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पंजाब कांग्रेस प्रधान जाखड़ थर्मल प्लांटों को एक्सटेंशन की बात पर बिफरे, AG पर उठाए सवाल

पंजाब कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ ने राज्‍य में थर्मल प्‍लांटों को एक्‍सटेंशन देने की बात पर नाराज हैं। इसके साथ ही उन्होंने एक बार फिर महा‍धिवक्‍ता अतुल नंदा पर सवाल उठाया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 08 Feb 2020 04:39 PM (IST)Updated: Sat, 08 Feb 2020 04:39 PM (IST)
पंजाब कांग्रेस प्रधान जाखड़ थर्मल प्लांटों को एक्सटेंशन की बात पर बिफरे, AG पर उठाए सवाल
पंजाब कांग्रेस प्रधान जाखड़ थर्मल प्लांटों को एक्सटेंशन की बात पर बिफरे, AG पर उठाए सवाल

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने एक बार फिर से प्राइवेट थर्मल प्लांटों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने सवाल किया कि जब केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने इन थर्मल प्लांटों को बंद करने को कहा था तो फिर इन्हें एक्सटेंशन देने की जरूरत क्या है? इसके साथ ही उन्होंने अपनी ही सरकार के एडवोकेट जनरल (एजी) अतुल नंदा की कारगुजारी पर दोबारा सवाल उठाए हैैं।

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अपनी ही सरकार के एडवोकेट जनरल नंदा की कारगुजारी पर फिर उठाए सवाल

उल्लेखनीय है कि सीपीसीबी ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के आदेशों का पालन करते हुए दिल्ली के तीन सौ किलोमीटर के दायरे में आने वाले थर्मल प्लांटों को बंद करने का नोटिस दिया था। इस पर पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय से दो साल की एक्सटेंशन देने की मांग कर दी जिसको लेकर जाखड़ नाराज हैं। पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले भी वह इन प्राइवेट थर्मल प्लांटों के साथ हुए समझौतों को रद करने की मांग कर चुके हैं।

कहा, केस को कमजोर करने के लिए पीपीसीबी मांग रहा एक्सटेंशन

जागरण से बातचीत में उन्होंने कहा कि लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने वाले थर्मल प्लांटों के लिए पीपीसीबी क्यों एक्सटेंशन मांग रहा है? सुप्रीम कोर्ट ने जब पराली जलाने के मामले में आदेश जारी किए थे तो क्या प्रदूषण बोर्ड ने किसानों के लिए यह एक्सटेंशन मांगी थी? उन्होंने एजी अतुल नंदा की कारगुजारी पर भी सवाल उठाए कि जब दो साल पहले यह पत्र जारी हुआ था, तब से लेकर अब तक कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की? पीपीसीबी द्वारा मांगी गई एक्सटेंशन केवल इसलिए है ताकि अदालत में केस को कमजोर किया जा सके।

जाखड़ ने कहा कि  प्राइवेट थर्मल प्लांटों के साथ पूर्व बिजली मंत्री सुखबीर बादल ने गलत समझौते किए हुए हैं। इसीलिए पंजाब के लोगों को महंगी बिजली खरीदनी पड़ रही है। हमें इन प्लांटों को हर साल बिजली न लेने के एवज में भी 2300 करोड़ रुपये देना पड़ा रहा है। अगर पंजाब सरकार सीपीसीबी के नोटिस को आधार बनाकर अगले दो सालों के लिए भी प्लांट बंद कर देती है तो इससे राज्य सरकार को 4600 करोड़ रुपये का सीधा फायदा होगा।

कल करेंगे दौरा, सीएम को देंगे रिपोर्ट

जाखड़ ने कहा कि वह 9 फरवरी को उन गांवों का दौरा करके लोगों से मिलेंगे जहां तीन दिन पहले तलवंडी साबो थर्मल प्लांट से भारी मात्रा में राख गिराई गई है। वह रिपोर्ट सीएम को सौंपेंगे और उनसे कहेंगे कि इन थर्मल प्लांटों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। प्राइवेट थर्मल प्लांट बंद किए जाने की सूरत में होने वाली बिजली की कमी के बारे में कहा कि आजकल सभी राज्य बिजली सरप्लस हैं। ऐसे में प्राइवेट थर्मल प्लांटों से महंगी बिजली खरीदने की क्या जरूरत है?

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सीपीसीबी ने जारी किया था नोटिस

सीपीसीबी ने पंजाब के तीन थर्मल प्लांटों को नोटिस जारी किया था। इसमें कहा गया था कि या तो वे तो अपने थर्मल प्लांटों में सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन व मरकरी के उत्सर्जन करने वाले उपकरण लगाएं या इसे बंद कर दें। यह आदेश 2015 में जारी किए थे और थर्मल प्लांटों को दो साल तक का समय दिया था। 2017 में एक बार फिर से दो साल की एक्सटेंशन दे दी गई और कहा गया कि 31 दिसंबर तक  प्रदूषण फैलाने वाली गैसों से न निपटा गया तो इसे बंद कर दिया जाएगा। मामला सुप्रीम कोर्ट में भी है।

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