छात्रा ने बनाया बेहद कम खर्च में टाइफाइड की जांच करने की डिवाइस
अभी टाइफाइड की जांच के लिए वीडॉल टेस्ट पर खर्च पर लगभग 250 से 350 रुपये खर्च होते हैं। लेकिन प्रीति पठानिया ने एेसे डिवाइस तैयार की है जिससे 35 रुपये में टेस्ट हो जाएगा।
चंडीगढ़ [डॉ. रविंद्र मलिक]। टाइफाइड पीड़ित मरीजों को अब महंगा वीडाल टेस्ट करवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि चंडीगढ़ की प्रीति पठानिया ने एक ऐसी बायोमेडिकल डिवाइस बनाई है जो कि कम पैसे खर्च करने पर भी सटीक परिणाम देगी। इस डिवाइस का पीजीआइ में मरीजों पर परीक्षण भी हो चुका है।
टाइफाइड की जांच के लिए अभी विश्व भर में मरीज का वीडाल व टाइफैक्स टेस्ट होता है। यह टेस्ट 250 से 350 रुपये में होता है, जबकि इसकी विश्वसनीयता 35 से 40 फीसद ही है। चंडीगढ़ के इंस्टीटयूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी (इमटेक) की रिसर्च स्कॉलर प्रीति पठानिया ने करीब ढ़ाई साल की अथक मेहनत और गहन रिसर्च के बाद बायोमेडिकल डिवाइस इजाद की है जो कि टाइफाइड के बैक्टीरिया सालमोनेला टाइफी की पहचान तुरंत कर लेगी। इस टेस्ट के लिए मरीज को सिर्फ 35 रुपये ही खर्च करने पड़ेंगे और रिपोर्ट भी 95 फीसद सही होगी।
एक बूंद खून से हो जाएगी जांच
टाइफाइड की जांच के लिए इस बायोमेडिकल डिवाइस में मरीज का खून डालना होगा। इसमें एक रीडर लगा है। अगर खून में बैक्टीरिया होगा तो रीडर इसकी पुष्टि कर देगा। टाइफाइड की जांच रीडर सिर्फ एक बूंद से कर देगा। यह डिवाइस मोबाइल से थोड़ी ही बड़ी है। इसे आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है। पीएचडी स्कॉलर प्रीति की इस रिसर्च पर करीब 18 से 20 लाख रुपये खर्च आया है। रीडर मशीन करीब दस हजार रुपये में आएगी।
8 मिनट में ऑप्टिकल सेंसर देगा रिजल्ट
टाइफाइड की रिपोर्ट के लिए मरीज को अधिक देर तक इंतजार भी नहीं करना पड़ेगा। डिवाइस में ऑप्टिकल सेंसर लगे हैें, जोकि महज 8 से 10 मिनट में रिजल्ट बता देते हैं। इसमें सेंसर व नैनो तकनीक प्रयोग की गई है।
34 मरीजों पर पीजीआइ में किया गया परीक्षण
बायोमेडिकल डिवाइस का पीजीआइ में पिछले कुछ महीनों में 34 मरीजों पर परीक्षण भी किया जा चुका है। इनमें 12 मरीज पंचकूला के थे। यहां खून की जांच कई बार की गई और 95 फीसद परिणाम सही निकले।
नीति आयोग के सदस्य के सामने होगी प्रेजेंटेशन
इस डिवाइस की प्रेजेंटेशन अगले कुछ दिनों में नीति आयोग के सदस्य विनोद पाल के सामने दी जाएगी। इस संबंध में पंजाब यूनिवर्सिटी के वीसी अरुण कुमार ग्र्रोवर की नीति आयोग से बात भी हो चुकी है। इस प्रजेंटेशन को लेकर इमटेक व पीयू उत्साहित हैं।
प्रीति पठानिया की मेहनत रंग लाई
प्रीति पठानिया पिछले कई साल से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं। उनके गाइड इमटेक से डॉ. रमन सूरी और पंजाब यूनिवर्सिटी से डॉ. प्रवीण ऋषि हैं। डॉ. रमन सूरी ने बताया कि प्रीति इमटेक से पीएचडी कर रही हैं। डीएसटी सेंटर फॉर पॉलिसी के प्रोफेसर रूपिंदर तिवारी ने भी रिसर्च में मदद की। प्रीति ने इस डिवाइस को बनाने में काफी मेहनत की है, इसलिए पूरा श्रेय उसे ही जाता है।
पीयू के वीसी प्रो. अरुण कुमार ग्रोवर का कहना है कि बायोमेडिकल डिवाइस की प्रेजेंटेशन नीति आयोग के सदस्य विनोद पाल के सामने दी जाएगी। डिवाइस स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़ी खोज है। इमटेक व पीयू भविष्य में भी इस तरह की रिसर्च पर काम करते रहेंगे।
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