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    Lok Sabha Election 2024: तीन चुनाव में विरोध झेलने वाले अकाली दल को इस बार राहत, चुनावी शोर से गायब 'बेअदबी' का मामला

    Updated: Tue, 14 May 2024 02:12 PM (IST)

    Lok Sabha Election 2024 पंजाब में शिरोमणि अकाली दल को पिछले चुनावों में बेअदबी मामले से बड़ा नुकसान हुआ है। इस बार लोकसभा चुनाव में अकाली दल को थोड़ी राहत मिली है। चुनावी शोर से यह मामला नदारद सा नजर आ रहा है। आने वाली एक जून को पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर चुनाव होने हैं। इस चुनाव में अकाली दल अकेले ही मैदान में है।

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    Akali Dal को राहत, चुनावी शोर से गायब 'बेअदबी' का मामला

    इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। Punjab Lok Sabha Election 2024: पिछले तीन चुनाव में लोगों का सबसे ज्यादा विरोध झेल रहे शिरोमणि अकाली दल (बादल) के प्रत्याशियों को इस बार सबसे कम विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

    श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी को लेकर विधानसभा चुनाव 2017, लोकसभा चुनाव 2019 और विधानसभा चुनाव 2022 में पार्टी बुरी तरह से हार गई। हालात ऐसे बन गए कि 2007 और 2012 में लगातार दो बार सत्ता में काबिज होने वाली पार्टी आज मात्र तीन विधानसभा सीटों पर सिमटी हुई है।

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    चुनाव में बेअदबी का मुद्दा इतना गर्म नहीं

    वोट बैंक भी 41 प्रतिशत से कम होकर 18 पर रह गया है। हालांकि इस बार बेअदबी का मुद्दा इतना गर्म नहीं है, जिस कारण विरोध कम है। पार्टी प्रधान सुखबीर बादल अपने पुराने पंथक वोट बैंक को वापस लाना चाहते हैं। इसके लिए वह पिछले दो माह से पंजाब बचाओ यात्रा कर रहे हैं।

    इससे आंशिक रूप से सफलता जरूर मिली है, लेकिन पार्टी को जिस हिसाब से वोट बैंक की वापसी की तलाश है, वह अभी पूरी होती दिख रही।

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    सुखदेव सिंह ढींडसा, बीबी जगीर कौर सहित कई बड़े नेताओं के वापस आने से लग रहा था कि पार्टी वापसी करेगी, लेकिन संगरूर में परमिंदर सिंह ढींडसा को टिकट न देने और ढींडसा परिवार के किसी सदस्य को कोर कमेटी में शामिल न करने के कारण उनका ग्रुप अभी चुनाव में सक्रिय नहीं हुआ है। परमिंदर ढींडसा लहरागागा और सुनाम सीटों से विधानसभा चुनाव लड़ते रहे हैं।

    जनता का गुस्सा नजर आ रहा शांत

    वे पिछले कुछ दिनों से यहां सक्रिय थे। अब जैसे ही इस सीट पर पूर्व विधायक इकबाल सिंह झूंदा का नाम तय हुआ है, वह निराश होकर धीरे-धीरे पीछे हट गए हैं।

    पार्टी को पूरी उम्मीद है कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी का मामला हो या नशे का, इस पर जनता का गुस्सा काफी हद तक शांत हो गया है।

    इससे पार्टी के काडर की वापसी हो सकेगी। इन चुनाव में पार्टी का वोट बैंक निश्चित रूप से बढ़ेगा, लेकिन क्या यह वापसी वोट में बदल पाएगी, यह तो मतदान के बाद ही पता चलेगा। अभी तक जिस प्रकार से पार्टी की प्रचार मुहिम चल रही है, उसमें सुखबीर बादल अकेले ही लड़ते दिखाई दे रहे हैं।

    पार्टी को इस बार मिलेगा फायदा?

    विरोध न होने के बावजूद गर्मी नहीं पकड़ पा रही पार्टी की मुहिम इस बार ज्यादा विरोध न होने के बावजूद अभी तक पार्टी की मुहिम गर्मी नहीं पकड़ पाई है। अधिकांश सीटों पर पार्टी के प्रत्याशी दौड़ में भी दिखाई नहीं दे रहे। हालांकि पार्टी को इस बार यह भी उम्मीद है कि अगर कांग्रेस कुछ सीटों पर अच्छा करती है तो इसका फायदा उन्हें जरूर मिलेगा।

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