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    'पंजाब भीख नहीं, मांग रहा है अपना हक', सीएम भगवंत मान ने SDRF पर केंद्र के दावों को विधानसभा में किया खारिज

    Updated: Wed, 01 Oct 2025 05:27 PM (IST)

    पंजाब विधानसभा में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बाढ़ राहत पर केंद्र सरकार के रवैये की आलोचना की। उन्होंने कहा कि राज्य अपना हक मांग रहा है भीख नहीं। मान ने पिछले 25 वर्षों के SDRF आंकड़ों को पेश करते हुए केंद्र के दावों को गलत बताया। उन्होंने कहा कि भयंकर बाढ़ से राज्य के 1400 गांव प्रभावित हुए और नुकसान 13800 करोड़ रुपये का अनुमान है।

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    पंजाब बाढ़ राहत पर मुख्यमंत्री मान का केंद्र सरकार पर हमला

    डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। पंजाब विधान सभा के विशेष सत्र में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बाढ़ राहत के मुद्दे पर केंद्र सरकार के रवैये को लेकर तीखा सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य अपने हक की मांग कर रहा है, भीख नहीं। मान ने विधानसभा में पिछले 25 वर्षों के SDRF (राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष) के पूरे आंकड़े सदन के समक्ष रखते हुए केंद्र के दावों को खारिज कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्र द्वारा SDRF में 12,000 करोड़ पड़े होने का दावा पूरी तरह से भ्रामक और तथ्यहीन है।

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    मुख्यमंत्री ने विस्तार से बताया कि अकाली-भाजपा गठबंधन और कांग्रेस की सरकारों के कार्यकाल सहित पिछले 25 सालों में राज्य को SDRF के तहत कुल मिलाकर केवल 6,190 करोड़ ही प्राप्त हुए है। इसमें से अधिकांश राशि पहले ही विभिन्न आपदाओं – बाढ़, सूखा, ओलावृष्टि और अन्य प्राकृतिक आपदाओं में खर्च हो चुकी है। वर्तमान में SDRF खाते में केवल लगभग 1,200 करोड़ ही शेष बचे है, जो इस विनाशकारी बाढ़ से निपटने के लिए नाकाफी है।

    2025 अगस्त में आई भयंकर बाढ़ ने पंजाब के लगभग 1,400 गांवों को अपनी चपेट में ले लिया और चार लाख से अधिक लोग सीधे तौर पर प्रभावित हुए। राज्य के प्रमुख कृषि क्षेत्रों में व्यापक तबाही हुई, जिसमें हजारों एकड़ खड़ी फसलें नष्ट हो गई। गेहूं, सरसों और अन्य रबी फसलों का भारी नुकसान हुआ। किसान संगठनों के अनुसार, लगभग 75,000 किसान परिवार पूरी तरह से बर्बाद हो गए है और उन्हें तत्काल राहत की सख्त ज़रूरत है।

    राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रारंभिक आकलन के अनुसार, बाढ़ से हुए कुल नुकसान का अनुमान 13,800 करोड़ है। इसमें कृषि क्षति, बुनियादी ढांचे को नुकसान, सड़कों और पुलों की क्षति, बिजली और पानी की आपूर्ति व्यवस्था को हुए नुकसान को शामिल किया गया है। हालांकि, राज्य सरकार का मानना है कि वास्तविक नुकसान इससे कहीं अधिक हो सकता है क्योंकि कई दूरदराज के इलाकों में अभी भी सर्वेक्षण का काम चल रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए पंजाब सरकार ने केंद्र से 20,000 करोड़ के विशेष राहत पैकेज की मांग की है।

    केंद्र सरकार ने अब तक केवल 1,600 करोड़ की राशि स्वीकृत की है, जिसे राज्य सरकार और विपक्षी दलों ने “समुंद्र में बूंद” करार दिया है। केंद्र की ओर से यह भी सुझाव दिया गया कि राज्य SDRF में पड़े 12,000 करोड़ के फंड का उपयोग करे। इस पर मुख्यमंत्री मान ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह दावा “फ़िज़ूल कल्पना” और “अंकों की बाज़ीगरी” से ज़्यादा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि SDRF का पूरा हिसाब-किताब पारदर्शी तरीके से जनता के सामने रख दिया गया है और कोई भी इसे जांच सकता है।

    विधानसभा में अपने भाषण में मुख्यमंत्री मान ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “हम केंद्र से भीख नहीं मांग रहे, बल्कि अपने हक की मांग कर रहे हैं। GST के तहत राज्य का 50,000 करोड़ से अधिक रुका हुआ है, ग्रामीण विकास योजनाओं के लिए 8,000 करोड़ से अधिक अटका पड़ा है। ऐसे में आपदा के समय राज्य को उचित मदद न देना और भ्रामक आंकड़े पेश करना दुर्भाग्यपूर्ण है।” उन्होंने केंद्र से अपील की कि आपदा प्रबंधन जैसे संवेदनशील मामले में राजनीति को बीच में न लाया जाए और संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन किया जाए।

    राज्य सरकार ने अपने स्तर पर राहत कार्यों में कोई कमी नहीं छोड़ी है। प्रभावित किसानों को तत्काल सहायता देने के लिए राज्य के संसाधनों से ही शुरुआती मदद दी जा रही है। मुख्यमंत्री राहत कोष से भी सहायता राशि वितरित की जा रही है। हालांकि, राज्य के सीमित संसाधनों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि बिना केंद्र की पर्याप्त मदद के इस विशाल आपदा से निपटना संभव नहीं होगा। पंजाब सरकार ने केंद्र से एक बार फिर अपील की है कि वे तत्काल 20,000 करोड़ के राहत पैकेज को मंजूरी दें ताकि प्रभावित लोगों को जल्द से जल्द राहत पहुंचाई जा सके।