शंभू-खनौरी बॉर्डर से किसानों को हटाने पर सदन में हंगामा, कांग्रेस विधायक बोले- इस घटना ने पंजाब का सिर झुका दिया
पंजाब विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन शुक्रवार को शंभू और खनौरी बॉर्डर से किसानों को हटाने के मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। कांग्रेस विधायकों ने जय जवान-जय किसान के नारे लगाते हुए राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया के अभिभाषण का बहिष्कार किया। विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने किसानों और कर्नल बाठ के मुद्दे को उठाने की कोशिश की।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा सीमा पर शंभू व खनौरी में किसानों के एक वर्ष से अधिक लंबे समय से लगे मोर्चे हटाने को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस ने विधानसभा (Punjab Vidhansabha Session 2025) के बजट सत्र के पहले दिन शुक्रवार को जमकर हंगामा किया तथा ‘जय जवान-जय किसान’ के नारे साथ राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया के अभिभाषण का बहिष्कार किया।
विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने अभिभाषण के समय किसानों व कर्नल बाठ का मुद्दा उठाने का प्रयास किया पर जब उनकी बात नहीं बनी तो कांग्रेस विधायक वेल में पहुंचकर नारेबाजी करने लगे और फिर सदन से बाहर चले गए। विधानसभा की दोपहर बाद वाली बैठक में शून्यकाल में प्रताप बाजवा ने पटियाला में कर्नल पुष्पेंद्र बाठ व उनके बेटे की पिटाई का मामला फिर उठाते हुए कहा कि इस घटना ने पंजाब का सिर शर्म से झुका दिया है।
12 पुलिस अफसरों को बर्खास्त करने की मांग
उन्होंने पटियाला के एसएसपी नानक सिंह को तुरंत बदलने और सभी 12 पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त करने की मांग की। उन्होंने यह भी कहा कि यदि मुख्यमंत्री में हिम्मत है तो वह तुरंत इस मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखें और एक सप्ताह के अंदर किसी सिटिंग जज या रिटायर्ड जज से जांच करवाएं।
तत्पश्चात, सदन के बाहर मीडिया कर्मियों से बात करते हुए बाजवा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने धरना लगवाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। अब लुधियाना वेस्ट के उपचुनाव में व्यापारियों की सहानुभूति लेने के लिए धरनास्थल पर पुलिस कार्रवाई की।
बाजवा ने आम आदमी पार्टी को घेरा
आप के प्रत्याशी संजीव अरोड़ा चुनाव जीतते हैं तो वह राज्यसभा की सीट खाली कर देंगे तथा आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल पंजाब से राज्यसभा चले जाएंगे इसलिए किसानों को धरनास्थल से हटाया गया जबकि सच्चाई यह है कि किसानों ने रास्ता नहीं रोका था। चुनाव समाप्त होने के बाद मुख्यमंत्री फिर किसानों के पास चले जाएंगे।
राज्यपाल कटारिया ने अपने अभिभाषण में पंजाब के पड़ोसी राज्यों से दशकों से लंबित मुद्दों का उल्लेख करने की भी औपचारिकता नहीं निभाई। इनमें सतलुज यमुना लिंक नहर, नदी जल विवाद, राजधानी के रूप में चंडीगढ़ को लेना और पंजाबी भाषी इलाके फिर से पंजाब में शामिल करना आदि शामिल है।
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