जबकि अमृतसर में भी 15 के करीब कांग्रेस के बागी चुनाव मैदान में डटे हुए हैं। कमोवेश इतनी ही संख्या जालंधर की भी है।

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