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    बगैर तलाक लिए महिला पति की मंजूरी के बिना भी करवा सकती है गर्भपात, हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

    Updated: Wed, 15 Jan 2025 09:32 AM (IST)

    पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि तलाक लिए बिना अपने पति से अलग रह रही महिला गर्भ का चिकित्सीय समापन अधिनियम के तहत पति की सहमति के बिना भी गर्भ समाप्त कर सकती है। इस मामले में महिला ने अपने पति की सहमति के बिना अपना 18 सप्ताह का गर्भ समाप्त करने के लिए मोहाली के फोर्टीज अस्पताल को निर्देश देने की मांग की थी।

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    तलाक लिए बिना अलग रह रही महिला पति की मंजूरी के बिना करवा सकती है गर्भपात: हाईकोर्ट

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि तलाक लिए बिना अपने पति से अलग रह रही महिला, गर्भ का चिकित्सीय समापन अधिनियम के तहत पति की सहमति के बिना भी गर्भ समाप्त कर सकती है।

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    महिला ने अपने पति की सहमति के बिना अपना 18 सप्ताह का गर्भ समाप्त करने के मोहाली के फोर्टीज अस्पताल को निर्देश देने की मांग की थी। याची ने बताया कि गर्भपात के लिए निर्धारित अवधि से अधिक का गर्भ नहीं होने के कारण उसकी गर्भावस्था चिकित्सकीय रूप से समाप्त की जा सकती है।

    प्राइवेट मोमेंट को रिकॉर्ड करने के लिए बैडरूम में लगाया था कैमरा

    याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि महिला को कम दहेज लाने के कारण उसके ससुराल वालों द्वारा क्रूरता का सामना करना पड़ा और उसके पति ने भी उसके साथ दुर्व्यवहार किया। उसने अपने प्राइवेट मोमेंट को गुप्त रूप से रिकॉर्ड करने के लिए दो बार अपने बेडरूम में एक पोर्टेबल कैमरा भी लागाया।

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    कथित क्रूरता के कारण महिला अलग रहने लगी और प्रस्तुत किया कि उसकी अवांछित गर्भावस्था को जारी रखने से उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान होगा।

    हाईकोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता घरेलू हिंसा के कारण अपने पति से अलग हो गई, लेकिन कानूनी रूप से तलाक नहीं हुआ है, फिर भी वह वैवाहिक स्थिति में परिवर्तन के आधार पर अपने पति की सहमति के बिना गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए पात्र है।

    कहा कहा हाईकोर्ट ने?

    हाईकोर्ट ने कहा कि अवांछित गर्भधारण के लिए मजबूर होने पर, एक महिला को महत्वपूर्ण शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। बच्चे के जन्म के बाद भी ऐसी गर्भावस्था के परिणामों से निपटना याचिकाकर्ता पर अतिरिक्त बोझ डालता है।

    इससे जीवन में अन्य अवसरों जैसे कि रोजगार और अपने परिवार की आय में योगदान करने की उसकी क्षमता प्रभावित होती है। उपरोक्त के आलोक में, न्यायालय ने याचिका को स्वीकार कर लिया और याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि आदेश से तीन दिनों के भीतर संबंधित सीएमओ से संपर्क करे।

    यद्यपि याचिकाकर्ता विधवा या तलाकशुदा के दायरे में नहीं आती है, लेकिन उसने कानूनी रूप से तलाक लिए बिना अपने पति से अलग रहने का निर्णय लिया है, इसलिए वह गर्भ समाप्त करने के लिए पात्र है।

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