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    'पंजाब-हरियाणा सरकार चाहे तो गोशाला में बिठा दे', जजों के लिए आवास न होने पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी

    Updated: Fri, 10 Jan 2025 12:14 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने जजों के लिए आवास की व्यवस्था न होने पर तीखी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार चाहे तो जजों को गोशाला में बिठा दे। बता दें कि हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार की डेराबस्सी के एसडीएम कार्यालय को खाली करने के आदेश पर पुनर्विचार की अर्जी भी खारिज कर दी है।

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    पंजाब-हरियाणा में जजों के लिए आवास की व्यवस्था न होने पर हाईकोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हाईकोर्ट ने हरियाणा व पंजाब में जजों के लिए आवास की व्यवस्था न होने के चलते उनके किराए पर रहने को मजबूर होने पर वीरवार को तल्ख टिप्पणी की। कहा कि यदि सरकार का बस चले तो जजों को गोशाला में बिठा दे।

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    कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार की वह अर्जी खारिज कर दी, जिसमें डेराबस्सी के एसडीएम कार्यालय को खाली करने के आदेश पर पुनर्विचार की अपील की गई थी।

    हाईकोर्ट ने सरकार से किए तीखे सवाल

    मालेरकोटला बार एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए पंजाब में अदालतों की बदहाल व्यवस्था का मुद्दा उठाया था। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा था कि डेराबस्सी में अदालतों का इंतजाम क्यों नहीं करवाया गया है।

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    इस पर पंजाब सरकार ने बताया था कि अस्थायी व्यवस्था पार्किंग क्षेत्र में की जा रही है। हाईकोर्ट ने कहा कि हम अपने अधिकारियों को इस तरह शेड के नीचे नहीं बिठा सकते? क्या आप चीफ सेक्रेटरी के लिए उनके कार्यालय की जगह टेंट लगा देंगे?

    किराए के मकान में रहने को मजबूर हैं जज

    वीरवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों के आवास व कार्यालयों तथा जजों के आवास व अदालतों में जमीन आसमान का फर्क है। यदि इनका ऑडिट किया जाए तो सरकार मुश्किल में पड़ जाएगी। जजों को किराए के मकान में रहना पड़ रहा है। यह बेहद खेदजनक स्थिति है। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।

    पिछली सुनवाई पर हाईकोर्ट ने पाया था कि डेराबस्सी में एक ही इमारत में मौजूद अदालतों और एसडीएम कार्यालय में जमीन आसमान का फर्क है। कोर्ट ने अदालतों की दुर्दशा पर कड़ा रुख अपनाते हुए एसडीएम कार्यालय खाली करने और पूरी इमारत का कब्जा जिला जज को देने का आदेश दिया था।

    'सरकारी मकान देना कोई दान नहीं है'

    इसके बाद पंजाब सरकार ने अर्जी दाखिल करते हुए आदेश पर पुनर्विचार की मांग की थी। सरकार ने कहा कि एसडीएम कार्यालय से लोग सीधे तौर पर जुड़े हैं। वह हटा दिया गया तो लोगों को परेशानी होगी। हाईकोर्ट ने कहा कि अदालतें ज्यादा जरूरी हैं। भगवान बुद्ध ने वट वृक्ष के नीचे ज्ञान लिया था। आप भी अपने अधिकारियों को वहां बैठा दो।

    हाईकोर्ट ने इस मांग को खारिज करते हुए अब एसडीएम के खिलाफ न्यायालय की अवमानना का नोटिस जारी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सरकारी मकान कोई दान नहीं है, यह जजों का अधिकार है।

    उधर, सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार ने बताया कि जजों को सरकारी आवास के लिए 50 करोड़ व अदालतों के निर्माण के लिए 50 करोड़ मंजूर किया गया है। इसके लिए 60 प्रतिशत राशि राज्य देगा और बाकी 40 प्रतिशत केंद्र सरकार देगी।

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