Punjab News: SYL पर विरोध के सुर अलग-अलग, CM की चुनौती पर विपक्षी दलों ने सरकार के सामने खींची लकीरें
SYL के विरोध पर सभी पार्टियों ने अपने अलग-अलग सुर लगाने शुरू कर दिए हैं। भाजपा ने जहां एसवाईएल पर एक निष्पक्ष कांफ्रेंस कराने की घोषणा की तो कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर 27 अक्टूबर को पंजाब यूनिवर्सिटी में सेमिनार करवाने का निर्णय कर लिया है। इससे तय है कि एक नवंबर को पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (पीएयू) लुधियाना में बहस में कोई भी विपक्षी पार्टी हिस्सा नहीं लेगी।

कैलाश नाथ, चंडीगढ़। सतलुज यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) के विरोध में सभी राजनीतिक पार्टियों के सुर अलग-अलग हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने विपक्षी पार्टियों को एसवाईएल समेत पंजाब के मुद्दों पर बहस की चुनौती दी तो सभी पार्टियों ने उनके सामने अपनी-अपनी लकीरें खींचनी शुरू कर दीं। भाजपा ने जहां एसवाईएल पर एक निष्पक्ष कांफ्रेंस कराने की घोषणा की तो कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर 27 अक्टूबर को पंजाब यूनिवर्सिटी में सेमिनार करवाने का निर्णय कर लिया है।
बहस में कोई भी विपक्ष पार्टी हिस्सा नहीं लेगी
इससे तय है कि पंजाब सरकार द्वारा इस मुद्दे पर एक नवंबर को पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (पीएयू) लुधियाना में करवाई जाने वाली बहस में कोई भी विपक्षी पार्टी हिस्सा नहीं लेगी। अहम बात यह है कि एसवाईएल का सभी पार्टियां विरोध कर रही हैं, लेकिन कोई भी एक-दूसरे के मंच पर आने को तैयार नहीं है। 46 वर्षों में सात बार ऐसा प्रस्ताव पास हो चुका है कि एसवाईएल से एक बूंद पानी भी किसी दूसरे राज्य को नहीं जाने दिया जाएगा।
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एसवाईएल के खिलाफ राजनीतिक दल एक साथ
एसवाईएल के खिलाफ हमेशा ही सभी राजनीतिक दल एक मंच पर ही दिखाई दिए हैं। इस बार पहला मौका है जब सारी पार्टियां इसका विरोध तो कर रही हैं, लेकिन एक साथ मंच पर आने को कोई तैयार नहीं है। राज्य सरकार भी सभी दलों को एक साथ लाने में नाकामयाब हुई है। इसका मुख्य कारण यह रहा कि मुख्यमंत्री ने एसवाईएल के मुद्दे पर सभी पार्टियों को बहस के लिए चुनौती दे डाली, जबकि विपक्ष सरकार से सर्वदलीय बैठक की मांग कर रहे थे।
पार्टियों ने अपनी-अपनी शर्तें सरकार पर थोपी
मुख्यमंत्री द्वारा चुनौती पेश करने के कारण सभी पार्टियों ने अपनी-अपनी शर्तें सरकार पर थोप दीं। अब भाजपा और कांग्रेस ने अपने-अपने स्तर पर एसवाईएल पर बहस करवाने का फैसला ले लिया है। कांग्रेस ने सेमिनार रखा है, जिसमें पूर्व नौकरशाह और बुद्धिजीवी शामिल होंगे, जबकि भाजपा कान्फ्रेंस करेगी, जिसमें किसान संगठन भी हिस्सा लेंगे।
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