पंजाब सरकार ने अब बनाया छह सदस्यीय राजस्व आयोग
पंजाब के मुख्यमंत्री ने राज्य में राजस्व आयोग का गठन करने की घोषणा की है। आयोग के चेयरमैन सेवानिवृत्त जस्टिस एसएस सारों होंगे। आयोग ठह सदस्यीय होगा।
जेएनएन, चंडीगढ़। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली चुस्त-दुरुस्त करने और नए कानून बनाने को लेकर राजस्व आयोग का गठन किया है। सेवानिवृत्त जस्टिस एसएस सारों को आयोग का चेयरमैन बनाया गया है। रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारटी के एनएस कंग, पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के अर्थशास्त्र विभाग के डाक्टर एसएस गिल, पूर्व पीसीएस अधिकारी जसवंत सिंह और स्टेट कोओपरेटिव बैंक के पूर्व एमडी जीएस मांगट इसके सदस्य होंगे। पंजाब भूमि रिकार्ड सोसायटी (पीएलआरएस) के सलाहकार एनएस संघा इसके सदस्य सचिव होंगे।
सेवानिवृत्त जस्टिस एसएस सारों को बनाया गया चेयरमैन, आयोग की अवधि एक साल
पंजाब सरकार की तरफ से इस संबंध में जारी नोटिफिकेशन के अनुसार अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व), पंजाब भूमि रिकार्ड सोसायटी इस कमिशन को सचिवीय सहायता मुहैया करवाएंगे। साथ ही राजस्व विभाग और राज्य सरकार के अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी आयाेग के कार्य में मदद करेंगे। फिलहाल आयोग की अवधि एक साल के लिए है। सरकार इसे जरूरत पडऩे पर और बढ़ा सकती है।
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आयोग राजस्व विभाग से लोगों की उम्मीदें व मौजूदा कार्यप्रणाली का जायजा लेने के बाद उनमें संशोधन की रिपोर्ट तैयार करके सरकार को सौंपेगा। साथ ही डिवीजऩ, जि़ला, सब डिवीजऩ, तहसील, सब -तहसील, कानूनगो और पटवार सर्कलों के साथ संबंधित सभी प्रशासकीय इकाइयों के लिए जनसंख्या, क्षेत्र आदि के नियमों संबंधी भी अपने सुझाव देगा।
भूमि प्रबंधन को लेकर नए कानून बनाने पर भी फोकस
आयोग पंजाब भूमि राजस्व एक्ट 1887, पंजाब काश्तकार एक्ट 1887, पंजाब भूमि सुधार एक्ट, 1972 और अन्य संबंधित ऐक्टोंं और मैनूअल्स की स्टडी करने के बाद इनमें संशोधन करके नए कानून बनाने पर भी अपने प्रस्ताव सरकार को देगा। आयोग की सिफारिश के अनुसार मौजूदा कानूनों में परिवर्तन को सरकार क्लीन चिट देगी। आयोग को सरकार ने यह अधिकार भी दिए हैं कि खेती व औद्योगिक प्रयोग को लेकर जमीन की पैदा हो रही जरूरतों के मद्देनजर नया एक्ट भी बनाने को लेकर अपनी रिपोर्ट पेश करे।
सरकारी जमीन के प्रयोग की नीतियों का जायजा भी लेगा आयोग
आयोग सरकारी ज़मीन का डिस्पोज़ल व प्रयोग संबंधित मौजूदा नीतियों का भी जायज़ा लेगा। इस जायज़े दौरान नाज़ूल भूमि, खाली भूमि और मौफी भूमि पर विशेष तौर पर ज़ोर दिया जाएगा और इस संबंध में संशोधन के सुझाव दिए जाएंगे।
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