पीएम मोदी और कैप्टन अमरिंदर तक पहुंचेगा पंजाब यूनिवर्सिटी की रैंकिंग का मुद्दा
एनआइआरएफ 2017 की रैंकिंग में पंजाब यूनिवर्सिटी को जबरदस्त नुकसान हुआ है। पीयू की रैंकिंग 12 से लुढ़कर 54वें पायदान पर पहुंच गई। अब इस मामले को पीएमओ तक ले जाने की तैयारी है।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब यूनिवर्सिटी के एनआइआरएफ (नेशनल इंस्टीटयूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क) 2017 की रैंकिंग में 12 से लुढ़कर 54वें पायदान पर पहुंचने का मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचेगा। पंजाब यूनिवर्सिटी नॉन टीचिंग एसोसिएशन ने पीएम को यूनिवर्सिटी की स्थितियों से अवगत करवाने के लिए पूरी तैयारी कर ली है।
तैयार रिपोर्ट में एनआइआरएफ रैंकिंग में लुढ़कने की मुख्य वजह वित्तीय संकट और राज्य व केंद्र सरकार द्वारा यूनिवर्सिटी के अनदेखी बताई गई है। पूटा (नॉन टीचिंग) के प्रधान दीपक कौशिक ने कहा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन और सरकारों में बेहतर तालमेल नहीं होने की कारण यूनिवर्सिटी को घोर आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है। अब नौबत यह है कि फीस कई गुना बढ़ा दी गई है। इससे 70 प्रतिशत गरीब और मध्यम परिवारों के विद्यार्थियों के लिए यूनिवर्सिटी के दरवाजे बंद होते दिखाई दे रहे हैं।
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कर्मचारी नेता दीपक कौशिक के मुताबिक प्रधानमंत्री के अलावा मानव संसाधन विकास मंत्रलय और पंजाब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी स्थिति से अवगत करवाया जाएगा। फीस बढ़ोतरी के फैसले पर दोबारा विचार होना चाहिए और यूनिवर्सिटी के लिए ग्रांट की व्यवस्था और सुदृढ़ की जानी चाहिए। यूनिवर्सिटी प्रशासन, सरकार और केंद्र के बीच सही तालमेल नहीं होने से ही यूनिवर्सिटी का स्तर गिरने की स्थिति सामने है।
रैंकिंग गिरावट की वजह परफार्मेंस नहीं
पंजाब यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन पूटा के पूर्व अध्यक्ष प्रो. अक्षय कुमार ने एनआइआरएफ रैकिंग को सामान्य प्रक्रिया करार देते हुए कहा कि रैंकिंग में गिरावट मुद्दा ही नहीं है। रैंकिंग कई विषयों को आधार बनाकर की गई है। यह सिर्फ परफॉर्मेंस और आर्थिक संकट का मुद्दा नहीं है। लेकिन अर्थव्यवस्था में सुधार, फैकल्टी की पर्याप्त व्यवस्था और ढांचागत विकास यूनिवर्सिटी की आवश्यकता है।
पीयू कैंपस में छात्र और छात्राएं।
रिसर्च के लिए गूगल को दें न्योता
पंजाब यूनिवर्सिटी स्टूडेंट काउंसिल के जनरल सेक्रेटरी आशिक मोहम्मद ने कहा कि वित्तीय व्यवस्था मजबूत करने के लिए ग्रांट कोई रास्ता नहीं है। यूनिवर्सिटी प्रशासन को रिसर्च क्षेत्र को विस्तार देना चाहिए। इसमें न केवल इंडस्ट्री बल्कि गूगल, आइबीएम जैसी इंटरनेशनल स्तर की कंपनियों को जोड़ना चाहिए। इसे गुणवत्तापरक शिक्षा और आर्थिक स्थिति में सुधार दोनों संभव हैं।
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गिरावट समझ से परे
पंजाब यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन की प्रधान प्रोमिला पाठक ने कहा कि एनआइआरएफ रैंकिंग में अचानक इतनी गिरावट आना समझ से परे है। जबकि इस एक साल में यूनिवर्सिटी की कार्यशैली में कोई विशेष बदलाव भी नहीं आया है। वित्तीय संकट की स्थिति पहले से ही है। कॉमन मीटिंग में चर्चा होनी चाहिए। रैंकिंग की गिरावट का मुझे अफसोस है।
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