पंजाब में चालान और वाहन पंजीकरण में करोड़ों का घोटाला, HC ने सरकार से मांगा जवाब; DGP और विजिलेंस ब्यूरो को नोटिस
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने राज्य में चालान और वाहन पंजीकरण घोटाले पर पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता रविंद्र कटारिया ने आरोप लगाया है कि परिवहन विभाग के अधिकारी कम जुर्माना वसूल रहे हैं जिससे सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान हो रहा है। कबाड़ वाहनों के अवैध पंजीकरण का भी आरोप है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने राज्य में चालान और वाहन पंजीकरण से जुड़े करोड़ों रुपए के घोटाले पर सख्त रुख अपनाते हुए पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। कोर्ट ने यह कदम लुधियाना निवासी आरटीआई कार्यकर्ता रविंद्र कटारिया द्वारा दायर जनहित याचिका पर उठाया।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि परिवहन विभाग के अधिकारी ओवरलोड वाहनों पर मोटर वाहन अधिनियम की धारा 194 के तहत निर्धारित न्यूनतम जुर्माना वसूलने के बजाय बेहद कम राशि या कई मामलों में कोई जुर्माना ही नहीं वसूल रहे हैं, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंच रहा है।
याचिकाकर्ता के अनुसार अगस्त 2023 से फरवरी 2025 तक इस अनियमितता से 12.26 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है जबकि यदि 2019 से अब तक का आंकड़ा देखा जाए तो यह नुकसान 100 करोड़ से भी अधिक हो सकता है।
याचिका में दूसरा बड़ा आरोप कबाड़ और चोरी किए गए वाहनों के अवैध पंजीकरण का है। दावा किया गया है कि परिवहन विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से जाली दस्तावेज बनाकर कबाड़ वाहनों को नए नंबरों से पंजीकृत किया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर एक कबाड़ वाहन जिसका पुराना नंबर एचआर 74 एक्स 2231 था, उसे बठिंडा आरटीओ कार्यालय में रिकॉर्ड से छेड़छाड़ कर पीबी 03 बीई 3497 नंबर के साथ दोबारा पंजीकृत कर दिया गया। इसी तरह लक्जरी कारों को भी कम कीमत पर पंजीकृत किए जाने के मामले सामने आए हैं।
कोर्ट को यह भी बताया गया कि पहले इसी मामले से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने अधिकारियों के ढुलमुल रवैये पर नाराजगी जताई थी और 8 मई को संबंधित अधिकारियों के एक-तिहाई वेतन पर रोक भी लगा दी थी।
अब चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने राज्य सरकार, परिवहन विभाग के अधिकारियों, डीजीपी और विजिलेंस ब्यूरो को नोटिस जारी कर नौ दिसम्बर तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि इस पूरे घोटाले में शामिल अधिकारियों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
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