फाइलों में लगी दीमक, कुछ हुईं गुम; तो कुछ चोरी... रिकॉर्ड न मिलने पर हाई कोर्ट ने 23 साल पुराना मामला किया बंद
एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने 23 साल पुराने केस (23 Years old case) में रिकॉर्ड न मिलने पर केस बंद कर दिया है। कोर्ट ने सुनवाई केवल इस आधार पर बंद कर दी कि कुछ फाइलें या तो दीमक खा गई या फिर कुछ गुम हो गईं। हाईकोर्ट ने कहा कि दोबारा याचिका डालने के लिए याचिकाकर्ता स्वतंत्र है।
राज्य ब्यूरो,चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने लगभग 23 साल पुराने एक मामले की सुनवाई केवल इस आधार पर बंद कर दी कि उस मामले को कोई भी रिकॉर्ड मौजूद नहीं हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि क्योंकि सभी संभव प्रयासों के बावजूद इस केस के रिकॉर्ड का पता नहीं लगाया जा सका।
जस्टिस अनूप चितकारा ने कहा फाइलों के ढेर को देखते हुए अगर कुछ फाइलें गुम हो जाती हैं, चोरी हो जाती हैं, दीमकों द्वारा खा ली जाती हैं, या दूसरों के साथ मिल जाती हैं तो यह असामान्य नहीं होगा। इसे देखते हुए इस अदालत के पास एकमात्र विकल्प यही है कि इस याचिका को बंद करें, किसी भी पक्ष को पुनर्निर्मित रिकॉर्ड रखकर आवेदन दायर करके इसे पुनर्जीवित करने की स्वतंत्रता सुरक्षित है।
नहीं मिल पाए पूरे रिकॉर्ड...
ये टिप्पणियां भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से संबंधित मामले में पंजाब राज्य द्वारा 2000 में दायर पुनर्विचार याचिका के जवाब में आईं। बताया गया कि आरोपित को 2012 में दोषी ठहराया गया और दो साल की कैद की सजा सुनाई गई। हालांकि, अदालत को सूचित किया गया कि तमाम कोशिशों के बावजूद मामले के रिकॉर्ड का पता नहीं लगाया जा सका।
दलीलों पर विचार करते हुए हाई कोर्ट ने कहा रिकॉर्ड के पुनर्निर्माण के लिए किए गए प्रयासों और उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए विस्तृत कार्यालय रिपोर्ट से पता चलता है कि सभी संभावित प्रयासों के बावजूद रिकार्ड पुनर्गठित करने के लिए उपलब्ध नहीं है।
दोबारा आवेदन करने के लिए स्वतंत्र हैं याचिकाकर्ता
कार्यालय रिपोर्ट में कहा गया मामला इतना पुराना होने के बावजूद, याचिकाकर्ता ने इसके फैसले में तेजी लाने के लिए कभी कोई आवेदन दायर नहीं किया, जो इस पुराने मामले पर बहस करने के उसके गंभीर इरादे पर संदेह पैदा करता है।
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जस्टिस चितकारा ने आगे कहा, शायद शुरुआती देरी ने सभी उम्मीदें खो दीं और उचित समय में निर्णय लेने में विफलता ने शायद न्याय की उम्मीदों को विफल कर दिया। अदालत ने यह कहते हुए याचिका का निपटारा कर दिया कि इस अदालत के पास एकमात्र विकल्प इस याचिका को बंद करना ही है, किसी भी पक्ष को पुनर्निर्मित रिकॉर्ड के साथ आवेदन दायर करके इसे पुनर्जीवित करने की स्वतंत्रता है।
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