GST Tribunal बिल लाकर राज्यपाल को घेरने की जुगत में पंजाब सरकार, शुरू हुईं बैठकें; विधायकों को हुए नोटिस जारी
GST Tribunal पंजाब सरकार ने पंजाब विधानसभा के बजट सत्र की दो और बैठकें 20 और 21 अक्टूबर को बुला ली हैं। मार्च में संपन्न हुए बजट सत्र की एक बैठक 19 जून को बुलाई गई थी। पंजाब विधानसभा सचिवालय की ओर से सभी विधायकोंराज्यपाल आदि को सत्र की इस बैठक संबंधी आज नोटिस जारी करके सूचित कर दिया है।

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। पंजाब सरकार ने पंजाब विधानसभा के बजट सत्र की दो और बैठकें 20 और 21 अक्टूबर को बुला ली हैं। मार्च में संपन्न हुए बजट सत्र की एक बैठक 19 जून को बुलाई गई थी और सत्रावसान किए बगैर सरकार ने अब एक और बैठक 20 और 21 अक्टूबर को बुला ली है।
इस बैठक में जीएसटी ट्रिब्यूनल का बिल लाकर सरकार राज्यपाल को घेरने के मूड में हैं। पंजाब विधानसभा सचिवालय की ओर से सभी विधायकों, राज्यपाल आदि को सत्र की इस बैठक संबंधी आज नोटिस जारी करके सूचित कर दिया है।
टैक्स के लिए जीएसटी सिस्टम लागू हुए को पांच साल हुए
जीएसटी ट्रिब्यूनल को लेकर केंद्र सरकार ने पिछले दिनों लोकसभा और राज्यसभा में यह बिल पारित करवा दिया था और अब इसे सभी राज्य सरकारों को पारित करना जरूरी है। पंजाब में जीएसटी ट्रिब्यूनल के दो जगह दफ्तर बनेंगे। पहला चंडीगढ़ में और दूसरा जालंधर में। टैक्स के लिए जीएसटी सिस्टम लागू हुए को पांच साल हो गए हैं लेकिन विवादों के लिए अभी तक कोई ट्रिब्यूनल नहीं बना था।
यह एक अक्टूबर से पहले पारित करना जरूरी था। आखिरकार पंजाब ने भी विधानसभा की एक और बैठक बुलाकर इसे मंजूरी देने का मन बना लिया है।
हालांकि इसके बहाने सरकार राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित को भी कटघरे में खड़ा करना चाहती है। राज्यपाल, जिन्होंने जून महीने में बुलाई गई विधानसभा की बैठक को अवैध करार देते हुए इस सत्र के दौरान पारित बिलों को मंजूरी नहीं दी के लिए अब मुश्किल खड़ी हो जाएगी।
यह बैठक भी ठीक उसी तरह बुलाई गई है जैसी कि जून महीने में बुलाई गई थी और राज्यपाल ने इसे यह कहते हुए असंवैधानिक बताया था कि इसकी उनसे मंजूरी नहीं ली गई है। हालांकि सरकार का कहना था कि चूंकि बजट सत्र का सत्रावसान नहीं हुआ है इसलिए स्पीकर जब चाहें बैठक बुला सकते हैं और इस संबंधी केवल विधायकों के साथ साथ राज्यपाल को सूचित करना जरूरी होता है और ऐसा कर दिया गया था। अब एक बार फिर से उसी तरह की बैठक बुलाकर सरकार राज्यपाल को कटघरे में खड़ा कर सकती है।
विधानसभा में करवाए थे चार बिल पारित
चूंकि यह केंद्र सरकार का बिल है उसे हर राज्य सरकार को पारित करना ही होगा। ऐसे में अगर राज्यपाल इसे पारित करते हैं तो उनके पास जून महीने में पारित बिलों को भी पास करना होगा। एक ही तरीके से विधानसभा की दो अलग अलग समय में बुलाई बैठकों में एक ही तरीके से देखना होगा।
यानी राज्यपाल जून महीने की बैठक को असंवैधानिक और अक्टूबर महीने की बैठक को संवैधानिक नहीं बता सकेंगे। 19 और 20 जून को बुलाई गई विधानसभा की बैठकाें में चार बिल पारित किए गए थे जिसमें पंजाब पुलिस संशोधन बिल 2023, सिख गुरुद्वारा संशोधन बिल 2023 और यूनिवर्सटीज बिल 2023 शामिल हैं।
पहले बिल में डीजीपी की स्थायी नियुक्ति के लिए प्रांतीय स्तर पर कमेटी बनाना, सिख गुरुद्वारा संशोधन बिल में गुरबाणी का निशुल्क प्रसारण करवाना और यूनिवसिर्टी बिल के जरिए चासंलर का पद राजयपाल की जगह मुख्यमंत्री को देना आदि शामिल है। अब अगर जीएसटी टिब्यूनल के लिए बिल को राज्यपाल मंजूरी देते हैं तो उन्हें इन बिलों को भी मंजूरी देनी ही पड़ेगी।
एसवाईएल और डॉ एमएस स्वामीनाथन पर बहस जारी
एसवाईएल और डॉ एमएस स्वामीनाथन रिपोर्ट पर बहस हालांकि अभी सरकार ने बिजनेस को फाइनल नहीं किया गया है लेकिन माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार सतलुज यमुना लिंक नहर व नदी जल विवाद पर भी बहस करवा सकती है।
इसके अलावा राज्य सरकार राष्ट्रीय किसान आयोग के पूर्व चेयरमैन डॉ एमएस स्वामीनाथन जिनका कुछ दिन पहले ही निधन हुआ है की रिपोर्ट पर भी बहस करवा सकता है। काबिले गौर है कि राज्यपाल और मुख्मयंत्री के बीच सत्रावसान को लेकर पिछले लंबे समय से विवाद चल रहा है।
राज्य सरकार बजट सत्र का सत्रावसान नहीं करवा रही है बल्कि इसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करवा रही है। ऐसे में न तो मानूसन सत्र हो रहा है और न ही शीतकालीन सत्र। सत्रावसान के बाद विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल की मंजूरी लेनी होती है।
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