Punjab: 817 मौत इनमें 600 सुसाइड... पंजाब की जेलों में कैदियों की काउंसलिंग जरूरी, स्वास्थ्य मंत्री ने साझा किए आंकड़े
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. बलबीर सिंह ने बताया कि वर्ल्ड हेल्थ पार्टनर्स के सहयोग से इन केंद्रों में काउंसलर भर्ती किये गए हैं जो जेलों में नजरबंद व्यक्तियों और कैदियों की मानसिक सेहत में सुधार लाने के उद्देश्य से उनकी काउंसलिंग करेंगे। यह पहल मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 को लागू करने संबंधी हमारी प्रतिबद्धता को और अधिक मजबूत करेगी।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। राज्य की जेलों में सुधार लाने और उनको सुधार केंद्र बनाने के संकल्प के साथ मेंटल हेल्थ इंटरवेंशन प्रोग्राम शुरू किया गया है। यह जानकारी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. बलबीर सिंह ने दी। उन्होंने म्यूनिसिपल भवन सेक्टर-35 में वीरवार को आयोजित राज्य स्तरीय समारोह के दौरान कहा कि इस पहल से पंजाब की चार जेलें लुधियाना, गुरदासपुर, पटियाला और अमृतसर में कैदियों को स्क्रीनिंग, काउंसलिंग और रेफरल सेवाएं प्रदान की जाएंगी। यह प्रोजेक्ट जल्द ही राज्य की सभी जेलों में लागू किया जाएगा।
कैदियों की काउंसलिंग जरूरी
उन्होंने बताया कि वर्ल्ड हेल्थ पार्टनर्स के सहयोग से इन केंद्रों में काउंसलर भर्ती किये गए हैं, जो जेलों में नजरबंद व्यक्तियों और कैदियों की मानसिक सेहत में सुधार लाने के उद्देश्य से उनकी काउंसलिंग करेंगे। यह पहल मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 को लागू करने संबंधी हमारी प्रतिबद्धता को और अधिक मजबूत करेगी। इससे हर राज्य में जेलों के मेडिकल विंग में मानसिक स्वास्थ्य सुविधा होना अनिवार्य हो जाएगी।
817 अप्राकृतिक मौतों में 660 सुसाइड
कैदियों की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बताते हुए डा. बलबीर सिंह ने कहा कि खुदकुशी कैदियों में मानसिक रोगों का मुख्य कारण है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ने अपनी ताजा रिपोर्ट में बताया है कि भारत में कैदियों की अप्राकृतिक मौतों का बड़ा कारण खुदकुशी है। समिति ने बताया कि जेलों में हुई 817 अप्राकृतिक मौतों में से 660 खुदकुशियां हैं, जोकि काफी चिंताजनक है।
उन्होंने कहा कि कैदियों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं न केवल उनके स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं, बल्कि इस कारण रोजाना जेलों से मोबाइल फोन व नशीले पदार्थ बरामद होते हैं। इस प्रयास से जेलों में से अब अच्छी खबरें आनी शुरू हो जाएंगी। कैदियों को प्रशिक्षण देकर उनकी मानसिक सेहत में सुधार करके उनको आत्मनिर्भर बनाया जाएगा।
25 हजार कैदियों में 14 हजार कैदी एनडीपीएस एक्ट के तहत भुगत रहे सजा
मंत्री ने बताया कि जेलों में बंद 25,000 कैदियों में से 14,000 कैदी एनडीपीएस एक्ट के अंतर्गत सजा भुगत रहे हैं। ऐसे सभी कैदी नशा तस्कर नहीं हैं, बल्कि नशे की आदत के कारण जेलों में बंद हैं। इन कैदियों को जेलों में भेजने की जगह यदि उनकी मानसिक सेहत में सुधार करके नशा मुक्ति केंद्रों में भेजा जाए तो जेलों का बोझ काफी हद तक कम हो सकता है।
जेलों में बंद कैदी नशा छोड़कर और आत्मनिर्भर बनकर समाज के लिए रोल माडल बनेंगे। इस मौके पर सचिव जेल कुमार राहुल, विशेष सचिव स्वास्थ्य-कम-प्रोजेक्ट डायरेक्टर पंजाब स्टेट एस कंट्रोल सोसायटी डा. अडप्पा कार्तिक आदि उपस्थित थे।
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