पंजाब के 2 पूर्व मंत्रियों को हाई कोर्ट ने दी राहत, सुंदर शाम और भारत भूषण आशु को जमानत; क्या था मामला?
पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने पूर्व मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा और भारत भूषण आशु को भ्रष्टाचार के मामलों में बड़ी राहत दी है। प्लॉट अलॉटमेंट घोटाले से जुड़े मामले में सुंदर शाम अरोड़ा के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला रद्द कर दिया गया है। वहीं पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु के खिलाफ भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला भी रद कर दिया गया है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने पूर्व मंत्री सुंदर श्याम अरोड़ा को राहत देते हुए प्लॉट अलॉटमेंट घोटाला मामले में उनके खिलाफ एफआईआर को रद्द कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु की भ्रष्टाचार मामले में दर्ज एफआईआर रद्द कर दिया व ईडी मामले में जमानत दे दी है।
पूर्व मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा और 10 सरकारी अधिकारियों के खिलाफ एक औद्योगिक भूखंड को एक रियल एस्टेट कंपनी को हस्तांतरित करने और उसे टाउनशिप स्थापित करने की अनुमति देने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था।
सुंदर श्याम अरोड़ा ने हाई कोर्ट से लगाई गुहार
इस एफआइआर में आईएएस अधिकारी नीलिमा समेत पंजाब राज्य औद्योगिक निर्यात निगम के 10 सरकारी अधिकारियों/ कर्मचारियों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया था।
यह मामला एक इंडस्ट्रियल प्लॉट को एक डिवैल्पर कंपनी को तब्दील करने और प्लॉट काटकर टाउनशिप स्थापित करने की मंजूरी देने से जुड़ा है। इस केस में रियलटर्स फर्म गुलमोहर टाउनशिप के तीन मालिकों को भी इस केस में नामजद किया गया था। हाई कोर्ट में दायर याचिका में अरोड़ा ने आरोप लगाया था कि उसे इस मामले में फसाया जा रहा है।
यह है मामला
पंजाब सरकार ने साल 1987 में आनंद लैंप्स लिमिटेड कंपनी को सेल डीड के माध्यम से 25 एकड़ जमीन अलॉट की थी, जो बाद में सिग्नीफाई इनोवेशन नामक फर्म में तब्दील हो गई। सिगनीफाई इनोवेशन कंपनी ने पीएसआईडीसी से एनओसी लेकर इस प्लाट को गुलमोहर टाउनशिप को बेच दिया था।
तत्कालीन उद्योग मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा ने गुलमोहर टाउनशिप के उक्त प्लाट को कई हिस्सों में बांटने के पत्र को एमडी पीएसआईडीसी को भेज दिया था और पीएसआईडीसी के अधिकारियों ने फाइलों को देखे बिना यहां पर टाउनशिप बसाने की मंजूरी दे दी थी।
भारत भूषण आशु को भी राहत
आशु ने अपने खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने की हाई कोर्ट से की है मांग है। दायर याचिका में आरोप लगाए गए है कि उसके खिलाफ बिना प्रॉसिक्यूशन सेक्शन लिए सिर्फ राजनीतिक रंजिश के चलते मामला चलाया जा रहा है।
एक ही मामले को लेकर पिछले साल पहले 16 अगस्त और फिर बाद में 22 सितंबर को विजिलेंस ने दो एफआइआर दर्ज कर दी।
याचिका में आशु का कहना है कि पहले ही इसी मामले में उनके खिलाफ 16 अगस्त 2022 को एफआईआर दर्ज की हुई है, उसके बाद फिर एक और एफआईआर 22 सितंबर को दर्ज कर दी गई है। यह सीधे तौर पर कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है, ऐसे में एफआइआर को रद्द किया जाए।
बता दें कि खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में हुए करोड़ों के ट्रांसपोर्टेशन टेंडर घोटाले में विजिलेंस ने भारत भूषण आशु के खिलाफ पिछले साल 16 अगस्त को एफआईआर दर्ज कर दी थी, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। बाद में हाई कोर्ट ने आशु को जमानत दी थी।
आशु पर दो हजार करोड़ रुपए के टेंडरों में कथित घोटाला करने के आरोप लगे है। एक ठेकेदार यूनियन के आरोप के बाद राज्य विजिलेंस ने इसकी जांच एसएसपी स्तर के अधिकारी को सौंपी थी।
पूर्व खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री भारत भूषण आशु ने दायर याचिका में अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था । उन्होंने कहा कि पूर्व मंत्रियों को साजिश के तहत भ्रष्टाचार के झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है।
भारत भूषण आशु ने अपनी याचिका में कहा है कि 2018 -2019 में उनके खाद्य और आपूर्ति मंत्री रहते पंजाब फ़ूड ग्रेन्स ट्रांसपोर्टेश पॉलिसी लाई गई थी, जिसे केबिनेट ने मंजूरी दी थी इसमें ई-टेंडर के जरिए ही टेंडर मांगे गए थे यह सब डीसी के तहत ही किया जाता था ,ऐसे में इसमें उनका कोई दोष नहीं है।
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